jharkhand electric consumer News : झारखंड के बिजली उपभोक्ताओं को कोरोना संकट के कारण मिली बड़ी राहत, जानें क्या है मामला
कोरोना संकट को देखते हुए झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग (जेएसईआरसी) ने 2020-21 के दौरान बिजली दरों में किसी प्रकार की वृद्ध नहीं करने का ऐलान किया। इतना ही नहीं इस दौरान उपभोक्ताओं से मीटर का...
कोरोना संकट को देखते हुए झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग (जेएसईआरसी) ने 2020-21 के दौरान बिजली दरों में किसी प्रकार की वृद्ध नहीं करने का ऐलान किया। इतना ही नहीं इस दौरान उपभोक्ताओं से मीटर का किराया भी नहीं लिया जाएगा। बिल भुगतान में देरी पर अब 1.5 प्रतिशत की बजाय एक प्रतिशत ही जुर्माना वसूला जाएगा। झारखंड बिजली वितरण निगम (जेबीवीएनएल) ने बिजली आपूर्ति की मौजूदा औसत लागत 6.52 रुपये से बढ़ाकर 8.02 रुपये प्रति यूनिट के आधार पर नई दरें निर्धारित करने का प्रस्ताव सौंपा था, जिसे आयोग ने शुक्रवार को अस्वीकार कर दिया। इस प्रस्ताव का जनसुनवाई के दौरान उपभोक्ताओं ने विरोध किया था और आयोग से दरों में इजाफा नहीं करने की मांग भी की थी। आयोग का आदेश एक अक्तूबर से लागू है। जेएसईआरसी ने ऐसा आदेश पहली बार दिया है।
जेएसईआरसी के सदस्य तकनीक रबींद्र नारायण सिंह और सदस्य पीके सिंह ने बताया कि डिजिटल भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं को एक प्रतिशत की छूट और देय तिथि तक भुगतान के लिए एक प्रतिशत की अतिरिक्त छूट नकद भुगतान वालों को भी दी जाएगी। इसके अलावा विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं से लिए जाने वाले अन्य चार्ज में कोई बदलाव नहीं किया गया है। आयोग ने राज्य में बिना मीटर वाले उपभोक्ताओं से निर्धारित शुल्क वसूलने की व्यवस्था एक जनवरी 2021 से खत्म करने का आदेश दिया है। इसका मतलब यह कि जेबीवीएनएल को 31 दिसंबर तक सभी घरों में मीटर लगाना होगा और रीडिंग के आधार पर बिल देकर शुल्क वसूलना होगा। उन्होंने कहा कि बिजली की दरें लागत के आधार पर तय की गई हैं। इसमें सरकार की ओर दी जाने वाली सब्सिडी शामिल नहीं है। सब्सिडी पर सरकार निर्णय लेगी। यह 2017 के बाद दूसरा मौका है जब आयोग के अध्यक्ष पद खाली होने पर फैसला दिया गया।
सस्ती होगी बिजली की दरें : उपभोक्ता सोलर रूफटॉप से उत्पादित बची बिजली वितरण कंपनी को पहले की तरह 3.80 रुपये प्रति यूनिट या पूरी बिजली 4.16 रुपये की दर से बेच सकेंगे। पीके सिंह ने कहा कि जेबीवीएनएल ने सेकी से सस्ती दर पर 700 मेगावाट सौर ऊर्जा और 500 मेगावाट पवन ऊर्जा के लिए करार कर रखा है। आधी दर पर नवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति से लागत घटेगी। यानि, आने वाले समय में बिजली की दर घटेगी। उन्होंने कहा एक भारत एक दर का दौर शुरू होगा। केंद्र सरकार ने कंपनियों को सिद्धांत दिया है वह बेहतर प्रदर्शन करें या फिर बर्बाद हो जाएं। जेबीवीएनएल ने 28 प्रतिशत हानि को आधार बनाकर प्रस्ताव दिया था, लेकिन आयोग ने 13 प्रतिशत के नुकसान पर ही टैरिफ निर्धारित किया।
वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट दर में राहत : आयोग ने ग्रामीण और शहरी वाणिज्यिक श्रेणी को रिस्ट्रक्चर किया है। इनके लिए बिजली की प्रति यूनिट दर में 25 पैसे प्रति यूनिट कम करके फिक्स्ड चार्ज में बढ़ोतरी की है। पांच किलोवाट तक वाले घरेलू वाणिज्यिक उपभोक्ताओं से अब 40 की बजाय 50 रुपये प्रति किलोवाट प्रति माह वसूला जाएगा। इनसे प्रति यूनिट बिजली छह रुपये की बजाय 5.75 रुपये की दर से मिलेगी। जबकि शहरी क्षेत्र में इस श्रेणी के उपभोक्ताओं को 6.25 की जगह छह रुपये प्रति यूनिट की दर पर बिजली मिलेगी। इनसे प्रति किलोवाट प्रतिमाह 150 रुपये नहीं 100 रुपये लिए जाएंगे।
सब्सिडी पर सरकार लेगी निर्णय : बिजली उपभोक्ताओं को मौजूदा व्यवस्था के तहत प्रति यूनिट खपत पर सब्सिडी मिलती रहेगी या 100 यूनिट फ्री बिजली की नई व्यवस्था लागू की जाएगी। इस पर निर्णय सरकार लेगी। आयोग ने बिजली की नई दर आपूर्ति लागत को आधार बनाकर तय कर दिया है। इस समय ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं को 4.25 और शहरी घरेलू उपभोक्ताओं को 2.75 रुपये प्रति यूनिट सब्सिडी मिलती है। कृषि श्रेणी में 4.30 और वाणिज्यिक श्रेणी में 3.50-3.25 रुपये प्रति यूनिट अनुदान मिलता है। खपत बढ़ने पर सब्सिडी की दर घटती जाती है।
बिजली की मौजूदा और नई दर (20-21) :
श्रेणी प्रति यूनिट फिक्स्ड चार्ज (प्रति माह)
ग्रामीण घरेलू व अन्य (5 किलोवाट तक) 5.75 20
शहरी घरेलू व अन्य (5 किलोवाट तक) 6.25 75
घरेलू एचटी अपार्टमेंट 6.00 100
ग्रामीण वाणिज्यिक (5 किलोवाट तक) 5.75 50
शहरी वाणिज्यिक (5 किलोवाट तक) 6.00 100
कृषि एवं सिंचाई 5.00 20
एलटी इंडस्ट्री सप्लाई 5.75 100
स्ट्रीट लाइट सर्विस 6.25 100
एचटी सप्लाई 5.50 350
एचटी संस्थागत रेलवे, मिलिट्री आदि 5.25 350
नोट : दर रुपये में है।