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गर्ल्स में उम्र से पहले ही आ जा रहे पीरियड्स,बच्चों को जल्दी प्यूबर्टी से बचाने के लिए इन बातों का रखें ध्यान

Surprising Reasons Of Early Puberty: बच्चियों में उम्र से पहले ही पीरियड्स आ जाना और शारीरिक विकास का होना अर्ली प्यूबर्टी है। जिससे निपटने के लिए कारण और समाधान जरूर जान लें।

Aparajita लाइव हिन्दुस्तानWed, 27 Nov 2024 08:11 AM
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आजकल ज्यादातर केसेज आ रहे हैं जिसमे बच्चियों को 8 से 10 साल की उम्र में ही पीरियड्स आ जा रहे हैं। इसके साथ ही उनके शरीर में दूसरे हार्मोनल चेंजस भी देखने को मिल रहे हैं। जिसके लिए उनका दिमाग पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है। वहीं लड़के भी कई बार अर्ली प्यूबर्टी के शिकार हो रहे हैं। बच्चों को उम्र से पहले बड़ा होने से बचाना चाहती हैं तो उनके खाने-पीने से लेकर रोजाना की इन हरकतों का भी जरूर ध्यान रखें। क्योंकि शारीरिक और मानसिक विकास का एक साथ होना जरूरी है। जिससे बच्चे अपने शरीर और दिमाग के साथ पूरी तरह से तालमेल बिठा सकें। बच्चों को हाइजीन की ज्यादा जानकारी नहीं होती ऐसे में जल्दी पीरियड्स ना केवल उन्हें सोशली शर्मिंदा कर सकता है बल्कि कई सारे इंफेक्शन का कारण भी बन जाता है।

बच्चों को ना दें एनिमल फैट

स्टडी में पता चल चुका है कि 3 साल से लेकर 7 साल के बच्चों को अगर एनिमल फैट ज्यादा खिलाया जाता है। तो इससे बच्चों में हार्मोनल इंबैलेंस होने और जल्दी प्यूबर्टी आने का खतरा रहता है।

दूध की मात्रा का रखें ध्यान

अपने बच्चों को कौन सा दूध और कहां से खरीदकर पिला रहे हैं। इस बात का भी ध्यान रखें। आजकल गाय-भैंस को दूध ज्यादा देने के लिए हार्मोनल इंजेक्शन लगाते हैं। ऐसा दूध पीने से बच्चियों के शरीर में हार्मोनल गड़बड़ियां बढ़ती हैं और अर्ली प्यूबर्टी की संभावना रहती है।

शुगर

शरीर में कई सारी बीमारियों की जड़ शुगर हो रही है। अगर आपके बच्चे मीठा ज्यादा खाते हैं तो उनके इस आदत को भी कंट्रोल करें। ये ना केवल डायबिटीज और मोटापे को न्योता देगा बल्कि इससे बच्चों में जल्दी हार्मोनल बदलाव देखने को मिलने लगते हैं।

जंकफूड

मीठे की तरह की जंकफूड जैसी चीजों से भी बच्चों को दूर रखें या कम से कम दें। जिससे बच्चे किसी भी तरह के मोटापे और बीमारियों के साथ ही अर्ली प्यूबर्टी से बचे रहें।

खेल-कूद की कमी

बच्चे खासतौर पर बच्चियों के खेलकूद पर पैरेंट्स बहुत कम ध्यान देते हैं। जरूरी है कि आपकी बच्ची रोजाना कम से कम 45 से 60 मिनट रोजाना खेलें। ऐसा करने से ना केवल बच्चे फिट रहेंगे बल्कि उनमे अर्ली प्यूबर्टी के लक्षण भी नहीं दिखेंगे।

स्क्रीन क्वालिटी का ध्यान

बच्चे मोबाइल, टीवी और सोशल मीडिया पर क्या देख रहें, इस बात का भी ध्यान रखें। ऐसे कंटेंट जो बच्चों से जुड़े हुए नहीं हैं और एडल्ट कंटेंट हैं, तो उन्हें देखने से भी बच्चों की पिट्यूटरी ग्लैंड से ऐसे हार्मोंस निकलने लगते हैं जो शरीर में अर्ली प्यूबर्टी लेकर आते हैं। इसलिए बच्चों को बच्चों वाले कंटेंट या नॉलेज वाले कंटेट देखने पर भी फोकस करवाएं।

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