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पीरियड पेन की वजह हो सकता है आपका खान-पान, डॉक्टर से जानें क्या खाएं, क्या नहीं

  • पीरियड के समय होने वाला असहनीय दर्द एक आम समस्या है, जिसके लिए पीसीओएस नाम की बीमारी जिम्मेदार होती है। कैसे खानपान के माध्यम से इस बीमारी के लक्षणों को करें नियंत्रित, बता रही हैं शमीम खान

Kajal Sharma हिन्दुस्तानFri, 7 Feb 2025 12:34 PM
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पीरियड पेन की वजह हो सकता है आपका खान-पान, डॉक्टर से जानें क्या खाएं, क्या नहीं

पीरियड के समय में बहुत ज्यादा दर्द होने के कई कारण हो सकते हैं। पर, इन कारणों में सबसे आम है, पीसीओएस यानी पॉलीसिस्टिक ओवर्री ंसड्रोम। यह एक सामान्य डिसऑर्डर है, जो कई महिलाओं को प्रभावित करता है। एक अनुमान के अनुसार, हर पांच में से एक भारतीय महिला (20 प्रतिशत) पीसीओएस से पीड़ित है। पीसीओएस का कोई उपचार नहीं है, लेकिन कई तरह के उपचार विकल्प उपलब्ध हैं जो इसके लक्षणों को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पीसीओएस एक ऐसी स्थिति है, जो महिलाओं में हार्मोन के स्तर को प्रभावित करती है। इसमें गर्भाशय में कई छोटी-छोटी गांठें बन जाती हैं। यह समस्या अधिकतर 15-44 वर्ष की महिलाओं को होती है, क्योंकि इसी दौरान उन्हें पीरियड होता है और वो गर्भधारण करती हैं। पीसीओएस महिलाओं में बांझपन का सबसे प्रमुख कारण है क्योंकि यह एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरॉन दोनों हार्मोन के स्राव को प्रभावित करता है। जीवनशैली और खानपान इसके लक्षणों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वहीं कुछ खाद्य पदार्थों के सेवन से लक्षण और गंभीर हो सकते हैं। तो जानिए पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को कौन-कौन से खाद्य पदार्थ नहीं खाना चाहिए और इन्हें खाने से क्या-क्या समस्याएं हो सकती हैं।

रिफाइंड फूड्स का असर

रिफाइंड फूड्स में फाइबर और पोषक तत्व नहीं होते हैं। इनसे इंसुलिन रेजिस्टेंस, शरीर में वसा की मात्रा बढ़ना और सूजन होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। मैदा, साबुदाना, सूजी, चिप्स, वेफर्स, कुकीज, बिस्कुट, ब्रेड, टोस्ट, पाव, पास्ता, मफिन, केक आदि रिफाइंड फूड्स के कुछ उदाहरण हैं। इन रिफाइंड फूड्स को अपनी डाइट चार्ट से पूरी तरह निकाल दें और इनके बजाय दालें, फलियां, ताजे फल व सब्जियां, मेवों को शामिल करें।

वसा से भरपूर खाद्य पदार्थ

सभी वसा खराब नहीं होती। पर, यह भी सच है कि कुछ वसा के कारण पीसीओएस के लक्षण गंभीर हो जाते हैं। मेवों और बीजों से मिलने वाली वसा संपूर्ण स्वास्थ्य और पीसीओएस के प्रबंधन में भी सहायता कर सकती है। लेकिन सैचुरेटेड और ट्रांस फैट्स पीसीओएस के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। चीज, मिठाइयां, प्रोसेस्ड फूड्स, लाल मांस और वसा युक्त दूध व दुग्ध उत्पाद के सेवन से बचें, क्योंकि इनमें सैचुरेटेड और ट्रांस फैट्स काफी मात्रा में होते हैं। जिन महिलाओं को पीसीओएस होता है, उन्हें अपनी डाइट में स्वस्थ वसा को शामिल करना चाहिए ताकि हार्मोन का संतुलन बना रहे और सूजन कम हो। वहीं, अस्वस्थ वसा का सेवन कम से कम करें ताकि पीसीओएस के लक्षणों पर इनके नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सके। खाना पकाने के लिए मूंगफली, तिल, जैतून, सोयाबीन, सूरजमुखी के तेल का इस्तेमाल करें, क्योंकि इनमें काफी मात्रा में मोनो सैचुरेटेड फैटी एसिड्स होते हैं।

क्या पिएं, क्या नहीं?

फलों के जूस, शेक के बजाय साबुत फल खाएं। जूस में फाइबर नहीं होता और इस वजह से जूस के सेवन से रक्त में शुगर का स्तर भी तेजी से बढ़ता है। बाजार में मिलने वाले डिब्बाबंद जूस का सेवन तो बिल्कुल न करें क्योंकि इनमें शुगर की मात्रा काफी अधिक होती है और कई तरह के प्रिजर्वेटिव्स होते हैं। सोडा, एनर्जी ड्रिंक्स, स्पोटर्स ड्रिंक्स, अल्कोहल, कॉकटेल्स, मॉकटेल्स और हाई कैलोरी स्मूदी का सेवन भी न करें। इनके बजाय पानी, हर्बल टी, कम वसा वाला दूध, छाछ, घर में बनी स्मूदी व सत्तु का सेवन करें।

ग्लूटन का गणित

जो महिलाएं पीसीओएस से पीड़ित होती हैं, उन्हें सूजन की समस्या अधिक होती है। कई अध्ययनों में यह सामने आया है कि रोज गेहूं और ग्लूटन युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से सूजन की समस्या और गंभीर हो जाती है। दिन में बस एक बार गेहूं का सेवन सूजन को कम करने में सहायता कर सकता है। इसलिए हमेशा गेहूं से बनी रोटियां, परांठे और पूरियां न खाएं। दिन के एक खाने में सिर्फ दालें और मोटे अनाज लें।

बचें इनके सेवन से

हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) वाले खाद्य पदार्थ उन्हें कहा जाता है, जिनके सेवन से रक्त में शुगर का स्तर तेजी से बढ़ता है। जिन महिलाओं को पीसीओएस होता है, उनके लिए यह समस्या और गंभीर हो सकती है। रक्त में शुगर के स्तर में उतार-चढ़ाव हार्मोनों के निर्माण को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे पीसीओएस के लक्षण जैसे अनियमित पीरियड और मुहांसों की समस्या गंभीर हो सकती है। अधिकतर खाद्य पदार्थ जिनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स अधिक होता है, उनके सेवन से बचना चाहिए जैसे ब्रेड, सफेद चावल, चिप्स और डिब्बाबंद मीठे खुशबूदार पेय पदार्थ। कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ भी होते हैं जिनका जीआई तो अधिक होता है, लेकिन वो पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जैसे आलू, शकरकंद, मक्का, केला और अंगूर। जीआई फूड्स से पूरी तरह बचना तो संभव नहीं है, लेकिन आप इन्हें उन खाद्य पदार्थों के साथ खाएं जिनका जीआई कम हो जैसे दालें, फलियां, मेवे, बीज, सब्जियां ताकि रक्त में शुगर के स्तर को तेजी से बढ़ने से रोका जा सके।

(एलान्टिस हेल्थकेयर, नई दिल्ली में गाइनेकोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. मनन गुप्ता से बातचीत पर आधारित)

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