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बेली फैट दिख रहा तो मोटापा नहीं ब्लोटिंग होती है जिम्मेदार, जानें कैसे करें दूर

पेट के हिस्से में कपड़े की फिटिंग चुस्त होने का मतलब हर बार वजन बढ़ना नहीं होता। यह ब्लोटिंग यानी पेट में सूजन की समस्या भी हो सकती है। क्या है ब्लोटिंग और कैसे इससे पाएं छुटकारा, बता रही हैं शमीम खान।

Aparajita लाइव हिन्दुस्तानFri, 30 Aug 2024 01:30 PM
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आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है कि कल तक जो जींस बिल्कुल ठीक आ रही थी, आज वो इतनी टाइट हो गई है कि आप उसे पहन भी नहीं पा रहीं? ऐसा होने पर हम सब तुरंत वजन बढ़ने का रोना रोने लगते हैं। पर, समझने वाली बात है एक दिन में मोटापा इतना नहीं बढ़ सकता। रात भर में कपड़े टाइट होने का कारण अपका बढ़ा वजन नहीं बल्कि ब्लोटिंग यानी पेट फूलना हो सकता है। ब्लोटिंग की समस्या स्थायी और अस्थायी दोनों हो सकती है। वैसे तो इसे पाचन तंत्र से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन कई बार ब्लोटिंग गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत भी हो सकती है। ब्लोटिंग या पेट फूलने को पेट की सूजन भी कहते हैं। इसका सबसे प्रमुख कारण है, आंतों में बहुत अधिक मात्रा में गैस बनना। खाना खाने के बाद ब्लोटिंग होना पाचन तंत्र से संबंधित समस्याओं के कारण हो सकता है। कई बार खानपान से संबंधित गलतियों के कारण भी यह समस्या हो सकती है, जैसे बहुत अधिक मात्रा में खाना, जल्दी-जल्दी खाना, खाने को ठीक तरह से पचा न पाना आदि। ब्लोटिंग होने के कई गंभीर कारण भी हो सकते हैं, जिनमें फूड एलर्जी से लेकर कैंसर तक शामिल हैं। अगर ब्लोटिंग की समस्या अस्थायी है तो थोड़े समय में ठीक हो जाती है, लेकिन अगर बार-बार ब्लोटिंग हो और लंबे समय तक बनी रहे तो इसे गंभीरता से लें। ब्लोटिंग का सबसे पहला लक्षण होता है, पेट फूलना। लेकिन इसके अलावा कई और लक्षण दिखाई दे सकते हैं, जैसे पेट में कड़ापन और दबाव महसूस होना। कभी-कभी पेट दर्द और पेट में सूजन भी हो सकती है। ब्लोटिंग होने पर ऐसा महसूस हो सकता है जैसे हमने बहुत ज्यादा खा लिया है। 10 से 25 प्रतिशत सेहतमंद लोगों को नियमित रूप से ब्लोटिंग की समस्या होती है। 75 प्रतिशत लोगों में इस बीमारी के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर होते हैं, वहीं 10 प्रतिशत लोगों को नियमित रूप से इस समस्या से जूझना पड़ता है। आईबीएस यानी इरिटेबल बाउल सिंड्रोम से पीड़ित 90% लोगों को ब्लोटिंग की समस्या होती है, वहीं पीरियड शुरू होने से पहले और पीरियड के दौरान 75 प्रतिशत महिलाएं ब्लोटिंग से परेशान रहती हैं।

मोटापा और ब्लोटिंग का फर्क

ब्लोटिंग के कारण अकसर लोग टाइट र्फिंटग के कपड़े नहीं पहन पाते, इसलिए उन्हें ऐसा महसूस होता है कि वो मोटे हो गए हैं। लेकिन मोटापे और पेट फूलने या ब्लोटिंग में कोई संबंध नहीं है। मोटापा ज्यादा स्थायी होता है, जिसमें शरीर में वसा की परतें जम जाती हैं। वहीं, ब्लोटिंग सिर्फ पेट में होती है और इसके कारण कमर का घेरा कुछ इंच बढ़ सकता है, लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं है कि इससे वजन बढ़ता है।

क्यों होती है ब्लोटिंग?

फूड इन्टॉलरेंस यानी जब हमारा शरीर कुछ खास खाद्य पदार्थों को नहीं पचा पाता है, तो ब्लोटिंग की समस्या होती है।

इरिटेबल बाउर्ल ंसड्रोम यानी आईबीएस में आंतों में मौजूद बैक्टीरिया अत्यधिक संवेदनशील हो जाते हैं, जिससे पेट फूलने की समस्या हो जाती है।

कई बार पेट फूलने की समस्या किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकती है जैसे किडनी व लिवर खराब होना और कैंसर आदि।

हॉर्मोन असंतुलन का प्रभाव हमारे पाचन तंत्र पर भी पड़ता है। हॉर्मोन असंतुलन से जूझ रहे लोग अकसर पेट फूलने की समस्या का शिकार भी हो जाते हैं।

पाचन तंत्र से संबंधित गड़बड़ियां पेट फूलने का सबसे प्रमुख कारण है। खाना खाने के बाद छोटी आंत में अधिक मात्रा में गैस बनने के कारण अकसर पेट फूलने की समस्या होती है।

