रिम्स में मरीजों की परेशानी होगी कम, इमरजेंसी में बाहर से नहीं आएंगी दवाएं; मंगाने वाले डॉक्टर पर होगा एक्शन
रिम्स अस्पताल की इमरजेंसी के जूनियर डॉक्टर अब मरीजों को बाहर से दवा लाने को नहीं कहेंगे। किसी भी मरीज को बाहर से दवा लाने के लिए कहने वाले जूनियर डॉक्टरों पर प्रबंधन कार्रवाई करेगा।
रिम्स में इमरजेंसी के जूनियर डॉक्टर अब बाहर से दवा लाने को नहीं कहेंगे। किसी भी मरीज को बाहर से दवा लाने के लिए कहने वाले जूनियर डॉक्टरों पर रिम्स प्रबंधन कार्रवाई करेगा। इमरजेंसी में जरूरत पड़ने वाली सभी दवाएं उपलब्ध करायी जाएंगी। फिजियोलॉजी विभाग के दो चिकित्सक डॉ राजेश और डॉ शिशिर दवाओं के स्टॉक की मॉनिटरिंग करेंगे। कम होने की स्थिति में तीन दिन पहले ही दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कर ली जाएगी। उसके बाद भी दवा उपलब्ध नहीं रहने पर पीओडी, एसओडी और सीएमओ से सत्यापित कराने के बाद ही पर्ची बाहर भेजी जाएगी। सामान्य स्थिति में दवा लाने बाहर भेजने पर पर्ची देने वाले जूनियर चिकित्सक पर कार्रवाई की जाएगी। इसकी शिकायत के लिए इमरजेंसी एंड ट्रामा सेंटर परिसर के डिस्प्ले बोर्ड में नंबर डिस्पले किया जाएगा, जिस पर मरीज या परिजन शिकायत कर सकेंगे।
दवा उपलब्ध नहीं होने पर नर्स पर्ची पर लिखेंगी
इमरजेंसी में दवा उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में पहले नर्सें पर्ची पर लिखेंगी कि दवा स्टॉक में उपलब्ध नहीं है। उसके बाद दवा है या नहीं, इसकी जांच पीओडी फिजिशियन ऑन ड्यूटी वेरिफाई करेंगे। उसके बाद एसओडी सर्जरी ऑन ड्यूटी उसे जांचेंगे। फिर सीएमओ उसकी जांच कर वेरिफाई करेंगे। तीनों डॉक्टरों के उस पर हस्ताक्षर होंगे। उसके बाद ही मरीज को दवा बाहर से लाने कहा जाएगा।
इमरजेंसी में जरूरत पड़ने वाली दवाओं की लिस्ट मांगी
रिम्स के निदेशक डॉ राजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि इमरजेंसी में अधिकतर मरीज चार विभाग के आते हैं-मेडिसिन, न्यूरो सर्जरी, सर्जरी और ऑर्थो के। इन विभागों में इमरजेंसी में जरूरत पड़ने वाली सभी दवाओं की लिस्ट मांगी गई है। लगभग दवाइयां रिम्स में उपलब्ध हैं। जो दवाएं उपलब्ध नहीं होंगी, उन्हें जरूरत पड़ने पर लोकल खरीदारी कर उपलब्ध करायी जाएगी।
मरीजों की परेशानी हो जाएगी कम
वर्तमान व्यवस्था के तहत इमरजेंसी में आने वाले अधिकतर मरीजों को कई जरूरी दवा बाहर से लाने को कह दिया जाता है। कई बार सिरिंज, कॉटन और गॉज तक बाहर से मरीज खुद खरीदकर लाते हैं। नहीं लाने तक उनका इलाज प्रभावित रहता है। निदेशक डॉ राजीव गुप्ता ने कहा कि रिम्स में अधिकतर दवाइयां उपलब्ध रहती हैं। जूनियर डॉक्टर अपनी मर्जी से ही मरीजों को बाहर से दवा लाने को कह देते हैं। तीन दिनों के अंदर सारी व्यवस्था दुरुस्त कर दी जाएगी।
डायलिसिस यूनिट का विधिवत उद्घाटन 31 को
रिम्स निदेशक डॉ राजीव गुप्ता ने बताया कि 31 अक्तूबर को डायलिसिस यूनिट का विधिवत उद्घाटन किया जाएगा। उस दिन से ओपीडी के मरीजों को भी डायलिसिस की सुविधा मिलने लगेगी। इससे पहले सिर्फ भर्ती मरीजों की डायलिसिस की जा रही थी।
मरीजों को जांच की परेशानी से मिल रही निजात
रिम्स के ट्रामा सेंटर में सेंट्रल लैब के शुरू हो जाने से मरीजों की जांच की परेशानी बहुत हद तक दूर हो गई है। पिछले एक साल से रिएजेंट के अभाव में जांच प्रभावित रही थी। सेंट्रल लैब के शुरू हो जाने से यह समस्या दूर हो गई है। अब मरीजों को छह से आठ घंटे में ही रिपोर्ट मिल जा रही है। इससे पहले मरीजों की जांच रिपोर्ट दो-दो दिन में मिल रही थी। वहीं, जांच के लिए निजी लैब का सहारा लेना पड़ रहा था। हालांकि अब भी रेडियोलॉजी से संबंधित जांच के लिए मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है। निदेशक ने बताया कि इसकी समस्या को भी जल्द सुलझा लिया जाएगा। किसी भी तरह की जांच के लिए मरीजों को परेशानी नहीं हो, इसका ध्यान रखा जा रहा है।