मां-बाप की इन 5 गलतियों की वजह से झूठ बोलना सीख जाते हैं बच्चे, छिपाने लगते हैं मन की हर बात

कई बार जाने-अनजाने में ही पैरेंट्स कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जिनका असर उनके और बच्चों के बीच की बॉन्डिंग पर पड़ता है। आज हम उनकी ऐसी ही आदतों का जिक्र कर रहे हैं, जिनकी वजह से बच्चे अक्सर उनसे झूठ बोलना शुरू कर देते हैं।

Anmol Chauhan लाइव हिन्दुस्तानFri, 21 Feb 2025 04:44 PM
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मां-बाप की इन 5 गलतियों की वजह से झूठ बोलना सीख जाते हैं बच्चे, छिपाने लगते हैं मन की हर बात

हर मां-बाप चाहते हैं कि उनका बच्चा आगे चलकर एक सफल और अच्छा इंसान बने। इसके लिए वो बचपन से ही उसकी सही परवरिश करने पर जोर देते हैं। अपनी पूरी कोशिश करते हैं कि बच्चे में किसी भी तरह की कोई गलत आदत ना आए। हालांकि कई बार जाने-अनजाने में वो खुद ही कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जो बच्चे पर बहुत बुरा असर डालती हैं। आपने देखा होगा कि कुछ बच्चे बचपन से ही बहुत ज्यादा झूठ बोलना सीख जाते हैं। इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं लेकिन कई बार पैरेंट्स की ही कुछ गलतियां बच्चों को झूठ बोलने पर मजबूर कर देती हैं। कई बार तो स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि बच्चा अक्सर ही मां-बाप से बातें छिपाने लगता है और झूठ का सहारा लेना सीख जाता है। आज हम पैरेंट्स की कुछ इन्हीं गलतियों का जिक्र करेंगे।

हद से ज्यादा सख्ती बरतना

कुछ पैरेंट्स को लगता है कि अपने बच्चे के साथ सख्त व्यवहार करना ही बेहतर है। उनके मुताबिक यदि बच्चे में डर बना रहेगा तो वो किसी भी तरह का गलत काम करने से बचेगा और जाहिर है अच्छा इंसान ही बनेगा। लेकिन ऐसा कर के वो बच्चे को और भी ज्यादा झूठ बोलने और अपनी बातें छिपाने के लिए ही प्रेरित करते हैं। आपके सख्त व्यवहार से बच्चा गलतियां करना बंद नहीं कर देता है बल्कि वो गलतियां छिपाने में माहिर हो जाता है।

बच्चों से ज्यादा उम्मीदें रखना

मां-बाप का अपने बच्चों से उम्मीदें रखना लाजमी है। लेकिन कई पैरेंट्स बच्चे से इतनी ज्यादा उम्मीदें लगाकर बैठ जाते हैं कि बच्चों को घुटन महसूस होने लगती है। वो बच्चे से हर चीज में सबसे आगे रहने की उम्मीद करते हैं। जब बच्चा उनके मुताबिक अच्छा नहीं करता, तो कई बार वे बच्चे को भला बुरा सुनाने में भी कसर नहीं करते। इसी डर की वजह से बच्चे अक्सर झूठ का सहारा लेना सीख जाते हैं।

सच बोलने पर भी सजा देना

कई बार ऐसा होता है कि बच्चे गलती करने के बाद, पैरेंट्स के सामने सब कुछ सच बता देते हैं। यहां पैरेंट्स का फर्ज बनता है कि वो बच्चे को सुनें और उसे समझाएं ताकि वो दोबारा उस गलती को ना दोहराएं। लेकिन अक्सर पैरेंट्स इसका ठीक उल्टा करते हैं। वो बच्चे को उसकी गलती के लिए खूब डांटते या मारते हैं। ऐसे में बच्चे के मन में यह बात बैठ जाती है कि यदि वो सच बोलेगा तो उसके साथ ऐसा ही व्यवहार किया जाएगा। अब जब बच्चा भविष्य में कोई भी छोटी-बड़ी गलती करता है, तो वो अपने पैरेंट्स से झूठ बोलकर उसे छिपाने की कोशिश करता है।

हर चीज को ले कर ओवर रिएक्ट करना

कई पैरेंट्स छोटी-छोटी बातों पर भी काफी ओवर रिएक्ट कर जाते हैं। बच्चे से थोड़ी भूल हुई नहीं कि उसे डांटना या अपशब्द बोलना शुरू कर देते हैं। जिस बात को बच्चे के सामने आसानी से रखा जा सकता था या उसे समझाया जा सकता था, यदि उसपर भी बच्चे को ताने या डांट सुननी पड़ रही है; तो यकीनन बच्चा आपसे चीजें छिपाना शुरू करेगा ही। याद रहे जिस दिन बच्चे को सच बोलने से ज्यादा आसान झूठ बोलना लगने लगेगा, उस दिन से वो अक्सर झूठ का सहारा लेना ही शुरू कर देगा।

बच्चे के आगे खुद झूठ का सहारा लेना

बच्चे काफी सारी चीजें अपने मां-बाप को देखकर ही सीखते हैं। आप उनके आगे जिस तरह का व्यवहार कर रहे हैं, वो उसे ध्यान से नोटिस करते हैं और खुद भी वैसा ही व्यवहार करने लग जाते हैं। ऐसे में अगर आप खुद बच्चों के आगे बात-बात पर झूठ बोलते हैं, तो जाहिर है बच्चा भी झूठ बोलना सीखेगा ही। अपने पैरेंट्स को झूठ बोलता देख, बच्चे के मन में ये बात बैठ जाती है कि झूठ बोलना कोई बुरी बात नहीं है। ऐसे में वो खुद भी इसका इस्तेमाल करना सीख जाता है।

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