हर समय रहती है थकान? जानें क्या है आपकी एनर्जी कम होने की वजह
- काम करना और उसके बाद थक जाना बेहद सामान्य शारीरिक प्रतिक्रिया है। पर, अगर आप थोड़ा-सा भी कुछ काम करने के बाद थकने लगती हैं, तो आपको अपनी ताकत बढ़ाने की दिशा में काम करना होगा। कैसे खुद को बनाएं भीतर से ताकतवर, बता रही हैं शमीम खान
थकान एक बहुत ही सामान्य स्वास्थ्य समस्या है। हम सभी लोग कभी न कभी थका हुआ महसूस करते हैं। कुछ लोग थोड़ा सा काम करने पर ही थक जाते हैं, तो कई लोग लगातार काम करने पर भी तरोताजा और ऊर्जा से भरे हुए रहते हैं। दरअसल इसका कारण अलग-अलग लोगों का स्टेमिना अलग-अलग होती है। व्यक्ति विशेष के स्टेमिना पर ही उनका शारीरिक और मानसिक प्रदर्शन निर्भर करता है।
स्टेमिना उस शक्ति और ऊर्जा को कहते हैं, जो शरीर और मस्तिष्क को विभिन्न काम करने के लिए सक्षम बनाती है। दरअसल, स्टेमिना शरीर की ऊर्जा, क्षमता और सहनशीलता का स्तर है, जो हर इंसान का अलग-अलग होता है। जिन लोगों की स्टेमिना अच्छा होती है वो अपने निजी और पेशेवर कामों को ज्यादा बेहतर तरीके से कर पाते हैं। लेकिन कुछ लोगों की स्टेमिना इतनी कम होती है कि वो थोड़ा सा काम करने पर ही थक जाते हैं। पर, अच्छी बात यह है कि जीवनशैली को बेहतर बनाकर, खानपान की आदतों में बदलाव लाकर और शारीरिक सक्रियता बढ़ाकर स्टेमिना को बेहतर किया जा सकता है।
सुबह के नाश्ते से समझौता नहीं
सुबह के नाश्ते को यूं ही दिन भर का सबसे महत्वपूर्ण आहार नहीं कहा जाता। अमेरिकन जर्नल ऑफ फीजियोलॉजी में प्र्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक जो लोग सुबह का नाश्ता करने के बाद व्यायाम करते हैं, उनका शरीर कार्बोहाइड्रेट को तेजी से ऊर्जा में तब्दील करता है। यानी ऐसे लोगों की स्टेमिना बेहतर होती है। अपने दिन की शुरुआत सेहतमंद और पोषक तत्वों से भरे नाश्ते से करें। इससे न केवल आपका मेटाबॉलिज्म सुधरेगा बल्कि 8-10 घंटे के ब्रेक के बाद शरीर को जिस ऊर्जा की जरूरत होती है, वो भी मिलेगी।
पानी व अन्य तरल पदार्थों का सेवन
अगर आपको अकसर ऊर्जा की कमी महसूस होती है तो इसका कारण डिहाइड्रेशन भी हो सकता है। हमेशा ऊर्जा से भरपूर बने रहने के लिए तरल पदार्थों का सेवन बढ़ा दें। नियमित अंतराल पर पानी पिएं। जिन महिलाओं को लगता है कि उनका स्टेमिना बहुत कम है वो नाश्ते में एक कप चुकंदर का जूस ले सकती हैं। इसमें अच्छी मात्रा में नाइट्रेट होता है, जो नाइट्रिक एसिड में तब्दील होकर रक्तसंचार को बेहतर बनाकर व रक्तचाप को नियंत्रित रखकर स्टेमिना बढ़ाने का काम करता है।
गुनगुने पानी का असर
मेटाबॉलिज्म को तेज करने और पाचन तंत्र को बेहतर बनाने के लिए हल्का गर्म पानी पीना सबसे सामान्य और प्रभावी तरीका है। सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुना पानी पिएं और दोपहर के खाने के बाद या दिन में 2-3 बार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में इसे पिएं। इससे स्टेमिना और सहन शक्ति बेहतर होती है।
कार्बोहाइड्रेट का सेवन
आजकल बिना कार्बोहाइड्रेट वाली डाइट का चलन बहुत बढ़ गया है, लेकिन यह डाइट सेहत के लिए अच्छी नहीं हैं। कार्बोहाइड्रेट शरीर को स्टार्च और शुगर उपलब्ध कराते हैं, जो शरीर को ऊर्जा देते हैं और स्टेमिना बढ़ाते हैं। कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थ शरीर का मुख्य ईंधन होते है। यह शरीर में शुगर के स्तर को नियंत्रित रखने में भी सहायता करते हैं। ताजे फल, सूखे मेवे, शकरकंद, ब्राउन ब्रेड, ब्राउन राइस आदि कार्बोहाइड्रेट के अच्छे स्रोत हैं।
मैग्नेशियम को ना भूलें
मैग्नेशियम ग्लूकोज को ऊर्जा में बदल देता है। इससे शरीर को तुरंत ऊर्जा मिलती है। हरी पत्तेदार सब्जियां, सूखे मेवे, बीज, मछलियां, सोयाबीन, केले और डार्क चॉकलेट्स में मैग्नेशियम अच्छी मात्रा में पाया जाता हैं।
नमक का हो संतुलित सेवन
जब आप व्यायाम या दूसरी शारीरिक गतिविधियां करते हैं तो पसीना निकलता है। इसमें बहुत सारे मिनरल्स भी निकल जाते हैं। नमक का सेवन कम करने से इलेक्ट्रोलाइट्स का असंतुलन हो जाता है और सोडियम का स्तर अचानक गिर सकता है। इससे चक्कर आ सकते हैं और स्टेमिना कम हो सकती है। इसलिए 2300-2400 मिलिग्राम नमक का सेवन प्रतिदिन जरूर करना चाहिए।
व्यायाम से मिलेगा लाभ
नियमित रूप से एक्सरसाइज करना स्टेमिना बढ़ाता है और थकान से दूर रखता है। हल्के व्यायाम जैसे जॉगिंग, साइकलिंग, स्विमिंग और टहलने से कैलारी भी बर्न होती है और स्टेमिना भी बढ़ता है। योग भी स्टेमिना को बेहतर बनाने में बहुत कारगर है। नियमित रूप से योग करने से मेटाबॉलिज्म तेज होता है, स्टेमिना बेहतर होती है।
नींद लें भरपूर
सात से आठ घंटे की नींद लेने से तनाव कम होता है तथा मेटाबॉलिज्म और पाचन तंत्र बेहतर तरीके से काम करता है। अच्छी और पर्याप्त नींद से स्टेमिना भी बढ़ती है। रात को अच्छी नींद लेने के लिए सोने से 2 घंटा पहले डिनर लें और डिनर करने के बाद थोड़ी देर टहलें। साथ ही फोन व अन्य गैजेट से दूर रहें।
(र्मैंरगो एशिया हॉस्पिटल, गुरुग्राम में इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मोहन कुमार सिंह से बातचीत पर आधारित)
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