खुशियां देंगी जिंदगी में दस्तक, हैपी लाइफ के लिए एक्सपर्ट बता रही हैं फॉर्मूला
- खुशहाल जिंदगी की तमन्ना हर किसी को होती है। पर, हर कोई इस तमन्ना को हकीकत में नहीं बदल पाता। आंकड़ों और शोध की जुबानी, आइए जानने की कोशिश करें खुशहाल जिंदगी का फॉर्मूला, बता रही हैं शाश्वती
खुश रहने का कोई फॉर्मूला मिल जाए, तो जिंदगी कितनी अच्छी हो जाएगी ना! जिंदगी में चाहे कितनी भी परेशानी क्यों न हो जाए, खुशियों पर किसी की नजर नहीं लगेगी। अफसोस, ऐसा फॉर्मूला अभी तक तक तो विकसित नहीं हो पाया है। पर, आप ऐसे लोगों से दो-चार चीजें जरूर सीख सकती हैं, जो खुशहाल जिंदगी जीते हैं। क्या आप जानती हैं कि दुनिया भर के खुशहाल लोगों के बीच कुछ चीजें बेहद आम होती हैं। और यह बात सिर्फ हम नहीं कह रहे। दुनिया भर में नियमित अंतराल पर होने वाले तरह-तरह के शोध इस बात की तसदीक कर रहे हैं। खुशहाल लोगों की कौन-सी बातें हैं सबसे आम और क्यों इन आदतों को आपको भी अपनाना चाहिए, आइए जानें:
साथ से मिलेगी खुशियां
जो लोग हर दिन कुछ वक्त अपने दोस्त और परिवार के सदस्यों के साथ गुजारते हैं, वे ज्यादा खुश और संतुष्ट रहते हैं। वहीं ऐसा नहीं करने वाले तनाव और एंग्जाइटी से जूझने के लिए मजबूर रहते हैं। एक अमेरिकन कंपनी गैलप के द्वारा किए गए शोध में यह भी पाया गया कि लोग सप्ताहांत में ज्यादा खुश रहते हैं क्योंक छुट्टी के दौरान परिवार के सदस्यों और दोस्तों के साथ वक्त बिताने का मौका हर किसी को ज्यादा मिलता है।
साथी के साथ रिश्ते का असर
जीवनसाथी के साथ हमारा रिश्ता जिंदगी के विभिन्न आयामों पर असर डालता है, उनमें से एक हमारी खुशियां भी हैं। शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि जो जोड़े खुशहाल रिश्ते में होते हैं, वे अपने रिश्ते में हर पांच अच्छे अनुभवों की तुलना में बस एक खराब अनुभव से जूझते हैं। वहीं, जो जोड़े अपने रिश्ते से खुश नहीं होते और अंत में अलग हो जाने का निर्णय लेते हैं, उनके रिश्ते में नकारात्मक अनुभवों का पलड़ा काफी भारी होता है। साथी के साथ रिश्ते में प्यार भरी, मीठी-मीठी बातें अपने-आप नहीं होतीं। इसके लिए प्रयास करना होता है। साथ वक्त बिताना होता है और एक-दूसरे की तारीफ के लिए लगातार मौके तलाशने होते हैं।
उम्र का खुशियों से कनेक्शन
कुछ खास आयु वर्ग के लोग अपनी जिंदगी से ज्यादा संतुष्ट होते हैं। मनोविशेषज्ञों का कहना है कि 30 से ज्यादा आयु वर्ग के लोग जोश और खुशी से भरे होते हैं क्योंकि करियर की शुरुआती जद्दोजहद के बाद इस उम्र में उनके पास ऊर्जा, जानकारी और पैसा सब कुछ एक साथ उपलब्ध होता है। वहीं, एक दूसरे अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि पचास की उम्र पार कर चुके लोग ज्यादा मुस्कुराते हैं। वहीं, एक और अध्ययन में यह दावा किया गया है कि 44 की उम्र के आसपास लोग सबसे कम खुश होते हैं और फिर उसके बाद धीरे-धीरे 70 तक उनकी जिंदगी में खुशियों का इजाफा होता चला जाता है। इन तीनों अलग-अलग तरह के शोध का नतीजा यह है कि सबसे ज्यादा खुश होने की कोई उम्र नहीं होती। पर, वैसे वैज्ञानिक इस बात से सहमत दिखते हैं कि बढ़ती उम्र के साथ हम ज्यादा खुश रहने लगते हैं। तो यह साल आपकी जिंदगी में खुशियों की कौन-सी सौगात लाएगा, इस बात का इंतजार करने से बेहतर है कि अपने आज को खुशनुमा बनाने की कोशिश की जाए।
आपके हाथ, आपकी खुशियां
जिंदगी के विभिन्न आयामों का हमारी खुशियों पर असर पड़ता है। अगर आप अपनी खुशियों की लगाम अपने हाथों में रखना चाहती हैं, तो इस पर 40 % तक आपका नियंत्रण रह सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अपनी खुशियों को सिर्फ हम प्रभावित नहीं करते बल्कि इसमें हमारी जीन्स, स्वभाव और जिंदगी की परिस्थितियों का भी योगदान होता है। हमारे जीन्स हमारे मूड और खुशियों को तो प्रभावित करते ही हैं, पर आप अपना वक्त कैसे बिताती हैं, किस हद तक आसपास की घटनाओं को खुद पर हावी होने देती हैं, ये सब आपकी खुशी और आपकी जिंदगी को प्रभावित करेंगे।
आपके कितने हैं दोस्त?
कुछ साल पहले ब्रिटेन के युवाओं पर किए गए एक सर्वे में पाया गया कि दस या उससे ज्यादा दोस्तों से नियमित रूप से संपर्क में रहने वाले लोग अपनी जिंदगी में ज्यादा खुश रहते हैं। सर्वे में पाया गया कि जिन लोगों के दोस्तों की संख्या कम है, वे अपनी जिंदगी से खुश भी कम थे। दोस्त न सिर्फ मूड को बेहतर बनाते हैं, सामाजिक दायरे को बढ़ाते हैं बल्कि लंबी आयु का उपहार देने के साथ-साथ सेहत को भी कई तरह से लाभ पहुंचाते हैं।
सैलरी भी डालती है असर
अपने यहां कहते हैं कि पैसों से खुशियां नहीं खरीदी जा सकती। पर, यह बात एक हद तक ही सीमित है। यूनिवर्सिटी ऑफ प्रिंसटन के शोधकर्ताओं के द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक हर साल एक खास आंकड़े तक सैलरी पाने वाले लोगों की खुशियां उससे प्रभावित नहीं होतीं। पर, कम सैलरी पाने वाले की हर दिन की खुशियों का आय पर जरूर असर पड़ता है। कम आय वर्ग के लोग अपनी जिंदगी में सेहत से लेकर शादी से जुड़ी चुनौतियों का सामना करते हैं, वहीं ज्यादा आय वर्ग के लोग अपनी जिंदगी से ज्यादा संतुष्ट होते हैं।
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