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सोरेन परिवार से नहीं थे JMM के पहले अध्यक्ष, विनोद बिहारी से लेकर हेमंत सोरेन तक; पूरा इतिहास

  • झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को जेएमएम का नया अध्यक्ष चुना गया है। हेमंत जेएमएम के चौथे अध्यक्ष हैं। उनसे पहले उनके पिता और दो अन्य लोगों ने जेएमएम की कमान संभाली। बता दें कि जेएमएम के पहले अध्यक्ष सोरेन परिवार से नहीं थे।

Mohammad Azam लाइव हिन्दुस्तान, रांचीWed, 16 April 2025 10:40 AM
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सोरेन परिवार से नहीं थे JMM के पहले अध्यक्ष, विनोद बिहारी से लेकर हेमंत सोरेन तक; पूरा इतिहास

चार फरवरी 1973 का दिन। धनबाद के गोल्फ ग्राउंड में बिनोद बिहारी महतो, एके राय और शिबू सोरेन ने मिलकर अलग राज्य की लड़ाई लड़ने के लिए झामुमो की स्थापना की। झारखंड मुक्ति मोर्चा के गठन के दिन बिनोद बिहारी महतो को इसका पहला अध्यक्ष चुना गया। शिबू सोरेन महासचिव बने थे। पार्टी के गठन के 14 वर्षों बाद 1987 में शिबू सोरेन पहली बार झामुमो के अध्यक्ष बने। लगभग 38 वर्षों बाद अपने पिता की विरासत संभालते हुए हेमंत सोरेन मंगलवार को पहली बार पार्टी के अध्यक्ष चुने गए। पार्टी गठन के 53 वर्षों बाद झामुमो के चौथे अध्यक्ष के रूप में हेमंत सोरेन की ताजपोशी हुई।

पार्टी के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे शिबू सोरेन अब संरक्षक की भूमिका में आ गए। लगभग चार दशक बाद अब उनके बेटे हेमंत सोरेन पार्टी की कमान संभालेंगे। 1973 से 1984 तक बिनोद बिहारी महतो ही अध्यक्ष रहे। बाद में 1984 में राजनीतिक परिस्थितियां बदलीं तो शिबू सोरेन ने निर्मल महतो को अध्यक्ष बनाया। निर्मल महतो की हत्या के बाद 1987 में शिबू सोरेन ने पार्टी की कमान संभाली और करीब 38 वर्षों तक अध्यक्ष रहे। शिबू सोरेन का स्वास्थ्य खराब रहने की वजह से यह माना जा रहा था कि हेमंत सोरेन ही पार्टी की कमान संभालेंगे। विधानसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत के बाद से ही तय था कि पार्टी में उनकी भूमिका बदलने वाली है।

झामुमो के आंदोलन का केंद्र रहा टुंडी

शिबू सोरेन ने अलग झारखंड राज्य की लड़ाई टुंडी के जंगलों में रहकर लड़ी। टुंडी के मनियाडीह में शिबू आश्रम इस आंदोलन का गवाह है। वह अपने आंदोलन के साथियों के साथ यहां बैठक करते थे। टुंडी से शुरू हुई अलग झारखंड राज्य की लड़ाई देखते-देखते अविभाजित बिहार के समय पूरे संताल-कोल्हान क्षेत्र में फैलने लगी। 80 के दशक से झामुमो ने संसदीय व्यवस्था में भी अपनी पकड़ बनानी शुरू कर दी। एकीकृत बिहार में झामुमो ने अपनी राजनीतिक धमक शिबू सोरेन के नेतृत्व में बनाए रखी। झारखंड राज्य के बाद झामुमो ने सियासत में गहरी पैठ बनायी। वर्षों बाद 15 नवंबर 2000 को अलग झारखंड राज्य की स्थापना की गई।

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