क्या आपको पता है मोटापे और ज्यादा वजन में फर्क? जानें क्या होते हैं अलग-अलग नुकसान और बचाव
- वजन ज्यादा होना और मोटापे की शिकार होने में एक बारीक सा अंतर है। इस अंतर की समझ वजन घटाने की आपकी कोशिशों में प्रभावी साबित हो सकती है, बता रही हैं स्वाति गौड़
दुनिया भर में मोटापे की समस्या गंभीर रूप लेती जा रही है। चिंताजनक बात यह है कि इस परेशानी से विश्व के लगभग सभी देश जूझ रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2022 में दुनिया भर में18 वर्ष और उससे अधिक आयु के लगभग 250 करोड़ लोग सामान्य से अधिक वजन की समस्या से ग्रस्त थे। पर, इन सभी को मोटापे की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता क्योंकि मोटापे और अधिक वजन होने में अंतर होता है। हालांकि यह अंतर बहुत ज्यादा नहीं होता है क्योंकि यह दोनों स्थितियां ही शरीर में अत्यधिक वसा इकट्ठा हो जाने, खराब जीवनशैली, असंतुलित खानपान और आनुवांशिक कारणों से जुड़ी हुई हैं। फिर भी मोटापे और अधिक वजन के लक्षण एक-दूसरे से थोड़े अलग होते ही हैं।
क्या है मूल अंतर
बीएमआई यानी बॉडी मास इंडेक्स की मदद से यह पता लगाया जा सकता है कि कोई व्यक्ति मोटापे से ग्रस्त है या उसका वजन सामान्य से अधिक है। दरअसल, एक सामान्य व्यक्ति के वजन और लंबाई के अनुपात में उसके शरीर में वसा की मात्रा होनी चाहिए। इसे व्यक्ति के वजन (किलोग्राम में) और लंबाई (मीटर में) के वर्ग से विभाजित करके मापा जाता है। इसके आधार पर पता लगाया जाता है कि उस व्यक्ति का वजन अधिक है या मोटापे की समस्या है।
क्या है मोटापा
यह एक ऐसी शारीरिक स्थिति है जिसमें शरीर में अत्यधिक वसा जमा होने लगती है, जिसका दुष्प्रभाव सेहत पर पड़ता है। मोटापे की समस्या की जांच किसी व्यक्ति के बीएमआई को मापकर की जाती है।
अधिक वजन का अर्थ
सामान्य से ज्यादा वजन की जांच भी बीएमआई के आधार पर की जाती है। इसमें व्यक्ति के कद के अनुरूप स्वस्थ माने जाने वाले वजन से ज्यादा वजन होने पर इस श्रेणी में माना जाता है। हालांकि दोनों ही स्थितियों में समान लक्षण होते हैं, लेकिन कुछ लक्षण भिन्न-भिन्न होते हैं। दोनों ही स्थितियां शरीर में अत्यधिक वसा जमा हो जाने के कारण पैदा होती हैं, लेकिन मोटापे की समस्या में शरीर में वसा का संचय बहुत अधिक हो जाता है।
स्वास्थ्य सबंधी समस्याएं
हालांकि अधिक वजन होने पर टाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन फिर भी वजन ज्यादा होने पर भी संतुलित खानपान, स्वस्थ जीवनशैली और तनाव प्रबंधन करके सेहतमंद जीवन जिया जा सकता है। पर, मोटापा अपने साथ बहुत सारी जटिलताएं लेकर आता है। इस स्थिति में उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल बढ़ना और दिल की बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है।
कार्यक्षमता पर प्रभाव
मोटापे की समस्या होने पर शारीरिक गतिविधियां बड़े स्तर पर प्रभावित होने लगती हैं। उदाहरण के लिए इस स्थिति में चलने-फिरने, सीढ़ियां चढ़ने-उतरने और यहां तक की झुकने में भी परेशानी होने लगती है। वजन ज्यादा होने पर भी शारीरिक गतिविधियां प्रभावित तो होती हैं, लेकिन मोटापे की तुलना में प्रभाव कम गंभीर होता है।
बीएमआई का आकलन
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यदि किसी व्यक्ति का बीएएमआई 30 के बराबर या उससे अधिक है तो उसे मोटा माना जाएगा। लेकिन बीएएमआई 25 के बराबर या कुछ ज्यादा होने पर वजन अधिक माना जाता है। यह अंतर व्यक्ति के कद के अनुसार अतिरिक्त वजन पर आधारित होता है।
क्या है उपचार
दोनों ही स्थितियों में वजन नियंत्रित करने पर जोर दिया जाता है, लेकिन तरीकों में भिन्नता हो सकती है। मोटापे की समस्या होने पर सेहतमंद जीवनशैली अपनाने के अलावा अकसर दवाई, सर्जरी और इलाज जैसे विकल्प भी अपनाने पड़ते हैं, जो पूरी तरह समस्या की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। लेकिन वजन ज्यादा होने पर चिकित्सकीय उपायों की बजाय संतुलित आहार, जीवनशैली में बदलाव और नियमित व्यायाम करने जैसी आदतें अपनाने पर जोर दिया जाता है। कारण चाहे जो भी हो लेकिन कुछ सामान्य बदलाव करके काफी हद तक वजन को नियंत्रित किया जा सकता है।
आजमाएं ये तरीके
भरपूर पानी पिएं: पूरे दिन में कम से कम आठ गिलास पानी अवश्य पिएं ताकि शरीर में जल स्तर का संतुलन ठीक बना रहे। असमय भूख लगने पर फौरन कुछ भी खाने की बजाय पहले एक गिलास पानी पीकर देखें क्योंकि कभी-कभी शरीर में पानी की कमी होने को भी हम भूख समझ लेते हैं। पानी पीने से अतिरिक्त खाने की आदत पर लगाम लगता है और वजन भी नियंत्रण में रहता है।
खाने की मात्रा पर ध्यान: भोजन हमेशा भरपेट ही करना चाहिए, लेकिन उसकी मात्रा पर ध्यान देना भी बहुत जरूरी है। अकसर लोग स्वाद-स्वाद में बहुत ज्यादा खा लेते हैं। कभी-कभार ऐसा करने में कोई बुराई नहीं, लेकिन रोजाना ही इस प्रकार से खाना सेहत पर भारी पड़ सकता है। खाना हमेशा छोटी प्लेट में ही लें और भूख से एक रोटी कम खाएं।
अपनाएं सेहतमंद जीवनशैली: जीवन में अनुशासन और आहार संबंधी आदतों में अनुशासन वजन नियंत्रित रखने के लिए बहुत जरूरी है। बाहर का खाना खाने के बजाय घर के बने पोषक और सादे खाने का ही सेवन करें ताकि शरीर को आवश्यक पोषण मिल सके। साथ ही नियमित रूप से व्यायाम करने की आदत भी डालें। इससे अतिरक्त कैलोरी जमा नहीं हो पाएंगी और चुस्ती-फुर्ती बनी रहेगी।
(डाइटीशियन विधि जैन से बातचीत पर आधारित)
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