हेमंत सरकार की नियोजन नीति के खिलाफ छात्रों ने निकाला मशाल जुलूस, कल 'झारखंड बंद'
जुलूस में शामिल छात्रों ने 60:40 नाय चलतौ का नारा लगाया। इस बीच झारखंड स्टेट स्टूडेंट यूनियन ने 19 अप्रैल को झारखंड बंद का आह्वान भी किया। यह, छात्र संगठनों के 3 दिवसीय आंदोलन का हिस्सा है।
हेमंत सोरेन सरकार द्वारा लाई गई नियोजन नीति के विरोध में मंगलवार की शाम को राजधानी रांची सहित सभी जिला और प्रखंड मुख्यालयों में छात्र संगठनों ने मशाल जुलूस निकाला। राजधानी रांची में प्रदर्शनकारी छात्रों ने जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम से अल्बर्ट एक्का चौक तक मशाल जुलूस निकाला। इस दौरान छात्रों ने राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की। मशाल जुलूस में शामिल छात्रों ने 60:40 नाय चलतौ का नारा लगाया। इस बीच झारखंड स्टेट स्टूडेंट यूनियन ने 19 अप्रैल को झारखंड बंद का आह्वान भी किया। यह, छात्र संगठनों के 3 दिवसीय आंदोलन का हिस्सा है।
मांगें पूरी होने तक जारी रहेगा आंदोलन
मशाल जुलूस में शामिल छात्रों ने कहा कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होती आंदोलन जारी रहेगा। हमारी मांग यही है कि यह नियोजन नीति वापस ली जाए। छात्रों की मांग है कि 60:40 के फॉर्मूले वाली नियोजन नीति वापस लेकर 1932 के खतियान पर आधारित नियोजन नीति लागू की जाए। साथ ही नियोजन नीति में राज्य की तृतीय एवं चतुर्थवर्गीय नौकरियों में झारखंड से ही 10वीं-12वीं पास करने की अनिवार्यता लागू की जाए। सभी अभ्यर्थियों के लिए झारखंड की स्थानीय भाषा, संस्कृति और परिवेश की बुनियादी समझ को अनिवार्य किया जाए। नियोजन नीति बनाने में छात्रों की राय भी शामिल की जाए। वहीं, सरकार का कहना है कि छात्रों से राय लेकर ही नई नियोजन नीति लाई गई है। सरकार नौकरियां देने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, सोमवार को कैबिनेट की मीटिंग के बाद मुख्यमंत्री नई नियोजन नीति पर पूछे गए सवालों को टाल गए।
कल झारखंड बंद का किया गया आह्वान
गौरतलब है कि नियोजन नीति और बेरोजगारी के विरोध में छात्र संगठनों का 72 घंटे का आंदोलन जारी है। पहले चरण में सोमवार को मुख्यमंत्री आवास घेराव का कार्यक्रम रखा गया था। छात्रों ने मोरहाबादी मैदान से रैली की शक्ल में मुख्यमंत्री आवास तक पहुंचने की रणनीति बनाई थी लेकिन, प्रशासन ने बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोका। इस दौरान छात्र नेता देवेंद्र कुमार महतो सहित कई प्रदर्शनकारी छात्रों को हिरासत में लिया गया। हालांकि, देर रात उन्हें छोड़ दिया गया। छात्रों ने आरोप लगाया कि सरकार उनकी बात नहीं सुन रही। रोजगार का वादा भूल गई है। आंदोलन को तानाशाही तरीके से कुचलने का प्रयास किया जा रहा है।