झारखंड बंद: हेमंत सरकार की नियोजन नीति के खिलाफ छात्रों का आंदोलन, बंद कराया बाजार
बुधवार को इसी कड़ी में झारखंड बंद का आह्वान किया गया। राजधानी रांची में बंद समर्थक छात्र सुबह ही सड़कों पर उतरे और लोगों से बंद का समर्थन करने की अपील की। अलग-अलग इलाकों में बंद कराया गया।
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार द्वारा लाई गई नियोजन नीति के खिलाफ आंदोलन जारी है। बुधवार को इसी कड़ी में झारखंड बंद का आह्वान किया गया। राजधानी रांची में बंद समर्थक छात्र सुबह ही सड़कों पर उतरे और लोगों से बंद का समर्थन करने की अपील की। कुछ तस्वीरें सामने आई हैं जिनमें प्रदर्शनकारी छात्र झारखंड स्टेट स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष देवेंद्रनाथ महतो की अगुवाई में मोरहाबादी मैदान में साप्ताहिक बाजार को बंद कराते नजर आए। कभी अपील तो कभी सख्ती के साथ लोगों ने दुकानदारों से बंद का समर्थन करने को कहा। छात्रों ने अलग-अलग समूह में बीआईटी मोड़, बूटी मोड़, बरियातू, करमटोली चौक, मोरहाबादी, कचहरी, लालपुर चौक, कांटाटोली, लोवाडीह चौक में बाजार बंद कराने का प्रयास किया।
जेएसएसयू के अध्यक्ष देवेंद्रनाथ महतो ने ऑटो चालक एसोसिएशन, ट्रक एसोसिएशन, बस एसोसिएशन, बस स्टेंड, कोचिंग संस्थान संघ, लाइब्रेरी, स्कूल, कॉलेज, बाजर समिति , दुकानदार संघ को बंद रखकर आंदोलन को सफल बनाने में सहयोग करने की अपील किया है।
जेएसएसयू की मुख्य मांगें क्या हैं
झारखंड स्टेट स्टूडेंट्स यूनियन के देवेन्द्र नाथ महतो ने सरकार से मांग की है कि 60_40 नियोजन नीति को सरकार तत्काल वापस कर झारखंडी हित में नियोजन लागू कर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू किया जाय। बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 की उपधारा 85 के तहत झारखंड सरकार को अधिकार है कि संयुक्त बिहार के समय का कोई भी अध्यादेश, गजट, संकल्प को अंगीकृत कर सकता है। इसी अधिकार के तहत बिहार का 3 मार्च 1982 वाला नियोजन नीति जिसका पत्रांक संख्या 5014/81- 806 को अंगीकृत कर बिहार के तर्ज़ पर नियोजन नीति लागू किया जाय। नियुक्ति प्रक्रिया शुरू किया जाय। नियुक्ति फॉर्म भरते समय स्थानीय प्रमाण पत्र क्रमांक संख्या अनिवार्य रूप से भरने का प्रावधान किया जाय। जनसंख्या के अनुपात सभी वर्गों को जिला स्तर में आरक्षण लागू किया जाय। झारखंड का एक स्पेशल पेपर का प्रावधान किया जाय जिसमें झारखंड के रीति रिवाज, भाषा संस्कृति, परंपरा का अनिवार्यता किया जाय।
राज्य स्तर तथा जिला स्तर के सभी तकनीकी तथा गैर तकनीकी परीक्षा में क्षेत्रीय भाषा का पेपर अनिवार्य किया जाय, मूल झारखंडी छात्रों को पांच वर्ष का उम्र सीमा में विशेष छुट दिया जाय, उत्तराखंड के तर्ज़ पर परीक्षा नकल विरोधी कानून लागू किया जाय।