Hindi Newsझारखंड न्यूज़Review of the reasons why liquor sales in Jharkhand decreased

झारखंड में शराब की बिक्री कम क्यों हुई, कारणों की समीक्षा होगी

राज्य में शराब बिक्री घटने को लेकर सरकार समीक्षा करेगी। कारोबारियों ने शराब की बिक्री कम होने के कारण सरकार से राहत देने की मांग की है। इसके बाद सरकार ने अगले तीन दिनों में इस पर निर्णय लेने का...

rupesh रांची हिन्दुस्तान ब्यूरो , Wed, 10 June 2020 05:13 PM
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राज्य में शराब बिक्री घटने को लेकर सरकार समीक्षा करेगी। कारोबारियों ने शराब की बिक्री कम होने के कारण सरकार से राहत देने की मांग की है। इसके बाद सरकार ने अगले तीन दिनों में इस पर निर्णय लेने का आश्वासन  दिया है। 

झारखंड शराब दुकानदार संघ ने मंगलवार को उत्पाद उपायुक्त गजेंद्र सिंह से मुलाकात कर बरसात तक 50 फीसदी कम राजस्व लेने की मांग की है। संघ ने बताया कि एक्साइज ट्रांसपोर्ट ड्यूटी (ईटीडी) हर जिले के लिए तय कर दी गई है। इसमें हर जिले के दुकान के हिसाब से 20 से 28 लाख रुपए का ईटीडी देना पड़ता है। 

रांची के लिए 28 लाख रुपए का ईटीडी तय किया गया है। लेकिन इसके लिए शराब की भी बिक्री होनी चाहिए। कारोबारियों ने कहा कि यहां शराब की बिक्री 70 फीसदी तक कम हो गई है। जब 56 लाख रुपए की शराब बिकेगी तब ही सरकार को 28 लाख का राजस्व दे सकेंगे। 

इस पर गजेंद्र सिंह ने व्यवसायियों से कहा कि राज्य में शराब की बिक्री कम होने की समीक्षा की जाएगी। इसके बाद ही तय किया जाएगा कि सरकार आखिर किस तरह से व्यवसायियों को राहत देगी। 
संघ के सचिव सुबोध जायसवाल ने बताया कि राज्य में शराब की समूह दुकानें करीब 1500 है। एक समूह में देश, विदेशी और कंपोजिट दुकानें शामिल होती हैं। इन दुकानों से पिछले वर्ष 19 से 22 लाख रुपए  ईटीडी तय किया गया था। लेकिन इस बार जैसे ही ईटीडी बढ़ाया गया उसी के साथ ही लॉकडाउन का दौर शुरू हो गया। स्थिति यह रही है कि दुकानें बंद रहीं और मार्च का पूरा ईटीडी सरकार ने ले लिया। इस नुकसान की भरपाई करने का आश्वासन जरूर मिला है, लेकिन अब बिक्री कम होने के बाद सरकार से आग्रह किया गया है कि कम से कम बरसात तक राजस्व आधा कर दें। इससे शराब व्यापारियों को थोड़ी राहत मिलेगी। अगर ऐसा नहीं होता है, तो शराब व्यापारी अपनी दुकानें बंद कर देंगे। 

मालूम हो कि इन मुद्दों को लेकर विभाग की बैठक होने वाली थी। लेकिन उत्पाद सह शिक्षा मंत्री की स्कूल प्रबंधकों के साथ होने वाली बैठक की वजह से यह मंगलवार को नहीं हो सकी। इससे पहले संघ के सदस्यों ने प्रोजेक्ट भवन जाकर मंत्री से मुलाकात की और अपनी समस्या को रखा, जिसके बाद उन्हें उत्पाद उपायुक्त के पास भेजा गया।  

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