पल-पल क्यों बदलता है मूड? जानिए इसके लक्षण और इस समस्या से कैसे उबरें
- मूड स्विंग और महिलाओं का ऐसा नाता है कि अधिकांश महिलाएं इसे बीमारी मानती ही नहीं। पर, यह एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे हमारे जीवन पर गहरा असर डालने लगती है। क्या हैं मूड स्विंग के लक्षण और कैसे इससे उबरें, बता रही हैं शमीम खान
हमें रोजमर्रा के जीवन में ऐसी कई परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है, जिनका प्रभाव हमारे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर पड़ता है। ऐसे में इन स्थितियों से हमारे मूड का प्रभावित होना भी लाजमी है। पर, जब छोटे से अंतराल में बिना किसी स्पष्ट कारण के मूड में तेजी से बदलाव आए तो इसे मूड स्विंग कहा जाता है। मूड स्विंग में भावनात्मक स्तर में तेज बदलाव अचानक और बिना किसी चेतावनी के हो सकता है। जो लोग मूड स्विंग की समस्या से जूझ रहे होते हैं, उनके मूड में बदलाव सामान्य से अधिक होता है और कई बार जीवन की घटनाओं से संबंधित भी नहीं होता है। वैसे तो मूड स्विंग किसी को भी हो सकता है, लेकिन महिलाओं में यह समस्या अधिक होती है। तो चलिए समझते हैं, महिलाओं में मूड स्विंग अधिक क्यों होता है, यह समस्या कितनी गंभीर है और इससे कैसे बचा जाए:
क्या हैं कारण
न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर में बदलाव के कारण हमारा मूड बदलता है। जीवन में कुछ भी होने से इन रसायनों पर प्रभाव पड़ता है। लेकिन जब ये बदलाव सामान्य से ज्यादा हो तो वह मूड स्विंग्स की श्रेणी में आएगा। महिलाओं की जिंदगी पुरुषों की तुलना में ज्यादा चरणों से गुजरती है और हर चरण में उन्हें कई शारीरिक बदलावों से गुजरना पड़ता है, इसलिए इस दौरान होने वाले हार्मोन संबंधी परिवर्तनों के कारण उनमें मूड स्विंग्स की समस्या भी देखी जाती है। किशोरावस्था में मासिक चक्र शुरू होने से लड़कियों का शरीर कई भावनात्मक और शारीरिक बदलावों से गुजरता है, जिससे उनमें मूड स्विंग होना बहुत सामान्य होता है। लेकिन जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती है यह समस्या अपने आप ठीक हो जाती है। वहीं गर्भावस्था के दौरान और बच्चे के जन्म के बाद हार्मोन संबंधी बदलावों, नींद पूरी न होना, जीवनशैली में परिवर्तन आना जैसे कारण मूड स्विंग का कारण बन जाते हैं। जबकि मेनोपॉज यानी पीरियड के बंद होने पर एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में होने वाला तेज बदलाव मूड स्विंग्स का कारण बन जाता है।
कैसे निपटें इस परेशानी से
खुली हवा और सूरज की रोशनी में हर दिन समय बिताने से मूड बेहतर होता है।
नियमित रूप से व्यायाम करने से शरीर में ऐसे रसायन रिलीज होते हैं, जो मूड को बेहतर बनाते हैं।
रंग-बिरंगे फलों और सब्जियों के सेवन से मूड बेहतर होता है।
जंक और प्रोसेस्ड फूड्स के सेवन से बचें, ये मूड पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
गहरी सांस से जुड़े व्यायाम करने से भी मूड बेहतर होता है।
कैफीन (चाय, कॉफी, कोर्ला ंड्रक्स आदि) का सेवन भी कम करें, क्योंकि यह भी मूड को प्रभावित करता है।
सात से आठ घंटे की गहरी नींद लें। अच्छी नींद मूड को बेहतर बनाती है।
कुछ ऐसी गतिविधियां करें जो आपको खुशी देती हों।
तनाव से दूर रहें।
बीमारियों का प्रभाव
कई बीमारियों जैसे डायबिटीज, हाइपोग्लाइसेमिया (रक्त में शुगर का स्तर कम होना), एनीमिया, माइग्रेन, हाइपर थायरॉइडिज्म, पीएमएस (प्री-मैंस्ट्रुअर्ल सिंड्रोम) और नींद की कमी भी मूड स्विंग का कारण बन सकती हैं। बहुत-सी महिलाओं में मूड स्विंग मूड डिसऑर्डर्स जैसे डिप्रेशन या बायपोलर डिसआर्डर के कारण होता है। इसके अलावा, मानसिक विकार जैसे एंग्जाइटी, एडीएचडी (अटेंशन डेफिसिट/हाइपर एक्टिविटी डिसआर्डर), र्ईंटग डिसआर्डर और पीटीएसडी (पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसआर्डर) के कारण भी मूड स्विंग भी हो सकता है। मूड स्विंग कुछ दवाइयों के सेवन का साइड इफेक्ट भी हो सकता है। इन दवाइयों में गर्भ निरोधक गोलियां, हार्मोन थेरेपी, स्टेरॉयड आदि शामिल हैं। वहीं शराब, मैरिजुआना, तंबाकू जैसे नशीले पदार्थ हार्मोन के स्तर में बदलाव, नींद में रुकावट और उत्तेजना का कारण बनकर मूड स्विंग बढ़ाते हैं।
तो डॉक्टर से करें संपर्क
• बार-बार और बिना स्पष्ट कारणों के मूड स्विंग होना • भावनात्मक उथल-पुथल अत्यधिक होना • खुद पर नियंत्रण न रहना • निजी और पेशेवर जीवन प्रभावित होना • दूसरों से रिश्ते प्रभावित होना
कैसे होगी पहचान
लगातार और गंभीर मूड स्विंग की स्थिति में डॉक्टर को दिखाना जरूरी है, ताकि कारण का पता लगाया जा सके। डॉक्टर कुछ टेस्ट करने से पहले आपसे आपके लक्षणों और मेडिकल हिस्ट्री क बारे में सवाल करेंगे। मूड स्विंग के लिए शारीरिक परीक्षण, ब्लड टेस्ट (विटामिन्स की कमी, एनीमिया या थायरॉइड की समस्या का पता लगाने के लिए) और न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का अंदेशा होने पर इर्मेंजग टेस्ट करवाया जाता है। अगर मानसिक विकारों के कारण मूड स्विंग की समस्या हो रही हो तो डॉक्टर आपको मनोविशेषज्ञ से परामर्श लेने की सलाह देंगे। मूड स्विंग की वजह के आधार पर उपचार के विकल्प चुने जाते हैं।
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