क्या है मैन्सप्लेनिंग जिसका शिकार होती हैं महिलाएं, जानिए इस स्थिति से निपटने के तरीके
- महिला है, इसे क्या ही मालूम होगा। पुरुषों की इस धारणा का नतीजा है, मैन्सप्लेनिंग यानी पुरुषों द्वारा महिलाओं को चुप करवाकर उन्हें हर बात समझाना। ऑफिस में इस चुनौती का सामना कैसे करें, बता रही हैं एचआर मैनेजर शिवानी गौर
मेरी कंपनी की एक महिला कर्मचारी से मेरी अकसर बातचीत होती थी। एक दिन उसका खराब मूड देखकर मैं पूछ बैठी कि क्या हुआ? उसने जो बताया,वह हम सबके लिए आम बात है। उसने बताया कि र्मींटग के दौरान वह अपनी बात को सीनियर को समझाने की कई बार कोशिश कर रही थी, लेकिन सीनियर उसकी बात सुनने के लिए तैयार नहीं थे। पर, वही बात जब एक साथी पुरुष कर्मचारी ने समझाई तो बॉस को एक बार में बात समझ आ गई और वह राजी हो गए। ऐसा पहली बार नहीं हुआ और यह एक व्यक्ति की समस्या नहीं है। मैंने ऐसे और भी उदाहरण देखे हैं, जब एक महिला कर्मचारी को इसलिए इतना परेशान किया गया क्योंकि पुरुष सहकर्मी महिला कर्मचारी की काबलियत को कम आंकते थे। जब मेरी दोस्त ने अपनी शिकायत मुझसे की तब मुझे अहसास हुए कि ऐसे कितने ही वाकयों को हम नजरअंदाज करते आए हैं। दफ्तर की कुछ और महिला कर्मचारियों से बात की तो पता चला कि र्मींटग में अकसर उनसे पूछा जाता है कि तुम समझ गई न, जबकि पुरुषों के लिए बॉस को भरोसा होता है कि उन्हें एक बार में बात समझ आ गई होगी। इतना ही नहीं र्मींटग में अपनी बात रखने पर भी महिला कर्मचारियों को बार-बार टोका-टाकी का सामना करना पड़ता है। पुरुषों के इस स्वभाव के लिए एक अलग शब्द का इस्तेमाल होता है: मैन्सप्लेनिंग। यानी पुरुषों द्वारा हर बात को महिलाओं को विस्तार से समझाना। कैसे इस स्थिति का प्रभावी तरीके से करें सामना, आइए जानें:
कीजिए सवाल
अगर ऑफिस में कोई व्यक्ति आपकी काबलियत से कम होते हुए भी आपको किसी विषय पर टोक रहा है या गलत साबित करना चाहता है, तो आपको उस पर सवाल उठाना चाहिए। यह सवाल मनोबल से भरा हो , जो आपकी विषय पर पकड़ को दर्शाता हो। आपको सामने वाले से उनकी बात का आधार पेश करने के लिए कहना चाहिए और ऐसे सवाल करने चाहिए जिससे उन्हें अपनी मर्यादा का अहसास हो सके।
आवाज उठाइए
जैसे मेरी दोस्त ने किया, उसी वक्त आवाज उठाई और सबको यह जता दिया कि उसकी बात दरअसल क्यों नहीं समझी गई। इसी तरह अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ होता है, तो उसी समय अपनी आवाज उठाएं और अपनी बात को पूरे अधिकार से सबके सामने रखें। बस आपको इस बात का ख्याल रखना है कि आपकी बात में अधिकार झलके, गुस्सा या प्रतिक्रिया नहीं।
लिखित बातचीत करें
ऐसी जगह पर जितना संभव हो बातों को लिखित में भेजें या मंगवाएं ताकि आपके पास अपनी बात को साबित करने के लिए सबूत हो और आपको कोई गलत साबित न करने पाए, फिर चाहे बॉस ही क्यों न हो। कोशिश करें कि ज्यादातर बातें ईमेल के जरिए हों और अगर व्हाट्सऐप इस्तेमाल कर रही हैं तो मैसेज संभालकर रखें। कामकाज में व्हाट्सऐप को आधिकारिक नहीं माना जाता, इसलिए ईमेल सबसे सुरक्षित तरीका है।
अपने काम पर अधिकार जताएं
महिलाओं से अकसर उनका क्रेडिट छीन लिया जाता है, खासतौर पर तब जब सामना किसी पुरुष से हो। लेकिन आप दफ्तर मे अपने साथ ऐसा बिल्कुल न होने दें। इसके लिए आपको अपने काम पर अधिकार जताना होगा। अगर आप किसी काम को संभाल रही हैं तो ईमेल के जरिये या दफ्तर में मौखिक तैर पर सबके सामने अपनी और अपनी टीम की सराहना करने से पीछे न रहें। साथ ही यह भी बताएं कि किस तरह आपने अपनी टीम के साथ मिलकर वह काम किया है । इस तरह आप अपने काम पर अधिकार तो जाता ही देंगी, साथ ही दफ्तर में आपकी क्षमताओं का संदेश भी साफ तौर पर सभी तक पहुंचा जाएगा।
मजाक का रास्ता अपनाएं
कभी-कभी परिस्थिति साथ नहीं देती और आपको न चाहते हुए भी बातें सुननी पड़ती हैं। इससे छुटकारे का एक रास्ता है, मजाक। हम कई बार आर्म ंजदगी में भी या तरीका तो अपनाते हैं। जिस बात को सीधे तौर पर नहीं बोल पाते, मजाक में वही बात कहकर लोगों को उनकी मर्यादा याद दिला देते हैं। दफ्तर में भी आपको यही करना है। आपको बातों-बातों में ही अपनी आपत्ति जता देनी है और बात बिगड़े, उससे पहले उसे मजाक का नाम दे देना है। यकीन मानिये, अगली बार ज्ञान बांटने से पहले आपका सहकर्मी सतर्क जरूर हो जाएगा।
प्रस्तुति: स्वाति शर्मा
क्या है मैन्सप्लेनिंग?
नई-नई रेसिपी सीखने के बाद मम्मी को ही रसोई में कल्छुल चलाना सिखाना। समझी नहीं? आपने देखा होगा न कि कई लोग सिर्फ अपनी काबिलियत को साबित करने और खुद को आपसे ऊपर रखने के लिए वही ज्ञान दे रहे होते हैं, जो सामने वाले को पहले से पता होता है। और यह काम सबसे ज्यादा महिलाओं के साथ होता है, घर पर भी और बाहर भी। करने वाले होते हैं पुरुष, बॉस के रूप में, सहकर्मी के रूप में या घर के सदस्य के रूप में। वे ऐसे मुद्दे पर भी महिलाओं को ज्ञान देने चले आते हैं, जिनके बारे में उन्हें कुछ भी मालूम नहीं होता, मसलन प्रेग्नेंसी भी। पुरुषों की इस आदत को मैन्सप्र्लेंनग कहते हैं, जिसमें पुरुषों को किसी चीज को खासतौर से महिलाओं विस्तार से बताने की लत लग जाती है क्योंकि उन्हें लगता है कि महिला है, यह क्या जानेगी।
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