न्यू बॉर्न बेबी को क्या तकिया लगाना है सेफ? जानें सरसों की तकिया कितनी असरदार
Mustard seeds pillow for newborn baby: न्यू बॉर्न बेबीज को अक्सर दादी-नानी मस्टर्ड पिलो लगाने की सलाह देती हैं लेकिन कई बार ये तकिया बच्चे के लिए नुकसानदेह हो जाती है।
बच्चे के पैदा होने के बाद काफी सारी चीजें दादी-नानी करती हैं। जिसमे से एक है राई के तकिये पर सुलाना। राई या सरसों की तकिया की तरह ही अब मार्केट में नर्सिंग पिलो बेबीज के लिए आने लगी हैं। लेकिन डॉक्टर्स इन तकिया को लगाने से पूरी तरह मना करते हैं। घर के बड़े-बुजुर्गों को कहना है कि सरसों की तकिया लगाने से बच्चे के सिर का शेप गोल बना रहता है। और सिर चिपटा नहीं होता। लेकिन ऐसा कुछ नही हैं। उल्टे तकिया लगाना बच्चे के लिए खतरनाक हो सकता है। जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट।
बेबी को तकिया लगाने के नुकसान
बेबी को राई की तकिया या फिर नर्सिंग पिलोज लगाने के कई सारे नुकसान हैं। जिससे उनकी मौत तक हो सकती है।
रहता है सडेन डेथ का खतरा
बच्चों को सरसों या राई की तकिया लगाने पर बच्चों में सडेन डेथ सिंड्रोम का खतरा पैदा हो जाता है। दरअसल, बच्चे का सिर जब पिलो पर एक साइड होता है तो बगल में एयर पॉकेट बन जाता है और उसमे कार्बन डाई ऑक्साइड भरना शुरू हो जाती है। बच्चे इस कार्बन डाई ऑक्साइड गैस को ही वापस सांस के जरिए लेना शुरू कर देते हैं। दिमाग में एक खास एरिया होता है जो सिग्नल देता है और कार्बन डाई ऑक्साइड के ज्यादा होने पर इंसान नींद से उठ जाता है। लेकिन ये एरिया बच्चों में एक साल तक डेवलप नहीं होता। जिससे बच्चे अक्सर सडेन डेथ का शिकार हो जाते हैं।
सिर के चिपटा होने का खतरा बढ़ जाता है
बच्चे के सिर के चिपटा होने का वजह गर्दन की जकड़न होती है। दरअसल. जब बच्चे को राई या सरसों की तकिया पर सुलाया जाता है तो इससे बच्चे की गर्दन एक तरफ घूम कर रह जाती है क्योंकि दूसरे तरफ सिर घुमाने का स्पेस नहीं होता। नेक की स्टिफनेस की वजह से सिर एक तरफ प्रेशर देता है और सिर की फ्लैटनेस बढ़ जाती है।
सांस लेने में दिक्कत
तकिया पर लेटाने से बच्चे की गर्दन के साइज पर फर्क पड़ता है। जिससे बच्चा ठीक तरीके से निगल नहीं पाता और ना ही ठीक तरीके से सांस ले पाता है।
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