8-14 साल के बच्चे को हो रही स्किन प्रॉब्लम तो खाने से फौरन बाहर कर दें ये फूड्स
Teenage acne diet: बढ़ते बच्चे यानी 8 साल की उम्र से ही बच्चों में अगर एक्ने की समस्या होने लगी है तो फौरन खाने से बाहर कर दें ये फूड्स आइटम।
स्किन प्रॉब्लम 16 साल की उम्र से शुरू होना काफी कॉमन है। टीन एज उम्र तक पहुंचने पर पिंपल काफी सारे लड़के-लड़कियों की समस्या रहती है। लेकिन आजकल 8 साल की छोटी उम्र से ही लड़के और लड़कियां एक्ने और चेहरे पर दाने जैसी समस्या से परेशान हो रहे हैं। कई बार तो बच्चों और बच्चियों को बालों में डैंड्रफ भी होने लग रहे हैं। अगर आपके घर में भी 8-14 साल के बच्चे या बच्चियों को एक्ने या डैंड्रफ की समस्या हो रही तो डायटीशियन मनप्रीत ने खाने से फौरन इन फूड्स को बाहर करने की सलाह इंस्टाग्राम पर शेयर की है।
इन वजहों से कम उम्र में हो रही स्किन प्रॉब्लम
दरअसल, स्किन में हो रहे दाने और एक्ने की वजह से हार्मोनल इंबैलेंस है। उम्र बढ़ने के इस दौर में शरीर में हार्मोंस तेजी से बदलते हैं। जिसकी वजह से एक्सेस सीबम प्रोड्यूस होता है और ये सीबम स्किन पोर्स को ब्लॉक कर देता है। जिसकी वजह से चेहरे पर दाने निकलना शुरू हो जाते हैं। एक्ने की इस समस्या को रोकने के लिए बढ़ते बच्चों के फूड्स से इन चीजों को बाहर कर ये हेल्दी फूड्स खिलाना शुरू कर दें। जो स्किन हेल्थ को बेहतर करने में मदद करेगी।
चॉकलेट्स, केक, कुकीज को खिलाना बंद करें
बच्चों को चॉकलेट्स देना पूरी तरह से बंद कर दें। इसमे मौजूद हाई शुगर इंसुलिन को स्पाइक करती है। जिससे स्किन में इंफ्लेमेशन होती है। चॉकलेट की बजाय होममेड खीर, पुडिंग और हलवा जैसे फूड्स को डाइट में दें।
सोडा ड्रिंक
बच्चे सॉफ्ट ड्रिंक्स, सोडा ड्रिंक्स पीना पसंद करते हैं। इन चीजों को बच्चों से पूरी तरह दूर कर दें। कैफीन, शुगर हार्मोंस को डिस्टर्ब करता है, जिससे स्किन में सीबम का प्रोडक्शन पर असर पड़ता है। बच्चे को कोला की बजाय कांजी और बटरमिल्क जैसी चीजें पिलाने पर फोकस करें।
कॉफी से रखें दूर
बच्चे को कॉफी देना भी हार्मफुल है। हाई कैफीन बॉडी को डिहाइड्रेट करता है। जिससे स्किन में भी ड्राईनेस बढ़ जाती है। बच्चे की स्किन को रिलैक्स और ठंडक देने के लिए कैमामाइल टी पिलाएं।
ब्रेड्स खिलाना बंद करे
ब्रेड में मौजूद कार्ब्स की वजह से इंसुलिन रेजिस्टेंस होता है और ऑयल प्रोडक्शन बढ़ता है। जिससे एक्ने होना बढ़ जाता है। बच्चों को मिलेट्स से बनी रोटी खिलाएं।
स्क्रीनटाइम कम करें
बच्चों में मोबाइल, टीवी, कम्प्यूटर जैसे स्क्रीन टाइम को कम कर आउटडोर प्ले टाइम को बढ़ाएं। जिससे कि बॉडी के हार्मोंस इंबैलेंस की प्रॉब्लम ना हो।
पैकेट के चिप्स और नमकीन
पैकेज्ड फूड्स जैसे चिप्स और नमकीन को अवॉएड करें। हाई सॉल्ट और मसालों की वजह से शरीर में वाटर रिटेंशन बढ़ता है और शरीर में सूजन आती है।
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