Hindi Newsझारखंड न्यूज़Revealed: Sanitary pad facility in only 21 percent of schools in Jharkhand

खुलासा : झारखंड के सिर्फ 21 फीसदी स्कूलों में सैनिटरी पैड की सुविधा

झारखंड में मासिक धर्म स्वच्छता की जागरुकता के लिए सरकार छात्राऔं को कई सुविधा देने का दावा तो करती है, लेकिन हकीकत कुछ और है। राज्य में सिर्फ  21 फीसदी स्कूलों में ही हर समय सैनिटरी पैड उपलब्ध...

rupesh रांची श्रेयसी मिश्रा, Thu, 28 May 2020 05:40 PM
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झारखंड में मासिक धर्म स्वच्छता की जागरुकता के लिए सरकार छात्राऔं को कई सुविधा देने का दावा तो करती है, लेकिन हकीकत कुछ और है। राज्य में सिर्फ  21 फीसदी स्कूलों में ही हर समय सैनिटरी पैड उपलब्ध रहते हैं। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट यह बता रही है। 
     राज्य की 32.2 प्रतिशत छात्राओं को मासिक धर्म के बारे में इसकी शुरुआत से पहले कुछ भी पता नहीं रहता। महज 39.4 प्रतिशत महिलाएं ही मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता के उपायों के प्रति जागरूक हैं। 

मासिक धर्म के प्रति छात्राओं को जागरूक करने का प्रयास जारी है।  कुछ महिलाएं मासिक धर्म स्वच्छता का प्रचार-प्रसार करने में जुटी हैं। इतना ही नहीं, वे ग्रामीण महिलाओं को पैड बनाने का प्रशिक्षण देकर उन्हें आर्थिक स्वावलंबन दिलाने में भी मदद कर रही हैं। इनके ऐसे प्रयासों से महिलाओं की बीच इनकी पहचान पैड वुमन के रूप में बन गई है।

एएनएम सुशीला दीदी की बात अब पुरुष भी सुनने लगे हैं : एएनएम सुशीला कुमारी पिछले लगभग 13 वर्षों से मासिक धर्म स्वच्छता पर ग्रामीण महिलाओं और पुरुषों को जागरूक करने में जुटी है। वह गांव-गांव घूमकर मासिक धर्म से जुड़ी भ्रांतियां दूर करती हैं और महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता और तरीके अपनाने के लिए प्रेरित करती हैं।

वंदना ने महिलाओं को पैड बनाने का प्रशिक्षण दिया : वंदना उपाध्याय पैड वुमन तौर पर पहचान बना चुकी हैं। संस्था माही केयर फाउंडेशन से जुड़कर वह अब तक लगभग 6000 महिलाओं को प्लास्टिक मुक्त सेनेटरी नैपकिन बनाने का प्रशिक्षण दे चुकी हैं। गांवो में जाकर महिलाओं को सेनेटरी पैड की जानकारी देने का काम रही हैं।

ममता ने कई महिलाओं को रोजगार भी दिया : चुटिया की ममता कुमारी महिलाओं और छात्राओं को सेनेटरी नैपकिन के माध्यम से रोजगार देने कार्य कर रही हैं। उनके प्रयास से 3200 से अधिक महिलाओं को सेनेटरी नैपकिन बनाने का काम मिला है। ममता ने सितंबर 2019 से मासिक धर्म स्वच्छता को लेकर अभियान शुरू किया। 

39.4% महिलाएं स्वच्छ पद्धति का उपयोग कर रहीं : एनएफएचएस-4 के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में 39.4 प्रतिशत महिलाएं स्वच्छ मासिक धर्म पद्धति का उपयोग करती हैं। वहीं, झारखंड राज्य में 2. 32 प्रतिशत लड़कियों को इसकी शुरुआत से पहले मासिक धर्म क्या होता है, इसके बारे में कुछ भी नहीं पता था। 

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