दूरस्थ शिक्षा से ली गई फिजियोथेरेपी की डिग्री झारखंड में अमान्य, जेएससीपीटी ने लिया फैसला
अन्य राज्यों की तरह झारखंड में भी ऐसी डिग्री लेने वालों का निबंधन नहीं किया जाएगा। काउंसिल में निबंधन के लिए आवेदन देने वाले अभ्यर्थियों को इस बाबत सूचना दी जाएगी।
झारखंड राज्य भौतिक चिकित्सा (फिजियोथेरेपी) परिषद (जेएससीपीटी)ने दूरस्थ शिक्षा के तहत फिजियोथेरेपी की डिग्री को राज्य में अमान्य करार दिया है। परिषद के अध्यक्ष डॉ राजीव रंजन ने बताया कि शनिवार को गवर्निंग बॉडी की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
डॉ. राजीव रंजन ने बताया कि अन्य राज्यों की तरह झारखंड में भी ऐसी डिग्री लेने वालों का निबंधन नहीं किया जाएगा। काउंसिल में निबंधन के लिए आवेदन देने वाले अभ्यर्थियों को इस बाबत सूचना दी जाएगी। उन्हें बताया जाएगा कि वह राज्य में बतौर फिजियोथेरेपिस्ट कार्य नहीं कर सकते हैं। यदि ऐसे लोगों को बतौर फिजियोथेरेपिस्ट कार्य करते हुए पकड़ा जाता है, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। बैठक में परिषद के उपाध्यक्ष डॉ अभय कुमार पांडेय, निबंधक डॉ अजीत कुमार के अलावा बतौर सदस्य निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ एसके सिंह, डॉ राहुल कुमार, डॉ मेराज, डॉ देवेंद्र कुमार मुंडा, प्रमोद कुमार, उषा सिंह एवं विशेष आमंत्रित सदस्य साहेब अली उपस्थित थे।
मास्टर्स डिग्री अतिरिक्ति योग्यता में निबंधित होगी
बैठक में निर्णय लिया गया कि फिजियोथेरेपी पाठ्यक्रम में जो लोग साढ़े तीन वर्ष का डिप्लोमा कोर्स 2004 तक उत्तीर्ण कर चुके हैं, उनका परिषद में अनिवार्य रूप से निबंधन किया जाएगा। 2004 के बाद के सत्र में उत्तीर्ण डिप्लोमाधारी के संबंध में राज्य सरकार एवं संबंधित संस्थान से पाठ्यक्रम के संचालन अनुमति व अन्य आदेशों की पुष्टि होने के बाद ही आगे का निर्णय लिया जाएगा। यह भी निर्णय लिया गया कि यूजीसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों से फिजियोथेरेपी की विभिन्न विधाओं में मास्टर्स डिग्री लेने वाले फिजियोथेरेपिस्टों की विशेषता को भी अतिरिक्त योग्यता के रूप में निबंधित किया जाएगा।