ऐसे क्यों कहा जा रहा कि बंगाल से कोयलांचल को सतर्क रहने की जरूरत
कोरोना संक्रमण को लेकर कोयलांचल-संताल को पश्चिम बंगाल से सतर्क रहने की जरूरत है। झारखंड में पब्लिक हेल्थ सर्विलांस की बैठक में भी इस बात पर जोर दिया गया है। संक्रमण के कुछ मामलों का बंगाल कनेक्शन के...
कोरोना संक्रमण को लेकर कोयलांचल-संताल को पश्चिम बंगाल से सतर्क रहने की जरूरत है। झारखंड में पब्लिक हेल्थ सर्विलांस की बैठक में भी इस बात पर जोर दिया गया है। संक्रमण के कुछ मामलों का बंगाल कनेक्शन के कारण चिंता ज्यादा है।
संताल-कोयलांचल के छह जिले की सीमा बंगाल से सटती है। बंगाल संक्रमण को लेकर अपेक्षाकृत ज्यादा संवेदनशील है। बंगाल में संक्रमितों की संख्या भी ज्यादा है। ऐसे में पड़ोसी राज्य की सीमा से सटे होने के कारण संताल-कोयलांचल को भी खतरा है।
पिछले दिनों में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर बंगाल की सीमा से झारखंड में प्रवेश करते रहे हैं। इसलिए एंट्री प्वाइंट पर रोक एवं मुकम्मल स्क्रीनिंग जरूरी है। जानकार कहते हैं कि बंगाल में लॉकडाउन के दौरान मानवीय दृष्टिकोण की बात कहकर ढील दी गई थी। खासकर फलों के कारोबार में। हावड़ा जैसे इलाके में इससे स्थिति खराब हुई थी। हालांकि अब बंगाल सरकार ने भी सख्ती शुरू की है।
कोयलांचल-संताल के छह जिले बोकारो, धनबाद, जामताड़ा, दुमका, पाकुड़ एवं साहिबगंज की सीमा बंगाल से सटती है। न केवल सीमा सटती है बल्कि झारखंड-बंगाल के लोग रोज दैनिक जीवन से जुड़ी गतिविधियों को लेकर रोज आते-जाते रहते हैं। सामाजिक एवं सांस्कृतिक घनिष्टता है। यह करीबी कोरोना के प्रसार को बल दे सकता है। इसलिए रिश्तों के इस प्रवाह को कुछ दिन के लिए सोशल डिस्टेंसिंग की दरकार है।
अधिकृत चेक प्वाइंट पर सख्ती काफी नहीं : यूं तो संताल-कोयलांचल के बंगाल से सटी सीमा पर सतर्कता बरती जा रही है लेकिन यह काफी नहीं है। हाइवे से लगती सीमा या फिर अधिकृत चेक प्वाइंट पर ही सरकारी अमला सतर्क है। परेशानी यह है कि झारखंड-बंगाल के गांव आपस में जुड़े हैं। इन रास्तों पर सतर्कता नहीं है। प्रवासी मजदूर इन रास्तों का भी उपयोग कर रहे हैं। मसलन मैथन के पास हाइवे पर जांच होती है लेकिन निरसा क्षेत्र एवं बलियापुर के बंगाल से लगती सीमा पर स्थित गांव से जो आवाजाही होती है, उसपर रोक नहीं है। इसी तरह दुमका जिले की सीमा बंगाल के वीरभूम जिले से सटती है। सीमाई क्षेत्र पत्थर उद्योग के लिए विख्यात है। दुमका के सीमाई इलाके के लोग रोज रामपुरहाट अपनी दैनिक जरूरतों के लिए जाते हैं। दुमका और वीरभूम जिले में स्थित पत्थर उद्योग एवं क्रशर में अंतर करना मुश्किल है। दोनों राज्य के मजदूर आते-जाते रहते हैं। यही स्थिति पाकुंड़-जामताड़ा की भी है। सैंकड़ों किलोमीटर क्षेत्र बंगाल की सीमा से सटी है। संताल के इन क्षेत्रों में वाया बंगाल परोक्ष रूप से बांग्लादेश तक से जुड़ाव है।