स्तनपान बंद कराने से मां में भी आते हैं बदलाव, डॉक्टर ने बताया क्या करें

  • माना कि शिशु के लिए मां का दूध अमृत के समान है। पर, हमेशा तो बच्चे को स्तनपान नहीं करवाया जा सकता। स्तनपान बंद करना न सिर्फ बच्चे के लिए चुनौतीपूर्ण होता है बल्कि इसके बाद मां के शरीर में भी कई बदलाव होते हैं। इन बदलावों का कैसे करें सामना, बता रही हैं स्मिता

Kajal Sharma हिन्दुस्तानFri, 21 Feb 2025 04:42 PM
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स्तनपान बंद कराने से मां में भी आते हैं बदलाव, डॉक्टर ने बताया क्या करें

मां का दूध शिशु के लिए सबसे जरूरी आहार है। बच्चों के स्वास्थ्य के लिए यह पूरी तरह सुरक्षित और स्वच्छ होता है। मां के दूध में एंटीबॉडी होते हैं, जो बचपन में होने वाली कई आम बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। इसलिए हर शिशु के लिए मां का दूध बेहद जरूरी है। आमतौर पर मांएं जब स्तनपान बंद कर देती हैं, तो उनके शरीर में कई तरह के शारीरिक और भावनात्मक बदलाव आते हैं। यह हर महिला में काफी अलग-अलग हो सकते हैं। इसके पीछे स्तनपान की अवधि, मां ने कब बच्चे को स्तनपान कराना बंद किया और उनका समग्र स्वास्थ्य जैसे कारक हो सकते हैं।

स्तनपान बंद करने के बाद के बदलाव

दिल्ली के सीके बिड़ला अस्पताल में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रमुख सलाहकार डॉ. तृप्ति रहेजा बताती हैं कि स्तनपान बंद कराने से महिला के शरीर में निम्न परिवर्तन होते हैं।

हार्मोनल परिवर्तन: स्तनपान बंद कराने से दूध उत्पादन और बॉन्डिंग के लिए जिम्मेदार हार्मोन प्रोलैक्टिन और ऑक्सीटोसिन के स्तर में गिरावट शुरू हो जाती है। इस हार्मोनल बदलाव से मूड स्विंग, थकान और कुछ मामलों में हल्का अवसाद भी हो सकता है। इसके अलावा, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर में उतार-चढ़ाव के कारण महिला प्री-प्रेगनेंसी वाली स्थिति में लौट आती है। इससे अनियमित पीरियड्स, हॉट फ्लैश आदि हो सकते हैं।

स्तन में दर्द और सूजन: स्तनपान बंद करने के बाद स्तन कई दिनों या हफ्तों तक भरे या फूले हुए महसूस हो सकते हैं। उनमें दर्द हो सकता है। समय के साथ वे सिकुड़ सकते लिगामेंट में खिंचाव के कारण स्तनों में ढीलापन आ सकता है।

वजन का बढ़ना: कुछ महिलाओं में स्तनपान बंद होने के बाद मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है। अगर शारीरिक क्रियाएं नहीं के बराबर की जाएं और हानिकारक वसा वाले भोजन अधिक खाए जाएं, तो वजन बढ़ना स्वाभाविक है।

पीरियड और प्रजनन क्षमता में बदलाव: यदि स्तनपान के दौरान पीरियड बंद या अनियमित हो गए थे, तो वे शुरू सकते हैं। शुरू में भारी ब्र्लींडग या तेज दर्द के साथ पीरियड हो सकता है। ऑव्यूलेशन फिर से शुरू होने के कारण गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।

भावनात्मक बदलाव: स्तनपान बंद करने के बाद कुछ महिलाओं को उदासी की भावना या अवसाद हो सकता है। कुछ महिलाएं स्वतंत्र महसूस करती हैं।

बालों का झड़ना: हार्मोनल स्तर में बदलाव के कारण त्वचा और बालों में बदलाव होना आम बात है। कुछ महिलाओं को बाल पतले होने या झड़ने की समस्या होती है, जबकि त्वचा तैलीय या रूखी हो सकती है।

जिंदगी में लाएं ये बदलाव

स्तनपान बंद करने पर हुए हार्मोनल परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए धैर्य रखना जरूरी है। इस समय तनाव मुक्त करनेवाली गतिविधियां जैसे हल्का व्यायाम, योग या ध्यान, साइकिल चलाना या दोनों वक्त टहलना फायदेमंद होता है।

स्तनपान बंद करने के कारण स्तनों में होने वाले दर्द, ढीलापन और फूला हुआ महसूस करने पर स्तनों को सपोर्ट करने वाला ब्रा पहनें।

अपने वजन को घटाने या बढ़ाने के लिए संतुलित आहार पर ध्यान दें, जिसमें संपूर्ण खाद्य पदार्थ और लीन प्रोटीन (फैट फ्री दूध, अंडे का सफेद हिस्सा आदि) शामिल होना चाहिए। पैदल चलने, व्यायाम और और योग करने से लाभ होगा।

स्तनपान बंद होने के कारण मासिक धर्म चक्र में हुए बदलावों को समझना जरूरी है। इसके लिए पीरियड ऐप का उपयोग कर आप पीरियड पर नजर रख सकती हैं। यदि आप जल्द ही दूसरी गर्भावस्था की योजना नहीं बना रही हैं, तो गर्भनिरोधक का उपयोग जरूरी है। किसी भी गर्भनिरोधक का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह पर करें।

स्तनपान बंद होने के कारण भावनात्मक बदलाव भी हो सकते हैं। प्रियजनों के साथ अपनी भावनाओं या अनुभव साझा करना चाहिए। सेल्फ केयर को प्राथमिकता दें और खुश रहें।

बायोटिन, विटामिन-ई और ओमेगा-3 जैसे विटामिन से भरपूर आहार और त्वचा की देखभाल वाली दिनचर्या त्वचा में आए बदलावों और बालों की समस्या को ठीक कर सकती है। बालों का झड़ना आमतौर पर 3-6 महीनों में ठीक हो जाता है, इसलिए धैर्य रखना जरूरी है।

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