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कुरमी समाज का रेल रोको आंदोलन, झारखंड से चलने वाली 9 ट्रेनें रद्द, 8 का बदला रूट; देखें लिस्ट

कुरमी-कुड़मी समुदाय 20 सितंबर को तीन राज्यों में अनिश्चितकालीन रेल रोको आंदोलन करने जा रहा है। मंगलवार को रांची रेलमंडल की नौ ट्रेनें रद्द रहेंगी। आठ बदले रूट से चलेंगी।

Abhishek Mishra हिन्दुस्तान, रांचीTue, 19 Sep 2023 07:40 AM
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कुरमी-कुड़मी समुदाय 20 सितंबर को तीन राज्यों में अनिश्चितकालीन रेल रोको आंदोलन करने जा रहा है। इसको लेकर दक्षिण पूर्व रेलवे और रांची रेलमंडल में अलर्ट जारी कर दिया गया है। बंद समर्थकों से इस बार कड़ाई से निपटने की तैयारी है। रेल रोको आंदोलन के समर्थकों से निपटने के लिए आंदोलन की चिंह्रित जगहों में चक्रधरपुर मंडल से 40 आरपीएफ के जवान सहित 100 से ज्यादा आरपीएफ का स्पेशल फोर्स की तैनाती की जाएगी।

कुरमी समाज बुधवार से रेल रोको आंदोलन शुरू करने जा रहा है। इसे देख मंगलवार को रांची रेलमंडल की नौ ट्रेनें रद्द रहेंगी। आठ बदले रूट से चलेंगी।

ये रहेंगी रद्द भुवनेश्वर-धनबाद एक्स., रक्सौल-सिकंदराबाद एक्स. आनंदविहार-पुरी एक्स., भागलपुर-रांची एक्स. गोरखपुर-हटिया एक्स., कामाख्या-रांची एक्स. हावड़ा-हटिया एक्स, हटिया-हावड़ा एक्स. और सिकंदराबाद-दरभंगा एक्स।

इनका मार्ग बदला आनंदविहार-हटिया, नई दिल्ली-रांची गरीबरथ, बनारस-रांची एक्स., इस्लामपुर-हटिया, नई दिल्ली-भुवनेश्वर एक्स. धनबाद-अल्लापुजा और जम्मूतवी-संबलपुर एक्सप्रेस को बदले रूट से चलाया जाएगा।

आंदोलन प्रभावित क्षेत्रों में ड्रोन से निगरानी होगी। आंदोलनकारियों का वीडियो फुटेज भी तैयार किया जाएगा। यदि उनके आंदोलन से ट्रेन सेवा प्रभावित होती है, तो उनके खिलाफ वीडियो-फोटोग्राफ के माध्यम से रेलवे एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। रांची रेलमंडल के प्रभारी आरपीएफ कंमाडेंट पवन कुमार ने कहा कि आरपीएफ को मुश्तैद रहने को कहा गया है। आंदोलन समर्थकों को भी कहा गया है कि आपकी मांग स्टेट का मुद्दा है, ट्रेनें प्रभावित न करे। सीनियर डीसीएम निशांत कुमार ने कहा कि आंदोलनकारी ट्रेनें के परिचालन प्रभावित न करे। देश को काफी नुकसान होता है और रोज कमाने खाने वालों को दिक्कत होती है।

एसटी सूची में शामिल करने की मांग को लेकर चार स्टेशनों पर आंदोलन की तैयारी

कुड़मी-कुर्मी महतो को जनजाति सूची में शामिल करने व कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने को लेकर 20 सितंबर को झारखंड के चार स्टेशनों पर अनिश्चितकालीन रेल रोको आंदेालन की तैयारी की गई है। इसकी जानकारी सोमवार को रांची में हुई प्रेसवार्ता में टोटेमिक कुड़मी विकास मोर्चा के अध्यक्ष शीतल ओहदार ने कही। उन्होंने बताया कि झारखंड के मुरी, गोमो, नीमडीह व घाघरा रेलवे स्अेशन में आंदेालन होगी। इसके अलावा पश्चिम बंगाल के खेमासुली, कुस्तौर के अलावा ओड़िसा के हरिचंदनपुर, जराईकेला रेलवे स्टेशन व धनपुर रेलवे स्टेशन जैसे तीन राज्यों में वृहद आंदेालन होगा। जिसमें हजारों की संख्या में कुर्मी समुदाय के लोग शामिल होंगे। सभी अपने पापंरिक वेशभूषा, छऊ नृत्य, नटुवा नाच, घोड़ा नाच, झूमर नाच, ढोल-नगाड़े के साथ शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि 18 से 22 सितंबर तक चलने वाली संसद का विशेष सत्र में कुड़मी-महतो को एसटी सूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार दर्जा दे और सत्र में मांग को उठाए। शीतल ने कहा कि बहुत सारे दस्तावेज होने के बाद भी कुड़मी को एसटी सूची में शामिल नहीं किया जा रहा है। इसी क्रम में मोर्चा के प्रवक्ता हरमोहन महतो ने भी अपने विचार रखे। मौके पर रामपोदो महतो, सुषमा देवी, दानी महतो, सखिचंद महतो, क्षेत्र मोहन महतो, सोनालाल महतो, अजीत महतो, दीपक चौधरी, रावंती देवी, रबीता देवी, संदीप महतो सहित अन्य शामिल थे।

कुरमियों की मांग के विरोध में संगठनों ने बुलाई बैठक

कुरमियों की मांग के विरोध में और रेल रोको आंदेालन को असंवैधानिक करार देते हुए आदिवासी समन्वय समिति भारत ने बैठक बुलाई है। आयोजन 19 सितंबर को दोपहर एक बजे से करम टोली स्थित केंद्रीय धुमकुड़िया में होगी। इस संबंध में समिति की सदस्य सह अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद व पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा कि हमलोग कुरमियों के नजायज मांग का विरोध करते है। आर्थिक नाकाबंदी के दबाव में यदि सरकार गलत निर्णय लेती है तो इसका बड़ा खामियाजा उठाना पड़ेगा। कुरमियों से आदिवासी का कोई मेल नहीं है। कुरमी शुरू से ही आदिवासियों से भेदभाव करते आ रहे है, इसके कई साक्ष्य है। इनका सारा गोत्र सनातन धर्म से मिलता है। इन्हें बैकवर्ड का आरक्षण प्राप्त है परंतु झारखंड गठन होते ही इन्हें आदिवासी बनने का शौक जाग गया। इससे पहले इनकी आदिवासियत कहां थी। सरकार को चाहिए कि इनके अनैतिक मांग पर कोई सकारात्मक पहल न करे। नहीं तो माहौल विस्फोटक हो जाएगा। जबकि टीआरआई सहित 1931 की बिहार जनगणना और 1910 में संथाल परगना में इन्हें खेतीहर के रूप में बताया गया है।

 

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