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कोई मजदूर-किसान नहीं मरेगा, चाहे मुझे अपनी जान ही क्यों न देनी पड़े: सीएम हेमंत सोरेन

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि हमारी सरकार की सारी व्यवस्था मजदूरों और किसानों को समर्पित है। मैं खुद मजदूर-किसान का बेटा हूं। कोई मजदूर किसान नहीं मरेगा, चाहे इसके लिए मुझे अपनी जान ही क्यों न...

Abhishek Tiwari हिन्दुस्तान, दुमकाSat, 13 June 2020 02:55 PM
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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि हमारी सरकार की सारी व्यवस्था मजदूरों और किसानों को समर्पित है। मैं खुद मजदूर-किसान का बेटा हूं। कोई मजदूर किसान नहीं मरेगा, चाहे इसके लिए मुझे अपनी जान ही क्यों न देनी पड़े। दुमका में शनिवार को भारत-चीन सीमा पर सड़क निर्माण के लिए झारखंड के 1648 मजदूरों को स्पेशल ट्रेन से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रवाना किया। इसी दौरान उन्होंने ये बातें कही। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा मजदूरों को ट्रेन से उधमपुर ले जाया जाएगा, वहां से बस के जरिए लद्दाख भेजा गया।

दुमका रेलवे स्टेशन पर मजदूरों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि चाहे राज्य में हो या राज्य से बाहर, हम श्रम कानूनों को कड़ाई से लागू करेंगे। मजदूरों का जो हक है, उन्हें मिलना चाहिए। अगर मजदूरों को उनका असली हक नहीं मिला तो सरकार कार्रवाई करने में पीछे नहीं रहेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे मजदूरों का दिल्ली और मुंबई में भी शोषण होता है। बिचौलियों और दलालों का एक बड़ा गैंग काम कार रहा है, जो मजदूरों का अधिकार झपट लेता था।

कोरोना ने हमारे लिए अवसर दिया है

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना ने हमारे लिए अवसर दिया है। अवसर के रूप में राज्य के श्रमिक किसान भाइयों के साथ सरकार की संवेदनाएं हैं। लेह-लद्दाख जा रहे श्रमिकों के प्रति हम संवेदनशील हैं। सरकार उनके हित के लिए कार्य करेगी। बिचौलिया मजदूरों का हक मार लेते थे। इन बिचौलियों के गैंग को जड़ से उखाड़ फेंकने का कार्य सरकार कर रही है।

'देश की सीमा पर बहुमूल्य योगदान देने जा रहे हमारे श्रमिक भाई'

राज्य से बड़े पैमाने पर श्रमिक भाई कठिन एवं दुर्गम क्षेत्र में कार्य करने जा रहे हैं। देश की सीमा पर बहुमूल्य योगदान देने जा रहे हैं। पहले भी मजदूर कार्य करने जाते थे, लेकिन इसका कोई आंकड़ा नहीं होता था कि मजदूर किस क्षेत्र में कार्य करने जा रहे हैं। लेह लद्दाख में मजदूर जहां जा रहे हैं, वहां सामान्य जीवन व्यतीत करना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे जगहों पर हमारे मजदूर हमेशा से कार्य करते आ रहे हैं।

'देश की आजादी के बाद ऐसा पलायन कभी नहीं हुआ'

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि कोरोना संक्रमण के दौरान पता चला कि झारखंड से इतने बड़े पैमाने में मजदूर दूसरे राज्यों में रोजगार की तलाश में जाते हैं। झारखंड, बिहार, बंगाल एवं यूपी की सरकार को यह मालूम नहीं था कि कितनी बड़ी संख्या में उनके लोग रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा यह देश की खूबसूरती है कि अलग-अलग राज्यों के लोग दूसरी जगहों पर जाकर के देश के विकास में अपना योगदान देते हैं। कोरोना संक्रमण के दौरान लोगों का जो पलायन शुरू हुआ, मुझे लगता है कि देश की आजादी के बाद ऐसा पलायन कभी नहीं हुआ।

भारत सरकार से अनुमति लेकर मजदूरों की वापस कराई

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान घर आ रहे मजदूरों को बहुत कठिनाइयां हुईं। कितने मजदूरों की मौत हो गई। महिलाओं को रास्ते में प्रसव हुआ। मजदूरों के प्रति हमें संवेदना प्रकट करनी चाहिए। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड देश का पहला राज्य है जो भारत सरकार से अनुमति लेकर पहली ट्रेन से मजदूरों की घर वापसी कराई। दूर दराज में फंसे प्रवासी मजदूरों को जहां ट्रेन की सुविधा नहीं थी,वहां लाने के लिए केंद्र से हवाई जहाज से लाने की अनुमति मांगी। अनुमति नहीं मिली तो जब हवाई सेवा शुरू हुई तो हमने हवाई जहाज से मजदूरों को घर पहुंचाया। 

अभी भी दुर्गम क्षेत्र में 82 मजदूर फंसे हैं

अभी भी दुर्गम क्षेत्र में 82 मजदूरों के फंसे होने की सूचना मिली है।  दूर दराज में फंसे प्रवासी मजदूरों के लिए राज्य में कंट्रोल रूम बनाया गया है। मजदूरों को लाने के लिए नोडल ऑफिसर भी बनाए गए जो बाहर के मजदूरों को लाने का एवं यहां फंसे मजदूरों को भेजने का कार्य करते हैं। 

आज राज्य एक शांत माहौल के साथ खुद को मजबूत करने में लगा हुआ है। रोजगार के रूप से देखा जाए तो भी राज्य सरकार बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन के साथ मिलकर मजदूरों को रोजगार देने का कार्य कर रही है। यहां के मजदूर काम करने जाएं तो सम्मानजनक तरीके से जाएं और सम्मानजनक तरीके से वापस आएं। राज्य के साथ-साथ देश के विकास में भी हम अपनी भूमिका निभाएं। कार्यक्रम को श्रम एवं नियोजन मंत्री सत्यानंद भोक्ता, शिकारीपाड़ा के विधायक नलिन सोरेन और सीमा सड़क संगठन के एडीजी अनिल कुमार ने भी संबोधित किया। 

बीआरओ के साथ सरकार ने किया एमओयू

मजदूरों को सीमा पर सड़क बनाने के लिए ले जाने के लिए शनिवार को मुख्यमंत्री की मौजूदगी में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) और झारखंड सरकार के श्रम विभाग के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ। मौके पर श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता,श्रम विभाग के सचिव राजीव अरुण एक्का,सीमा सड़क संगठन के एडीजी अनिल कुमार और दुमका की उपायुक्त राजेश्वरी बी भी मौजूद रहे।

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