कई महिलाओं को पीरियड शुरू होने के पहले या इसके दौरान पेट फूलने की समस्या हो जाती है।

कब्ज, शरीर में पानी कम होने, फाइबर का सेवन कम मात्रा में करने, पाचन तंत्र के ठीक तरह से काम न करने या किसी और स्वास्थ्य समस्या के कारण ब्लोटिंग हो सकती है।

जब हम खाने के साथ बहुत अधिक मात्रा में हवा निगल लेते हैं तो उसे एरोफेगिया कहते हैं। एरोफेगिया ब्लोटिंग का कारण बन सकता है। जल्दी-जल्दी खाना खाने, च्युंगम चबाने और कोल्ड ड्रिंक्स आदि का सेवन करने से हम ज्यादा मात्रा में हवा निगल लेते हैं।

ब्लोटिंग को यूं दें मात

1) पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में फाइबर का सेवन करें। हेल्थ जर्नल नेचर में छपे एक शोध के अनुसार, महिलाओं के लिए प्रतिदिन 25-30 ग्राम और पुरुषों के लिए 35-40 ग्राम फाइबर का सेवन ठीक रहता है। फाइबर के लिए फलों, सब्जियों और साबुत अनाजों का सेवन अधिक से अधिक मात्रा में करें।

2) एक बार में बहुत ज्यादा मात्रा में खाना खाने से बचें। ऐसा करने से पेट फैलता है, जो उसमें हवा भरने का कारण बन सकता है।

3) शरीर में पानी की कमी से पाचन तंत्र नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है और ब्लोटिंग की समस्या होती है। इसलिए रोज कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं। अगर आपको पेट फूलने की समस्या है तो खाना खाने के दौरान पानी न पिएं। खाना खाने के एक घंटे बाद पानी पिएं।

4) वसा, नमक और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट का सेवन बहुत सीमित मात्रा में करें। नमक के कारण शरीर में पानी इकट्ठा होता है, जिससे ब्लोटिंग की समस्या हो सकती है। वसा और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट पचने में अधिक समय लेते हैं, जिससे गैस अधिक बनने और ब्लोटिंग का खतरा बढ़ जाता है।

5) स्वस्थ रहने, पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने और ब्लोटिंग से बचने के लिए अनुशासित जीवन जीना जरूरी है। अगर आप बेतरतीर्ब जिंदगी जीती हैं तो अपनी जीवनशैली में बदलाव लाएं। पूरी नींद लें। नियत समय पर सोएं और जागें। पोषक और संतुलित भोजन खाने के साथ यह भी ध्यान रखें कि रोज एक निर्धारित समय पर ही खाना खाएं। शारीरिक रूप से भी सक्रिय रहें। तनाव से दूर रहें।

6) शारीरिक रूप से सक्रिय रहने से शरीर में पानी कम इकट्ठा होता है और पाचन तंत्र भी बेहतर तरीके से काम करता है। सप्ताह में कम से कम 150 मिनट कोई मनपसंद व्यायाम करें। खाना खाने के बाद थोड़ी देर टहल लें। ऑफिस में भी लगातार बैठी न रहें।

इन्हें खाएं ब्लोटिंग को हराएं

कुछ खाद्य पदार्थ हैं जो हमें ब्लोटिंग से बचा सकते हैं। ब्लोटिंग के शिकार लोग अगर नियमित रूप से इन खाद्य पदार्थों को आहार का हिस्सा बनाएं, तो उन्हें आराम मिलेगा:

अन्ननास: अन्ननास में न केवल विटामिन-बी, सी और मैगनीज अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं बल्कि इसमें ब्रोमेलैन नामक एंजाइम भी होता है, जो पाचन प्रक्रिया को बेहतर बनाता है और ब्लोटिंग व सूजन में आराम देता है।

दही: दही में मौजूद बैक्टीरिया पाचन तंत्र को बेहतर बनाते हैं। दही का नियमित सेवन ब्लोटिंग और इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षणों को दूर करता है।

हल्दी: हल्दी में कुरक्यूमिन होता है, जो सूजन कम करने में प्रभावी साबित होता है। यह हमारी आंतों को स्वस्थ रखता है और आईबीएस, गैस, कब्ज और ब्लोटिंग के लक्षणों में आराम देता है।

अदरक: अदरक पाचन क्रिया में सुधार कर ब्लोटिंग में आराम देती है।

पपीता: पपीता में पपैन एंजाइम और फाइबर भी होता है, जो पाचन प्रक्रिया को बेहतर बनाता है। इसमें सूजन कम करने वाले गुण भी होते हैं।

ग्रीन टी: ग्रीन टी शरीर को नमी प्रदान करती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होते हैं, जो फ्री रैडिकल को कम करते हैं, जिससे सूजन में कमी आती है।

(डॉ. पीयूष रंजन, सीनियर कंसल्टेंट एंड वाइस चेयरमैन, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी डिपार्टमेंट, सर गंगा राम हॉस्पिटल, दिल्ली डॉ. मुजम्मिल कोका, सीनियर कंसल्टेंट, डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन, र्मैंरगो एशिया हॉस्पिटल्स, गुरुग्राम से बातचीत पर आधारित)

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