कहीं आप भी तो नहीं खा रहे विटामिन बी12 और डी के सप्लिमेंट्स? जानें फायदे-नुकसान पर क्या बोले डॉक्टर
- अगर आप सेहतमंद जिंदगी जीने के अपने लक्ष्य को पाना चाहती हैं शरीर में विटामिन्स और मिनरल्स की कमी की ओर भी ध्यान देना जरूरी है। क्या हैं ये माइक्रोन्यूट्रिएंट्स और इनकी कमी दूर करने के लिए सप्लीमेंट्स का सेवन है कितना सही, बता रही हैं शमीम खान
पोषक तत्वों की दुनिया बहुत विस्तृत है। प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट जैसे पोषक तत्वों की जहां शरीर को ज्यादा मात्रा में जरूरत होती है, वहीं विटामिन- बी12, विटामिन-डी, कैल्शियम, आयरन जैसे माइक्रोन्यूट्रिएंट्स भी हैं, जिनकी जरूरत वैसे तो हमारे शरीर को कम मात्रा में होती है, पर इनकी कमी कई बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए जिम्मेदार होती है। अगर शरीर को आहार के माध्यम से ये पोषक तत्व नहीं मिल पा रहे हैं तो इनकी आपूर्ति के लिए सप्लीमेंट्स लेना जरूरी हो जाता है क्योंकि शरीर को स्वस्थ रखने में इनकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
क्यों जरूरी हैं माइक्रोन्यूट्रिएंट्स?
शरीर के विभिन्न अंगों के सुचारू रूप से कार्य करने और तेज मेटाबॉलिज्म के लिए माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की भूमिका अहम होती है। माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं की शिकार पुरुषों से ज्यादा महिलाएं होती हैं। इनमें वजन से जुड़ी समस्याएं, अनिंद्रा और डायबिटीज जैसी परेशानियां शामिल हैं। खास बात यह है कि इनमें से अधिकतर स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है। इसके लिए बस आपको पोषक तत्वों से भरपूर भोजन का सेवन करना होगा या फिर जरूरी हो तो इन पोषक तत्वों की आपूर्ति सप्लीमेंट्स के माध्यम से करें। एक मल्टीनेशनल कंज्यूमर हेल्थकेयर कंपनी द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी से महिलाएं कमजोर रोग प्रतिरोधक तंत्र, ऊर्जा की कमी, हड्डी और जोड़ों की समस्या व कमजोर पाचन तंत्र की समस्या से जूझती हैं।
ठीक है सप्लीमेंट्स पर निर्भरता?
जब खाद्य पदार्थों से विटामिन्स और मिनरल्स की पूर्ति नहीं होती है, तो सप्लीमेंट्स से इनकी कमी को दूर करने का प्रयास किया जाता है। सप्लीमेंट्स दो तरह के होते हैं। कुछ सप्लीमेंट्स फलों, सब्जियों, जड़ी-बूटियों और दूसरे खाद्य पदार्थों से तैयार किए जाते हैं। वहींर्, सिंथेटिक सप्लीमेंट्स प्रयोगशाला में तैयार किए जाते हैं। बाजार में विटामिन, मिनरल, अमीनो एसिड्स, हब्र्स, एंजाइम्स, प्रोबायोटिक्स और एंटी ऑक्सीडेंट्स के सप्लीमेंट्स उपलब्ध हैं। इनमें से विटामिन्स और मिनरल्स के सप्लीमेंट्स बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि शरीर की विभिन्न गतिविधियों जैसे ऊर्जा, मेटाबॉलिज्म, रोग प्रतिरोधक तंत्र, हड्डियों और उतकों को स्वस्थ रखने के लिए ये बहुत महत्वपूर्ण हैं।
न्युट्रिशनल सप्लीमेंट्स फायदेमंद होते हैं, लेकिन वो संतुलित और पोषक तत्वों से भरे भोजन का विकल्प नहीं हैं। मल्टी विटामिन्स और मिनरल्स के सप्लीमेंट्स विश्व में सबसे ज्यादा लिए जाने वाले सप्लीमेंट्स हैं। पिछले कुछ वर्षों में इनका सेवन अत्यधिक बढ़ा है। इसके पीछे एक सामान्य धारणा है कि मल्टी-विटामिन्स स्वस्थ्य रखते हैं और गंभीर बीमारियों की चपेट में आने से बचाते है। हाल ही में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ अप्लाइड एंड बेसिक मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, 30 प्रतिशत लोग बिना डॉक्टर की सलाह के मल्टी विटामिन्स और मिनरल्स का सेवन करते हैं। यह सही है कि स्वस्थ रहने के लिए शरीर को 13 विटामिन्स और 15 मिनरल्स की जरूरत होती है, लेकिन डॉक्टर की सलाह के बिना इनका सेवन करना आपके जीवन के लिए खतरा बढ़ा सकता है। जो लोग विटामिन बी-12 और विटामिन-डी के सप्लीमेंट्स लेते हैं उन्हें हर 6-8 महीने में अपना ब्लड टेस्ट करवाना चाहिए।
(डॉ. मोहन कुमार सिंह, सीनियर कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन, र्मैंरगो एशिया हॉस्पिटल, गुरूग्राम से बातचीत पर आधारित)
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