बच्चों के मन पर बुरा असर डालते हैं मां-बाप के ये 5 काम, दिमाग पर छोड़ देते हैं गहरी छाप
हर मां-बाप अपने बच्चे को एक अच्छी परवरिश देना चाहते हैं। लेकिन कई बार पैरेंट्स जाने-अनजाने में ऐसा रवैया अपना बैठते हैं, जो बच्चों के मन पर बुरा असर छोड़ जाता है। पैरेंट्स की ये गलतियां बच्चों को चाइल्डहुड ट्रॉमा तक दे जाती हैं।
कहते हैं बच्चे को जन्म देना जितना मुश्किल है उससे कहीं ज्यादा चुनौती भरा काम उसकी सही परवरिश करना है। इस बात में पूरी सच्चाई है क्योंकि कई बार माता-पिता की छोटी-छोटी आदतें बच्चों के जीवन पर बहुत गहरा असर छोड़ जाती हैं। इस बात में कोई शक नहीं कि ज्यादातर पैरेंट्स बच्चे का हमेशा भला ही सोचते हैं और उसकी परवरिश में भी अपनी तरफ से कोई कमी नहीं आने देते। हालांकि कई बार अंजाने में ही सही पैरेंट्स ऐसा रवैया अपना लेते हैं, जो कई बार बच्चों को मेंटली इतना इफेक्ट कर जाता है कि उन्हें उस चाइल्डहुड ट्रॉमा के साथ ही पूरी जिंदगी गुजारनी पड़ती है। इसका बड़ा असर उनकी पर्सनेलिटी पर होता है और ऐसे बच्चे कई बार इमोशनली इंस्टेबल और ओवर इमोशनल हो जाते हैं। तो चलिए जानते हैं पेरेंटिंग की ऐसी ही कुछ कॉमन मिस्टेक्स के बारे में, जिन्हें आपको हर हाल में अवॉइड करना चाहिए।
बच्चों के साथ ज्यादा सख्ती बरतना
कुछ पैरेंट्स का मानना होता है कि बच्चों के साथ जितना सख्त रवैया अपनाया जाएगा, वो जीवन में उतनी ही कम गलतियां करेंगे। ऐसे पैरेंट्स अक्सर बच्चों के मन में अपना डर बनाकर रखना चाहते हैं। इस बात में कोई दोराय नहीं कि कुछ मामलों में बच्चे के साथ सख्ती बरतना जरूरी है लेकिन अगर आपका बच्चा हमेशा ही आपसे खौफ खाता है, तो आपको अपने पेरेंटिंग स्टाइल को बदलने की जरूरत है। इससे ना सिर्फ बच्चे के मन पर गहरा असर पड़ेगा, साथ ही वो अपने दिल की बात भी आपसे कभी शेयर नहीं करेगा। इस स्थिति में बच्चों के भटकने के चांस और भी ज्यादा बढ़ जाते हैं।
हमेशा नंबर वन बने रहना का दवाब डालना
हर मां-बाप चाहते हैं कि उनका बच्चा हर चीज में आगे रहे। एक जिम्मेदार पेरेंट होने के नाते आपका फर्ज भी है कि बच्चे को सही गाइडेंस दे और आगे बढ़ने के लिए उसे मोटिवेट करें। लेकिन अगर आपको बच्चे से जीत की उम्मीद कुछ इस कदर हो गई है कि आप उसपर हमेशा नंबर वन आने का दबाव बनाने लगे हैं, तो ये आपकी सबसे बड़ी भूल है। ऐसी स्थिति में बच्चा अंदर से पूरी तरह टूटने लगता है और हार से भागने की कोशिश करने लगता है। जबकि यह बात आप भी जानते हैं कि जीवन में कभी ना कभी तो हार का सामना करना ही पड़ेगा। और जब बच्चे के सामने ऐसी स्थिति आएगी तो वो इसे बर्दाश्त नहीं कर पाएगा।
ओवर पेरेंटिंग भी नहीं है सही
पेरेंटिंग और ओवर पेरेंटिंग के बीच एक छोटा सा अंतर होता है, जिसे कई पैरेंट्स समझ ही नहीं पाते और ये बच्चे के लिए खतरनाक साबित होता है। कई बार वो बच्चे के साथ इतना इन्वॉल्व हो जाते हैं कि उसे अपनी नजर से जरा सा भी दूर नहीं होने देते। जो काम बच्चा खुद भी कर सकता है, उसे भी बच्चे को नहीं करने देते। उसे हर छोटी से छोटी चीज के लिए अपने पैरेंट्स पर ही डिपेंड रहना पड़ता है। ये भले ही नॉर्मल लगे लेकिन ऐसे बच्चों को बड़े हो कर काफी तकलीफों का सामना करना पड़ सकता है।
घर में लड़ाई-झगड़े का माहौल रखना
कपल्स के बीच छोटी-मोटी नोक-झोंक होना नॉर्मल है। लेकिन कई बार इनके बीच का आपसी झगड़ा इस कदर बढ़ जाता है कि वो बच्चों के दिमाग पर गहरा असर छोड़ जाता है। पैरेंट्स इसे बड़ी ही आसानी से नजरंदाज कर देते हैं लेकिन बच्चे के अंतर्मन में ये बातें बैठ जाती हैं। अपने माता-पिता का ये व्यवहार बच्चे के जीवन पर ऐसी गहरी छाप छोड़ जाता है कि उनकी पर्सनेलिटी का एक बड़ा हिस्सा हमेशा ही इससे प्रभावित रहता है। रिश्तों को देखने का उनका नजरिया भी हमेशा के लिए बदल जाता है।
बच्चों को हर बात के लिए सजा देना
कई पैरेंट्स बच्चों को सुधारने के चक्कर में उन्हें हर बात पर ही सजा देना शुरू कर देते हैं। बच्चे को बात-बात पर धमकाना या कई बार उनपर हाथ उठा देना, कहीं से भी समझदारी नहीं। ऐसा कर के आप सिर्फ उसके मन में अपना डर बैठा रहे हैं, जो आप दोनों के रिश्ते को कमजोर ही कर रहा है। बचपन से ही बच्चे के मन में बैठा ये डर, उसको गलतियां करने से रोके ना रोके लेकिन आपसे गलतियां छिपाने पर जरूर मजबूर कर देगा। सही तरीका यही है कि बच्चे को बैठकर समझाएं और जरूरत पड़ने पर ही सख्ती बरतें।
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