राज्य सरकारों के रहमो-करम पर नहीं चलेगा संविधान, झारखंड के गर्वनर बोले
झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि देश का संविधान राज्य सरकारों के रहमो-करम पर नहीं चल सकता। राज्य सरकारों और राज्यपाल के बीच टकराव के सवाल पर गर्वनर सीपी राधाकृष्णन ने यह बात कही।
झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि देश का संविधान राज्य सरकारों के रहमो-करम पर नहीं चल सकता। राज्य सरकारों और राज्यपाल के बीच टकराव के सवाल पर गर्वनर सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि शक्तियों की एक लक्ष्मण रेखा होती है और उसे किसी को पार नहीं करना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि मैं मानता हूं कि राज्य सरकारें राज्यपाल की दया पर नहीं चलेंगी लेकिन यह भी जोड़ना चाहूंगा कि फिर देश का संविधान भी राज्य सरकारों के रहमोकरम पर नहीं चलेगा। यदि राज्य सरकार लक्ष्मण रेखा लांघती है तो फिर राज्यपाल को कदम उठाना होगा। दरअसल, राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने अंग्रेजी समाचार वेबसाइट हिन्दुस्तान टाइम्स के साथ खास बातचीत में हेमंत सोरेन सरकार द्वारा लाए गए आरक्षण बिल को वापस करने, सीएम हेमंत से जुड़े खनन पट्टा लीज मामले में उनकी राय और दोनों के बीच संभावित टकरावों पर बेबाकी से अपनी राय रखी।
3 महीने के कार्यकाल में केंद्र से नहीं मिला निर्देश!
केंद्र के निर्देश पर राज्य सरकारों को राज्यपाल द्वारा परेशान करने के आरोपों पर सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि झारखंड के 11वें गर्वनर के रूप में मैंने 3 महीने का कार्यकाल पूरा किया है लेकिन एक भी ऐसा उदाहरण नहीं है जबकि मुझे केंद्र से कोई निर्देश प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि जहां तक बात राजभवन और राज्य सरकार के बीच कार्यों के समीकरण की बात है तो किसी को भी लक्ष्मण रेखा नहीं लांघनी चाहिए। उन्होंने कहा कि संविधान में राज्यपाल और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का स्पष्ट बंटवारा है। यहां किसी को भी अतिक्रमण नहीं करना चाहिए। हाल ही में दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि राज्य सरकारों को राज्यपाल की दया पर नहीं होना चाहिए। इस पर टिप्पणी करते हुए राज्यपाल ने कहा कि संविधान भी राज्य सरकारों की दया पर नहीं चलेगा।
गर्वनर सरकार के नीतिगत मामलो में नहीं देते दखल
झारखंड की गठबंधन सरकार द्वारा नीतिगत मामलों में हस्तक्षेप के आरोपों पर राज्यपाल ने कहा कि ये बिलकुल झूठ है। आरक्षण बिल लौटाने के फैसले को सही ठहराते हुए सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि हमें देखना होगा कि जो भी कानून बन रहा है वह संविधान की कसौटी पर खरा-उतरता है या नहीं। उन्होंने कहा कि आरक्षण विधेयक में राज्य में कुल आरक्षण 77 फीसदी किया गया जबकि इसकी सीमा 50 फीसदी तक ही है। इस मुद्दे पर राजभवन द्वारा अटॉर्नी जनरल की राय ली गई है। उनके सुझाव पर ही बिल लौटाया गया है। यदि उन्हें (हेमंत सरकार) को हमारा फैसला सही नहीं लगता तो वे खुद अटॉर्नी जनरल से दूसरी राय लें और उनके अनुसार ही बिल में संसोधन करें। हालांकि, अभी मैंने राज्य सरकार का पक्ष नहीं सुना है।
सीएम हेमंत के खनन पट्टा लीज पर लेंगे फैसला
सीएम हेमंत सोरेन से जुड़े खनन पट्टा लीज मामले में चुनाव आयोग के लिफाफे पर राजभवन द्वारा कोई निर्णय नहीं लिए जाने पर सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि राज्य का विकास मेरी पहली प्राथमिकता है। जहां तक बात चुनाव आयोग की है तो अभी मैंने उस मुद्दे पर गौर नहीं किया है। उचित समय आने पर फैसला लूंगा। पूर्ववर्ती राज्यपाल द्वारा कानूनी राय लेने की वजह से देरी को लेकर राज्यपाल ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि कोई असामान्य देरी हुई है। उन्होंने कहा कि मैंने अभी नहीं देखा कि इस विषय में क्या कानूनी राय ली गई है। सही समय पर फैसला लूंगा। उन्होंने कहा कि शासन में राजभवन की अहम भूमिका है। राज्य सरकार को जहां जरूरत होगी मैं फीडबैक दूंगा। टकराव की बात ही नहीं है।