चंपाई सोरेन के जाने से कोल्हान में बदलेगी झामुमो की चाल, भाजपा को कैसे मजबूती
इस समय कोल्हान में 11 विधायक झामुमो, दो कांग्रेस और एक निर्दलीय है। खरसावां के विधायक दशरथ गागराई, मझगांव के विधायक निरल पूर्ति, चाईबासा के विधायक दीपक बिरुवा ऐसे चेहरे हैं, जो कभी चंपाई सोरेन के करीबी कार्यकर्ता हुआ करते थे।
पिछले दो दशक से भी अधिक समय से कोल्हान में झामुमो की राजनीति चंपाई सोरेन के इर्द-गिर्द ही केंद्रित रही। वह संगठन की बागडोर खुद संभालते थे। अब जब यह साफ हो गया कि वे पार्टी छोड़ने का मन बना चुके हैं, ऐसे में झामुमो के लिए पूरे कोल्हान में सांगठनिक नियंत्रण बनाए रखना चुनौती होगी। पार्टी को अब नए सिरे से रणनीति बनानी होगी। कोल्हान टाइगर के नाम से मशहूर चंपाई सोरेन के अगले कदम पर सबकी निगाहें हैं।
आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई को अंजाम पर पहुंचाया
माना जाता रहा है कि कोल्हान में झामुमो की मजबूत स्थिति के लिए चंपाई सोरेन का चेहरा हमेशा से अहम रहा है। आदिवासी वोट बैंक चंपाई सोरेन अपने पक्ष में मोड़ने की क्षमता रखते हैं। अब जब चंपाई सोरेन खुद इस पार्टी को छोड़कर जा रहे हैं तो संगठन को उनकी भरपाई करने के लिए हर स्तर पर जद्दोजहद करनी पड़ेगी। कोल्हान में मजदूर आंदोलन से लेकर आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई तक के लिए चंपाई बड़ा चेहरा रहे हैं।
कोल्हान में बदलेगी झामुमो की चाल
इस समय कोल्हान में 11 विधायक झामुमो, दो कांग्रेस और एक निर्दलीय है। खरसावां के विधायक दशरथ गागराई, मझगांव के विधायक निरल पूर्ति, चाईबासा के विधायक दीपक बिरुवा ऐसे चेहरे हैं, जो कभी चंपाई सोरेन के करीबी कार्यकर्ता हुआ करते थे। चंपाई के पार्टी छोड़ने से कोल्हान के सियासी समीकरण पर असर पड़ना तय माना जा रहा है। इन 11 सीटों पर भी असमंजस और अविश्वास का भाव आने की आशंका जताई जा रही है, क्योंकि चंपाई इन सीटों के संदर्भ में लिए जाने वाले निर्णयों में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। उनके पार्टी छोड़कर जाने से ये विधायक पार्टी मुख्यालय समेत हेमंत सोरेन पर कितना विश्वास रख पाएंगे, साथ ही हेमंत से कितना संवाद कर पाएंगे, यह आने वाले समय में तय होगा।
चंपाई से भाजपा को मिलेगी मजबूती
झारखंड में झामुमो का गढ़ संताल और कोल्हान की धरती रही है। चंपाई सोरेन झामुमो को कोल्हान के क्षेत्र में मजबूत किले के तौर पर स्थापित करने वाले चेहरों में शुमार रहे हैं। साल 2019 में विधानसभा चुनाव के दौरान कोल्हान प्रमंडल की सभी आरक्षित और अनारक्षित सीटों पर झामुमो और कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी।
निर्दलीय सरयू राय पूर्वी जमशेदपुर की सीट तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराकर जीते थे। कोल्हान प्रमंडल की संताल आबादी में चंपाई सोरेन सबसे प्रभावशाली नेता रहे हैं, जबकि कोल्हान में हो आदिवासी समाज के बीच पकड़ रखने वाले मधु कोड़ा और गीता कोड़ा भी भाजपा के साथ हैं। झामुमो के लिए चंपाई सोरेन का साथ छूटना बड़ा झटका है। उनके झामुमो छोड़ने से सरायकेला, खरसावां, घाटशिला, पोटका को सीटें सीधे प्रभावित होंगी।
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