Parenting Tips: शीशे के सामने बैठकर पढ़ने से होते हैं ये फायदे, बच्चे को बनाना है कामयाब तो जरूर जान लें
कुछ ऐसी ट्रिक्स हैं जिन्हें अपनाकर पढ़ाई को और इफेक्टिव ढंग से किया जा सकता है। अब शीशे के आगे बैठकर पढ़ाई करने को ही देख लो। इसके इतने सारे फायदे हैं कि बच्चे की ओवरऑल ग्रोथ में काफी हेल्प मिल सकती हैं
हर मां-बाप का सपना होता है कि उनका बच्चा पढ़ लिखकर खूब आगे बढ़े। हालांकि कुछ बच्चे अक्सर पढ़ाई लिखाई में पीछे रह जाते हैं। यहां बच्चे की गलती हो सकती है लेकिन एक दूसरा पक्ष भी है जिसे हम अक्सर नजरंदाज कर देते हैं। क्या ऐसा नहीं हो सकता कि बच्चा पढ़ना चाहता हो लेकिन किसी वजह से उसे कुछ ठीक से याद ही ना रह पाता हो। यूं तो यादाश्त बढ़ाने के आपने ढेरों नुस्खे सुने होंगे। लेकिन आज हम आपको पढ़ाई का एक तरीका बताने वाले हैं जिससे बच्चे को काफ़ी मदद मिल सकती है। कई रिसर्च भी इस बात का दावा करती हैं कि शीशे के आगे बैठकर पढ़ने से बच्चे ज्यादा इफेक्टिव तरीके से पढ़ाई कर पाते हैं। तो चलिए जानते है इस स्टडी हैबिट से जुड़े फायदों के बारे में।
सेल्फ मोटीवेशन और सेल्फ हीलिंग में करता है मदद
लंबे समय तक बिना ऊंघे पढ़ाई पर ध्यान लगाना जरा मुश्किल काम है। इसके लिए जरूरत होती है लगातार खुद को मोटिवेट रखने की। इस काम में शीशा बच्चे की मदद कर सकता है। बस उसके स्टडी टेबल के सामने शीशे को कुछ यूं फिट कर दीजिए कि वो अपनी शक्ल देख पाए। इससे जब वो पढ़ाई करते हुए खुद को देखेगा तो अंदर से सेल्फ मोटीवेशन खुद ही फील होगी। ये छोटा सा नुस्खा मेंटली बच्चों को मोटिवेट,एक्टिव और हील करने में मदद करेगा।
बढ़ता है बच्चे का कॉन्फिडेंस
आपने अक्सर सुना ही होगा जब कोई सकपकता हुआ कहता है कि उसे लोगों के सामने बोलने से झिझक होती है, तो अक्सर जवाब मिलता है कि भाई! जरा शीशे के सामने खड़ा होकर बोला करो। कॉन्फिडेंस खुद-ब-खुद आ जाएगा। ये बात बिलकुल ठीक है और यहां भी लागू होती है। शीशे के आगे पढ़ाई करने से बच्चा खुद को देखता है और लोगों के सामने अपने आप को प्रेजेंट करने का तरीका सीखता है। ये सिर्फ उसकी पढ़ाई को बेहतर नहीं करता बल्कि उसकी पर्सनेलिटी और उसके आत्मविश्वास में भी इजाफा करता है।
चीजें याद रखने में मिलती है मदद
'हमारा बच्चा पढ़ता तो बहुत है लेकिन क्या करें सब भूल जाता है'। कहीं आपकी भी तो यही शिकायत नहीं जो काफी सारे पैरेंट्स की है। अगर ऐसा है तो बच्चे के साथ मिलकर इसके लिए एक हॉलिस्टिक अप्रोच अपनाने की जरूरत है। इन्हीं में से एक तरीका आप ये मिरर टेक्निक भी अपना सकते हैं। दरअसल जब बच्चे खुद को शीशे में देखते हुए कुछ बोलते हैं या याद करते हैं तो ये विजुअल मेमोरी उनके दिमाग में काफी हद तक बैठ जाती है। ऐसे में जब बाद में वो पढ़ा हुआ याद करने की कोशिश करते हैं तो काफी आसानी से उन्हें चीजें याद आ जाती हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।