ठंड में बच्चे को दिनभर डायपर पहनाती हैं तो डॉक्टर की ये एडवाइज जरूर याद रखें
बच्चों को ठंड में दिनभर डायपर पहनाकर रखती हैं तो संभल जाएं और डॉक्टरों की इस एडवाइज को जरूर मानें। नहीं तो रैशेज के साथ ही इंफेक्शन का खतरा भी रहता है।
सर्दियां शुरू होते ही बच्चों के यूरिन पास करने की क्वांटिटी भी बढ़ जाती है। ऐसे में बच्चों को दिनभर सूखा रखने और ठंड से बचाने के लिए ज्यादातर मांए रात के साथ ही दिनभर डायपर पहनाकर रखती हैं। लेकिन जरा सी लापरवाही बच्चों के रैशेज और डिसकंफर्ट का कारण बन जाती है। इससे बचने के लिए किसी भी डॉक्टर की इस एडवाइज को जरूर याद रखें।
-अमेरिका के पीडियाट्रिक जर्नल का कहना है कि बच्चों के डायपर को हमेशा 2 घंटे में बदल देना चाहिए। जबकि एम्स के डाक्टर का कहना है कि हर बार जब बच्चा पेशाब करे तो उसके डायपर को चेंज कर देना चाहिए। जिससे किसी भी तरह के इंफेक्शन का खतरा ना हो।
-डायपर पहने एक घंटा बीतने के साथ ही बच्चों के डायपर को चेक करते रहें। अगर जरा भी गीला लग रहा तो फौरन बदल दें। बच्चे की स्किन पर लगने वाला गीलापन ही रैशेज और इंफेक्शन का कारण बनता है।
-बच्चों के प्राइवेट पार्ट्स को सूखा रखने के लिए भूलकर भी टैल्कम पाउडर का इस्तेमाल ना करें। पाउडर के छोटे कण शरीर के अंदर जाने का डर रहता है। जिससे इंफेक्शन हो सकता है।
-रात को सोने से पहले बच्चे के डायपर को जरूर बदलें।
-साथ ही स्किन को साफ गीले कपड़े से पोंछकर सुखा लें और अच्छी तरह से मॉइश्चराइज कर लें।
-बच्चों की स्किन पर केमिकल फ्री नेचुरल मॉइश्चराइजर जैसे नारियल का तेल लगाएं। ये स्किन को बैक्टीरिया फ्री रखने और सूखा रखने में मदद करेगा।
-बच्चों के डायपर वाली जगह पर सफाई के लिए दिनभर वाइप्स का इस्तेमाल ना करें। इससे स्किन में गीलापन रह जाता है और रैशेज का कारण बनता है।
-बच्चों को दिन में कुछ घंटे बिना डायपर के जरूर रखें। जिससे बच्चे की स्किन नेचुरली सूख जाए और रैशेज कम हो।
-डायपर के ज्यादा इस्तेमाल से इसमे मौजूद केमिकल लीवर डैमेज, अस्थमा, डायपर रैशेज और स्किन डिसीज का खतरा रहता है।
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