राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भाषण के बीच अचानक याद आईं 'दादी', बताया झारखंडी कनेक्शन
खूंटी में केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा आयोजित स्वयं सहायता समूह महिला सम्मेलन में संबोधन के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अचानक अपनी दादी का जिक्र किया और उनका झारखंडी कनेक्शन भी बताया।
झारखंड के खूंटी में केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा आयोजित स्वयं सहायता समूह महिला सम्मेलन में संबोधन के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अचानक अपनी दादी का जिक्र किया और उनका झारखंडी कनेक्शन भी बताया। राष्ट्रपति ने कहा कि मैं ओडिशा की हूं लेकिन मुझमें झारखंडी खून है। राष्ट्रपति ने बताया कि मेरी दादी झारखंड की महिला एवं बाल विकास मंत्री जोबा मांझी के गांव की रहने वाली थीं। यहीं खूंटी में उनका जन्म हुआ था। उनका विवाह ओडिशा में हुआ। द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मैं जब छोटी थी तो दादी मुझे 5 किमी दूर महुआ चुनने ले जाती थी। तब 1 किलो महुआ 25 पैसे का मिलता था। कभी भूख लगती तो महुआ उबालकर खा लेती। कहा कि तब नहीं जानती थी कि इसका और क्या इस्तेमाल है। राष्ट्रपति बनने से पहले झारखंड की राज्यपाल रह चुकीं द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड से अपने लगाव का जिक्र किया। द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली महिला राज्यपाल रहीं।
राज्यपाल के तौर पर की झारखंड की सेवा
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मैंने राज्यपाल के तौर पर यहां (झारखंड) के लोगों की सेवा का अवसर पाया। उन्होंने कहा कि झारखंड की बहनें देश की आर्थिक प्रगति देने की राह पर अग्रसर हैं। राष्ट्रपति ने अलग-अलग क्षेत्रों में झारखंड की प्रतिनिधित्व कर रही महिलाओं-लड़कियों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि झारखंड की फूलो-झानो ने अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ हूल आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। जमुना टुडू ने जंगलों को बचाने में अद्भुत साहस का परिचय दिया। अकेली टुडू ने तालाबों को विकसित कर जल संरक्षण का काम किया। छुटनी देवी ने डायन बिसाही जैसी कुप्रथा और अंधविश्वास से महिलाओं को मुक्ति दिलाई। सिमडेगा की हॉकी खिलाड़ी निकी प्रधान और सलीम टेटे ने ओलंपिक में भारत का परचम लहराया। दीपिका ने तीरंदाजी में देश का नाम रोशन किया। राष्ट्रपति ने कहा कि मैं इन सभी झारखंडी महिलाओं का सम्मान करती हूं।
आदिवासी समाज की संस्कृतियां अलग-अलग
राष्ट्रपति ने कहा कि आदिवासियों की संस्कृति अलग-अलग है। उन्हें बचाए रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज से जो आगे बढ़े हैं उन्हें अपने पीछे छूट गए लोगों के लिए सामने आना होगा। जितना उन्हें बढ़ा सकते हैं बढ़ाएं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि देश में 700 आदिवासी समुदाय हैं जिनमें से 100 से ज्यादा काफी पिछड़े हैं। उनको मुख्यधारा में लाना होगा।