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मेंटल हेल्थ के लिए वर्क फ्राम होम नहीं ऑफिस जाकर काम करना है ज्यादा अच्छा, स्टडी में हुआ खुलासा

वर्क फ्राम होम या वर्क फ्राम ऑफिस को लेकर छिड़ी बहस के बीच स्टडी सामने आई है। जिसमे बताया गया है कि कैसे ऑफिस में सहयोगियों के साथ बैठकर काम करना मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।

Aparajita लाइव हिन्दुस्तानThu, 24 Oct 2024 12:32 PM
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अगर प्रोफेशनल लाइफ को अच्छा और सुकूनभरा बनाना चाहते हैं तो अपने कलीग्स के साथ बैठकर बात करना और काम करना ज्यादा अच्छा है। ये बातें हम नहीं बोल रहे बल्कि ग्लोबल स्टडी में इस बात का दावा किया गया है। वर्क फ्राम ऑफिस मेंटल हेल्थ के लिए वर्क फ्राम होम की तुलना में ज्यादा अच्छा है। स्टडी के मुताबिक कलीग्स के साथ अच्छे रिलेशन मेंटल हेल्थ को बेहतर करते हैं।

क्या कहती है रिपोर्ट

ग्लोबली हुई इस स्टडी में पाया गया कि भारत में ऑफिस में काम करने वाले लोगों के मेंटल हेल्थ उन लोगों की तुलना में ज्यादा अच्छे हैं जो घर से या हाइब्रिड माहौल में काम कर रहे हैं। बल्कि अमेरिका और यूरोप के देशों में ठीक इसका उल्टा है। वहां हाइब्रिड ऑफिस में काम कर रहें लोगों की मेंटल हेल्थ ग्रोथ ज्यादा अच्छी पाई गई है। बता दें कि इस स्टडी को वर्क कल्चर एंड मेंटल वेलबींग अमेरिका में बने साइपियंस लैब में की गई है। जिसमे 65 देशों के 54,831 नौकरीशुदा लोग जो इंटरनेट के जरिए आंसर दिए हैं। उनके डाटा को स्टडी में इस्तेमाल किया गया है।

वर्क लोड और खराब रिलेशन है सबसे बड़ा कारण

हाल ही में पुणे में 26 साल की चार्टर्ड अकाउंटेंट की मौत के बाद ये बहस शुरू हुई। जिसमे इंडिया में हाई वर्कलोड, स्ट्रेस और टॉक्सिक वर्कप्लेस एनवायरमेंट को जिम्मेदार माना गया। वहीं कलीग्स के बीच तनाव एक मेन वजह होती है, जो मेंटल हेल्थ पर असर डालती है। लेकिन वर्क लाइफ को बैलेंस करने वाले फैक्टर में ये फैक्टर बाकी पैरामीटर की तुलना में आधा ही काम करता है।

मेंटल हेल्थ पर क्या चीजें डालती हैं असर

अपने सहकर्मियों यानी कलीग्स के साथ रिलेशनशिप, काम के प्रति गर्व महसूस करना जो आप कर रहे हैं ये सारी चीजें मेंटल हेल्थ पर ज्यादा असर डालती हैं। अगर आपके सहकर्मियों के साथ अच्छे संबंध नहीं हैं और आप जिस काम को कर रहे हैं उसको लेकर गर्व की भावना मन में नही है तो ये दुख, अकेलापन जैसी फीलिंग को बढ़ाते हैं। अगर काम के प्रति मन में असंतोष है और काम करने की इच्छा नही हैं तो ये एनर्जी लेवल को कम करती है और मोटिवेशन भी नहीं देती। भारत में कलीग्स के साथ बुरा संबंध मेंटल हेल्थ पर भी बुरा असर डालता है। वहीं दूसरे देशों में टीम के साथ काम करना बेहतर मेंटल हेल्थ की तरफ इशारा कर रहा है बजाय अकेले काम करने के।

भारत में टीम का साइज बढ़ने से मानसिक स्वास्थ्य पर असर बढ़ता जाता है जबकि दूसरे देशों में ठीक इसका उल्टा है।

वर्क लोड का कितना है असर

काम का बोझ मेंटल हेल्थ के लिए बड़ा कारण होता है। लेकिन स्टडी के मुताबिक भारत में काम के बोझ को असहनीय बताने वाले 13 प्रतिशत है तो वहीं ग्लोबल एवरेज 16 प्रतिशत का है।

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