ओलचिकि में संताली भाषा की पढ़ाई की मांग को लेकर झारखंड बंद, कैसा रहा असर
आदिवासी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था के आधिकारिक संगठन ओळचिकि हूल बैसी के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को 12 घंटे का संपूर्ण झारखंड बंद बुलाया। मंगलवार तड़के ही हूल बैसी कार्यकर्ता बंद कराने सड़कों पर उतरे।
आदिवासी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था के आधिकारिक संगठन ओळचिकि हूल बैसी के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को 12 घंटे का संपूर्ण झारखंड बंद बुलाया। मंगलवार तड़के ही हूल बैसी कार्यकर्ता बंद कराने सड़कों पर उतरे। उन्होंने नेशनल और स्टेट हाइवे को जगह-जगह जाम कर दिया जिसकी वजह से घंटो आवागमन बाधित रहा। जमशेदपुर में इसका सर्वाधिक असर दिखा। बंद समर्थकों ने सबसे पहले सुंदरनगर में टाटा चाइबासा रॉड को बंद कर दिया। इसके लिए बीच सड़क पर टायर जला दिये और बांस से सड़क की बैरिकेडिंग कर दी।
राष्ट्रीय राजमार्ग-33 को किया अवरुद्ध
उधर नेशनल हाइवे-33 को भी टायर जलाकर अवरुद्ध कर दिया। इससे राँची बहरागोड़ा रोड पर परिचालन ठप्प पड़ गया। इस दौरान करणडीह परसूडीह, सुंदरनगर में दुकानें भी बंद रहीं।
ओलचिकि लिपि में संताली भाषा का सिलेबस
ओलचिकी हूल बैसी के महासचिव दुर्गा चरण मुर्मू ने कहा कि बंद पूरी तरह सफल है। लोग बंद का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई वर्षों बाद आदिवासी समाज ने अपने संवैधानिक हक अधिकार के लिए पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था के बैनर तले आंदोलन का बिगुल फूंका है, जब तक सरकार हमारे संवैधानिक मांगों पर उचित विचार करते हुए मांगों को पूरा करने की दिशा में काम नहीं करती है तबतक आंदोलन जारी रहेगा। भविष्य में समाज के द्वारा और भी उग्र आंदोलन के लिए रणनीति तय की जाएगी। इसीलिए सरकार से निवेदन है कि हमारी मांग संथाली भाषा को ओलचिकी लिपि से पठन-पाठन सामग्री तैयार करे और प्राथमिक स्तर से पढाई चालू करे। इसके साथ ही ओलचिकी पढ़ाने के लिए शिक्षकों की बहाली हो, संथाली भाषा, संस्कृति, ओलचिकी लिपि का प्रचार प्रसार संरक्षण एवं संवर्धन हेतु संथाली एकेडमी का गठन हो, संथाली भाषा को झारखंड में प्रथम राज्य भाषा का दर्जा दिया जाए।।