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अचानक याद आया गांव का नाम, फिर वीडियो कॉल पर की पहचान; 20 साल बाद घर लौटे युवक की दास्तान

झारखंड के गढ़वा से लापता युवक 20 साल बाद मंगलवार को अपने गांव वापस आ गया है। मानसिक स्वास्थ्य ठीक न होने के चलते उसे अपने परिवार वालों और घर का नाम याद नहीं आ रहा था।

Abhishek Mishra हिन्दुस्तान, गढ़वाWed, 27 Sep 2023 09:01 AM
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अपने गांव और परिवार के लोगों को याद कर रहा था पर कुछ भी याद नहीं आ रहा था। गांव-घर और परिवार का नाम याद करने में करीब 20 साल लग गए। आठ दिन पहले ही उसे गांव और परिवार के लोगों का नाम याद आया। उसके बाद स्थानीय लोगों ने उनके परिजनों से संपर्क किया।

वीडियो कॉल से परिवार के लोगों को उसने और परिवार के सदस्यों ने उसे पहचाना। उसके बाद वह घर लौट सका। सदर थाना के पिपरा गांव निवासी मो सर्फुद्दीन खान के पुत्र नुरुद्दीन खान ने आपबीती सुनाई। वह मंगलवार को 20 साल बाद घर लौट सका है।

उधर बेटे को सामने देख मां अंबिया बीवी का खुशी का ठिकाना नहीं था। अंबिया बताती हैं कि बेटे को हर पल याद कर 20 साल गुजारे। हर पर्व-त्योहार तो बेटे के बिना फीका-सा था। पुत्र नुरूद्दीन को पाकर पिता सर्फुद्दीन ने बताया कि हमने उम्मीद नहीं छोड़ा था। उम्मीद थी कि वह एक-न-एक दिन जरूर लौटेगा। बेटा लौट गया इससे बड़ी खुशी परिवार के लिए क्या होगी। उधर 20 साल बाहर रहने के दौरान घर लौटा नुरूद्दीन पांच वक्त का नमाजी हो गया है। मस्जिद से अजान हुआ तो पिता ने बेटे से कहा कि नमाज का वक्त हो गया है। मस्जिद में उसके लौटने की खुशी पर मिलाद का कार्यक्रम भी हुआ। उससे पहले नुरद्दीन ने आपबीती सुनाते कहा कि वह पढ़ा लिखा नहीं है। ट्रेन से गांव के अन्य लोगों के साथ सूरत मजदूरी करने जा रहा था। उसी दौरान वह नशाखुरानी का शिकार हो गया।

जब होश आया तो घटना में उसकी यादाश्त चली गई। उसके घर-परिवार के बारे में कुछ भी याद नहीं रहा। वह विभिन्न गांवों में भटकता रहा। उस दौरान स्थानीय लोगों ने उसे सहारा दिया। कुम्हरिया गांव में सात साल, दलियागढ़ में सात साल, बैजनी गांव में चार साल रहा। उसी क्रम में कुम्हरिया में वह पंचायत के प्रधान अफरोज खान के घर सात साल रहा। उसका वहां ख्याल रखा गया। वहां भी उसे घर-परिवार के बारे में याद करने के लिए कहा जाता रहा लेकिन उसे कुछ भी याद नहीं आ रहा था। उनके घर वह परिवार के सदस्य की तरह रह रहा था।

पारिवारिक सदस्य के तौर पर ही वह घर के काम में हाथ बंटाता था। पिछले 22 सितंबर को गांव में ही ग्रामीणों के साथ बैठा था। उस दौरान घर परिवार को लेकर ग्रामीण उससे मजाक कर रहे थे। साथ ही उसे कुछ याद करने के लिए प्रेरित कर रहे थे।

उसी दौरान अचानक ही उसे गढ़वा और अपने गांव का नाम पिपरा याद आया। कोशिश की तो परिवार के माता-पिता और परिवार के अन्य लोगों के नाम भी एक-एक कर याद आने लगा। उसके बाद प्रधान अफरोज और स्थानीय लोगों ने उसके परिवार के सदस्यों से संपर्क करने की कोशिश शुरू की।

उसी क्रम में उन्हें मुखिया नजिया बीवी का मोबाइल नंबर उन्हें मिला। वहां से मुखिया से संपर्क किया गया। उसके बाद मुखिया ने उसके परिवार को जानकारी दी। जानकारी मिलने के बाद परिवार के लोगों ने वीडियो कॉल कर उससे बात कर उसकी पहचान की। उसके बाद उसका भाई मो जलील खान स्थानीय मुखिया के पुत्र शाहरूख खान के साथ कुम्हरिया गांव पहुंचे। जलील बताते हैं कि कुम्हरिया गांव के लोगों ने बड़े भाई नुरूद्दीन को अपने परिवार के सदस्य की तरह विदा किया। वहां से लौटने के बाद भी स्थानीय लोग भाई नुरूद्दीन को फोन कर अपने घर लौटने और परिवार से मिलने को लेकर लगातार बात कर जानकारी भी ले रहे हैं।

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