10 साल पहले किया था धर्म परिवर्तन, झारखंड में मौत के बाद गांव वालों ने नहीं दफनाने दिया शव
- झारखंड के लोहरदगा में एक व्यक्ति ने धर्म परिवर्तन कर लिया था। बीते दिनों उसकी मौत हुई तो शव को गांव लाया गया। यहां गांव के लोगों ने शव को दफनाने से रोक दिया। 36 घंटे के बाद दूसरी जगह शव को दफनाया गया।
झारखंड के लोहरदगा में कैरो प्रखंड के महुवरी गांव निवासी 55 वर्षीय दुखा उरांव को धर्म परिवर्तन करना मौत के बाद भारी पड़ गया। महुवरी निवासी उसके ग्रामीणों ने शव को गांव में दफनाने नहीं दिया। 36 घंटे के बाद प्रशासन की पहल पर दूसरी जगह ले जाकर शव को दफनाया गया।
जानकारी के अनुसार, दुखा करीब 10 वर्ष पहले सरना धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपनाते हुए पैंटीकोस्टल चर्च से जुड़ गया था। वह वर्ष 2007 में पैतृक गांव छोड़ रांची में जाकर बस गया था। रविवार को इलाज के दौरान रांची में ही उसकी मौत हो गई। मौत के बाद शव को अंतिम संस्कार के लिए रविवार को रांची से लोहरदगा जिले के कैरो स्थित महुवरी गांव लाया गया था। महुवरी गांव के बाकी मिशन समुदाय के लोग एनडब्ल्यूजीईएल चर्च से जुड़े हुए हैं। जबकि दुखा पैंटीकोस्टल चर्च से जुड़े थे, इस कारण गांव के ईसाई समुदाय के लोगों ने अपने कब्रिस्तान में उसके शव को दफनाने नहीं दिया।
इसके बाद दुखा के परिजनों ने जब अपनी जमीन पर शव दफन के लिए कब्र खोदी, तब उनके ही सगे-संबंधी वहां आकर शव दफनाने के विरोध में खड़े हो गए। इनका कहना था कि हमलोग पहान परिवार से हैं। जबकि दुखा ईसाई बन गया था। हमारी जमीन का बंटवारा नहीं हुआ है, ऐसे में दूसरे धर्म अपना चुके दुखा का शव वे अपनी पारिवारिक पुश्तैनी जमीन में दफनाने नहीं देंगे। जब मामले की जानकारी प्रशासन को मिली। जब प्रशासन की टीम गांव पहुंची। एसपी हारिस बिन जमां, एसडीओ अमित कुमार, डीएसपी हेडक्वार्टर, जेल अधीक्षक, बीडीओ छंदा भटाचार्य, सीओ शीला उरांव ने ग्रामीणों को बहुत समझाने का प्रयास किया, पर कोई हल नहीं निकला। 36 घंटे इंतजार के बाद प्रशासन ने एंबुलेंस से शव को लोहरदगा के सेरेंगहातू में अंत्येष्टि कराई गई। एक साल पहले जब दुखा के पिता की मौत हुई थी तब भी उन्हें दफन करने में ऐसी ही स्थिति का सामना परिवारवालों को करना पड़ा था।
दूसरी जगह दफनाया
इस मामले में सीओ शीला उरांव, थाना प्रभारी कुलदीप राज टोप्पो और कैरो प्रखंड के प्रविप छंदा भट्टाचार्य ने बताया कि हमलोग लाश के डिस्पोजल को लेकर उत्पन्न विवाद को सलटाने का प्रयास सोमवार से ही कर रहे थे, पर मामला नहीं सलटा। इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को दी गई। पुलिस कप्तान हारिस बिन जमां, सिविल एसडीओ अमित कुमार और डीएसपी समीर तिर्की गांव के प्रबुद्धजनों और मिशन वाले को थाने बुलाकर मामले को सलटाने का प्रयास किए, पर लोग गांव में उसे दफनाने से साफ मना कर दिया। दुखा के परिवार के बंधना उरांव ने भी अपनी जमीन पर यह कहकर शव दफनाने से मना कर दिया कि दुखा दूसरा धर्म अपना चुका है, इसलिए वे अपनी जमीन में शव दफन नहीं करने देंगे। इसके बाद सिविल एसडीओ अमित कुमार के निर्देश पर सेन्हा थाना क्षेत्र के सेरेंगहातू गांव में कब्रिस्तान के बाहर दफन कराया गया।