Hindi Newsझारखंड न्यूज़Surprising: Three killed in Corona in Jharkhand five died in awe

हैरतअंगेज: झारखंड में कोरोना वायरस से तीन की मौत, खौफ से पांच मरे

झारखंड में अब तक कोरोना बीमारी से मात्र तीन मौतें हुई हैं लेकिन इसके खौफ ने पांच लोगों की जान ले ली है। इन पांच लोगों ने अपनी जीवनलीला इस डर से खुद समाप्त कर ली कि वे कोरोना बीमारी के शिकार हो गये...

rupesh रांची प्रतिनिधि, Thu, 11 June 2020 02:24 AM
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झारखंड में अब तक कोरोना बीमारी से मात्र तीन मौतें हुई हैं लेकिन इसके खौफ ने पांच लोगों की जान ले ली है। इन पांच लोगों ने अपनी जीवनलीला इस डर से खुद समाप्त कर ली कि वे कोरोना बीमारी के शिकार हो गये हैं और अब वे नहीं बचेंगे। कोरोना के मामले जिस तेजी से बढ़ रहे हैं उसी तेजी से इस महामारी का डर भी लोगों के दिलोदिमाग पर हावी होता जा रहा है। ताजा मामला मंगलवार को लोहरदगा में हुआ जहां कोरोना पॉजिटिव युवक ने अस्पताल में पंखे से लटक कर जान दे दी। 

केस एक : लोहरदगा में कार्तिक साव नामक युवक ने नौ जून को सदर अस्पताल में फांसी लगा ली। प. बंगाल के पुरुलिया का यह  युवक 24 मई को मुंबई से लोहरदगा में अपनी ससुराल आया था। आठ जून को उसकी तबीयत काफी खराब हो गई। इसके बाद उसे लोहरदगा सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। रात में 11 बजे युवक को अस्पताल लाया गया तो उसे बुखार था। सांस लेने में परेशानी हो रही थी। उसका सैंपल लेकर रात में ट्रू नेट से जांच की गई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। नौ जून को उसका सैंपल जांच के लिए फिर से रिम्स भेजा जाना था लेकिन इससे पहले ही उसने अस्पताल में पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली। 

केस दो : पलामू जिले के लेस्लीगंज में कोटखास पंचायत स्थित कोरंटाइन सेंटर में  मो. अयूब ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना  21 अप्रैल की शाम करीब सात बजे हुई। मो. अयूब  मजदूरी करता था। लॉकडाउन में  घर आने के बाद 18 अप्रैल को उसे कोरंटाइन किया गया था। कोरोना बीमारी को लेकर हो रही तरह-तरह की बातों से वह काफी डरा हुआ था। उसे आशंका थी कि उसे भी कोरोना बीमारी हो सकती है। इससे परेशान होकर अंतत: उसने कोरंटाइन सेंटर में ही गमछा से फांसी लगा ली।

केस तीन : रांची जिले के अरगोड़ा थाना क्षेत्र के अशोकनगर में किराए के मकान में रहने वाले ऑटो चालक पप्पू कुमार ने तीन अप्रैल को फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली। लॉकडाउन में सबकुछ बंद हो जाने के कारण वह ऑटो नहीं चला पा रहा था। कोरोना महामारी के डर से भी वह काफी परेशान रहने लगा था। उसे चारों तरफ कोरोना का ही खतरा दिखाई देता था। उसे आशंका थी कि उसके ऑटो में कोई कोरोना संक्रमित मरीज बैठा होगा और इसके कारण वह भी इस बीमारी का शिकार हो गया है। उसे लोगों ने काफी समझाया लेकिन कोई असर नहीं हुआ और अंतत: उसने फांसी लगाकीर जान दे दी।

केस चार : गिरिडीह जिले के बिरनी के बैदापहरी गांव में 28 वर्षीय शिक्षक सुरेश पंडित को अचानक लगने लगा था कि उसे कोरोना हो गया है। इसको लेकर वह काफी परेशान रहता था। इस बीमारी से जुड़ी तमाम आशंकाओं से घिरकर उसने 19 अप्रैल को आत्महत्या कर ली। उसने सुसाइड नोट में लिखा था कि कोरोना के फैलाव से आहत है और उसे आशंका है कि वह इससे संक्रमित हो गया है।  

केस पांच : जमशेदपुर के सोनुवा के पोड़ाहाट गांव में 21 वर्षीय प्रद्युम्न महतो ने 9 मई को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। इस युवक को कोरोना नहीं हुआ था लेकिन महामारी के खौफ ने उसे मौत को गले लगाने को विवश कर दिया। बताया जाता है कि प्रद्युम्न के पिता बर्मा महतो को मध्य प्रदेश से  लौटते समय रांची में कोरंटाइन किया गया था। गांव में किसी ने उसके पिता को कोरोना पॉजिटिव कह दिया था। इससे प्रद्युम्न ऐसा डरा कि उसने आत्महत्या कर ली। 

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