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नींद की समस्या दिमाग को कर सकती है खराब, एम्स की स्टडी में हुआ खुलासा

Sleep Problems: रात में नींद आने में मुश्किल होना या फिर खर्राटे का इतिहास रहा है तो आपको सावधान होने की जरुरत है। हाल ही में एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग द्वारा किए गए इस अध्ययन के बारे में जानें।

Avantika Jain लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 10 March 2024 08:10 AM
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अच्छी नींद और सेहत का गहरा संबंध है। अगर रात में आपकी नींद अक्सर बाधित होती है और आपको सांस लेने में कुछ रुकावट के साथ खर्राटे लेने का इतिहास है, तो इसे हल्के में न लें। यह आपकी याददाश्त और दिमाग के दूसरे कामों पर प्रभाव डाल सकता है। एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) के लक्षण और खराब नींद की क्वालिटी का दिमाग पर सीधा असर होता है।

क्या था अध्ययन का उद्देश्य
अध्ययन का उद्देश्य यह निर्धारित करना था कि क्या ओएसए लक्षण और खराब नींद की क्वालिटी मध्यम आयु वर्ग और बुजुर्ग शहरी भारतीय आबादी में अनुभूति से जुड़ी हुई है। 

इस उम्र के लोगों पर की गई स्टडी
टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अध्ययन में दक्षिणी दिल्ली के दो इलाकों वसंत कुंज और मुनिरका के लोगों को शामिल किया गया। जिसमें 50 वर्ष और उससे ज्यादा आयु की 49% महिलाओं सहित 6,795 व्यक्तियों के डेटा को देखकर पता चला कि ओएसए लक्षण सूचना प्रसंस्करण, स्मृति और सामान्य बुद्धि कारकों के संज्ञानात्मक डोमेन से नकारात्मक रूप से जुड़े थे। स्तरीकृत विश्लेषण ने मध्यम आयु वर्ग के लोगों (50-60 वर्ष) के संज्ञान पर ओएसए लक्षणों के महत्वपूर्ण प्रतिकूल प्रभाव दिखाए, लेकिन बाद के आयु समूहों में नहीं। खराब नींद की गुणवत्ता सामान्य बुद्धि कारक, स्मृति और कार्यकारी डोमेन के लिए कम संज्ञानात्मक स्कोर से भी जुड़ी थी, लेकिन सूचना डोमेन के साथ नहीं।

क्या कहते हैं शोधकर्ता
शोधकर्ताओं ने कहा कि इन परिणामों का मध्यम आयु वर्ग और अधिक उम्र के वयस्कों में मनोभ्रंश को रोकने के लिए जरूरी प्रभाव है। ओएसए लक्षण और खराब नींद की क्वालिटी दोनों परिवर्तनीय जोखिम कारक हैं जिन्हें मध्यम आयु और वृद्ध वयस्कों में संज्ञानात्मक घाटे की रोकथाम के लिए लक्षित किया जा सकता है।

नहीं उठा पाते उपचार का फायदा
अध्ययन में निष्कर्ष निकाला गया कि ओएसए के लक्षणों, इसके प्रतिकूल प्रभावों, उपचार स्वीकार करने की अनिच्छा और कब/किसके लिए उपचार शुरू किया जाए इस पर डॉक्टरों के बीच दुविधा के कारण, कई व्यक्ति जो न्यूरोडीजेनेरेशन को रोकने के लिए उपचार से फायदा उठा सकते हैं वह भी वंचित रह जाते हैं।

मेमोरी और ब्रेन फंक्शनिंग पर हो सकता है असर
मुख्य अन्वेषक डॉ. कामेश्वर प्रसाद, न्यूरोलॉजी के एमेरिटस प्रोफेसर, एम्स, और अब न्यूरोलॉजी के प्रमुख, फोर्टिस अस्पताल, वसंत कुंज, का कहना है कि जिन व्यक्तियों की नींद की क्वालिटी खराब है या ओएसए का कोई संकेत है, उन्हें स्मृति पर किसी भी प्रतिकूल प्रभाव से बचने के लिए उपचार का फायदा उठाना चाहिए ताकि मेमोरी और ब्रेन फंक्शनिंग पर कोई असर ना हो।

कई कामें में होता है समझौता
प्रसाद ने कहा कि जिन लोगों की नींद की क्वालिटी खराब थी, उन्हें प्लानिंग, डिजाइनिंग, समझ और समस्या समाधान जैसे कामों को लेकर समझौता करना पड़ा।

अच्छी नींद पाने के टिप्स
अध्ययन सदस्य और एम्स के न्यूरोलॉजी के प्रमुख  डॉ. मंजरी त्रिपाठी  का कहना है कि व्यक्ति को हर दिन एक ही समय पर सोना और जागना चाहिए। इसके अलावा शराब, कैफीन, निकोटीन और अन्य उत्तेजक पदार्थों का सेवन कम करना चाहिए। खासकर दोपहर 2 बजे के बाद सोने से बचें और शाम या रात में ध्यान करें या दिमाग को आराम देने वाले व्यायाम करें। रात में ज्यादा फैटयुक्त या ऑयली खाने को अवॉइड करें। सोने से कम से कम तीन घंटे पहले डिनर खाएं।

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