झारखंड के दुमका से मजदूरों को लद्दाख ले जानी वाली ट्रेन रद्द
भारत-चीन सीमा पर सड़क निर्माण के लिए शुक्रवार को संताल-परगना के मजदूरों को लेकर उधमपुर रवाना होने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेन अंतिम समय में रद्द हो गई। सीमा सड़क संगठन(बीआरओ) द्वारा इस स्पेशल ट्रेन से...
भारत-चीन सीमा पर सड़क निर्माण के लिए शुक्रवार को संताल-परगना के मजदूरों को लेकर उधमपुर रवाना होने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेन अंतिम समय में रद्द हो गई। सीमा सड़क संगठन(बीआरओ) द्वारा इस स्पेशल ट्रेन से मजदूरों को लेह-लद्दाख ले जाना था। दुमका रेलवे स्टेशन से दोपहर 2 बजे खुलने वाली इस श्रमिक स्पेशल ट्रेन को हरी झंडी दिखाने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आने वाले थे पर उनका कार्यक्रम भी स्थगित हो गया।
उपायुक्त राजेश्वरी बी ने बताया कि अपरिहार्य कारणों से ट्रेन को री-शेड्यूल करना पड़ा है। यह बीआरओ और एमएचए (गृह मंत्रालय) के बीच का मामला है। उन्होंने बताया कि अब 13 जून को ट्रेन का दुमका से रवाना होना संभावित है। उपायुक्त ने बताया कि उम्मीद है कि मुख्यमंत्री भी आएंगे। उपायुक्त ने बताया कि लद्दाख जाने के लिए अभी भी मजदूर आ रहे हैं और उनका रजिस्ट्रेशन हो रहा है।
तीन जिलों से 570 मजदूरों का हो चुका था रजिस्ट्रेशन : बता दें कि दुमका से उधमपुर के लिए शुक्रवार को रवाना होने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेन दुमका के प्लेटफॉर्म नम्बर 1 पर लग चुकी थी। 22 बोगी वाली इस स्पेशल ट्रेन की यात्री क्षमता 1584 की है। कम से कम एक हजार मजदूर शुक्रवार को इस ट्रेन से उधमपुर रवाना होने वाले थे। बीआरओ ने उधमपुर से बसों से मजदूरों को लेह लद्दाख ले जाने की व्यवस्था की है। लद्दाख जाने के लिए शुक्रवार को दोपहर तक दुमका,पाकुड़ और साहिबगंज जिलों से कुल 570 मजदूरों का रजिस्ट्रेशन हो चुका था। इनमें दुमका जिला से 430 और पाकुड़ एवं साहिबगंज जिलों से 70-70 मजदूरों का रजिस्ट्रेशन हुआ था। मजदूरों को उनके गांव से बसों से दुमका स्टेशन लाया गया था। अंतिम समय में ट्रेन रद्द हो जाने के बाद सभी मजदूरों को भोजन करा कर दुमका में इंडोर स्टेडियम और आत्मा परिसर में ठहराया गया है।
मजदूरों ने डीसी से कहा-‘पहले मेट डील कर लेते थे : दुमका रेलवे स्टेशन के बाहर बने पंडाल में जिला प्रशासन की ओर से उपायुक्त राजेश्वरी बी, एसपी अंबर लकड़ा के साथ ही बीआरओ के प्रतिनिधि कर्नल परमानंद कुमार ने मजदूरों को संबोधित करते हुए उन्हें सरकार की पहल पर बीआरओ द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं की जानकारी दी। उपायुक्त ने मजदूरों से बातचीत भी जिसमें मजदूरों ने बताया कि पहले मेट द्वारा लद्दाख ले जाने पर शोषण होता था। उपायुक्त ने पत्रकारों को बताया कि कई मजदूरों ने बताया कि मेट पहले से ही डील कर लेते थे और 4-5 माह काम करने पर 42 हजार देते थे जबकि औसतन यह 70 हजार या इससे अधिक होना चाहिए। उपायुक्त ने बताया कि अब मजदूरों के लिए जो व्यवस्था की गई है उसमें पैसे सीधे मजदूरों के खाता में आएगा जिस पर मजदूर का नियंत्रण होगा। वे अपना पैसा निकाल कर परिवार को भी भेज सकते हैं।