सम्मेद शिखरजी विवाद: जैनियों और आदिवासी, दोनों का है पारसनाथ; और क्या बोले जैनमुनि
आचार्य 108 प्रसन्न सागरजी ने कहा कि संवाद से हर समस्या का हल होता है। ऐसे में सम्मेद शिखर जी की समस्या का हल भी इसी से निकलेगा। उन्होंने रविवार को एक संवाददाता सम्मलेन में उक्त बातें कहीं।
आचार्य 108 प्रसन्न सागरजी ने कहा कि संवाद से हर समस्या का हल होता है। ऐसे में सम्मेद शिखर जी की समस्या का हल भी इसी से निकलेगा। उन्होंने रविवार को एक संवाददाता सम्मलेन में उक्त बातें कहीं।
पर्वत पर निर्माण कार्य गैर-कानूनी
प्रसन्न सागर जी ने कहा कि पारसनाथ स्थित श्री सम्मेद शिखर से आदिवासी व जैन समाज की गहरी आस्था जुड़ी है। इसका महत्व जितना जैन समुदाय के लिए है, उतना ही आदिवासियों के लिए भी है। हम कह सकते हैं जैन व आदिवासी समाज एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं। उन्होंने कहा कि यदि पारसनाथ की धरती पर कुछ ऐसा काम हो रहा है, जो संवैधानिक तौर पर उचित नहीं तो कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। इससे जैन समुदाय को आपत्ति नहीं होगी। उन्होंने कहा कि पारसनाथ पर्वत के संरक्षण का प्रयास होना चाहिए। पर्वत पर किसी भी प्रकार का निर्माण गैर कानूनी है, क्योंकि वह वन विभाग की संपत्ति है।
पदयात्रा का संस्कार सुरक्षित रहना चाहिए
नैतिकता को स्थापित करने के लिए पदयात्रा आचार्य ने कहा, महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा की थी, विनोबा भावे ने पदयात्रा। वह समाज में नष्ट होती नैतिकता को फिर से स्थापित करने के लिए 15 साल से अहिंसा संस्कार पदयात्रा कर रहे हैं। देश के लोग पाश्चात्य व्यवस्था का अनुसरण कर रहे हैं, देसी संस्कृति लुप्त हो रही है। ऐसे में संस्कारों को संरक्षित रखना बड़ी चुनौती है।
मुनि पीयूष सागर ने समझाया जीएसटी का मतलब
वहीं मुनि पीयूष सागर ने कहा कि जीवन में इंद्रियों पर नियंत्रण करना जरूरी है। जिंदगी में जीएसटी होना अनिवार्य है। इसका मतलब गुड थिंकिंग, सिंपल लिविंग व टेंशन फ्री लाइफ। अपने जीवन को सफेद रंग के रूप में तैयार कीजिए ताकि, जिस रंग में आपका संगम हो एक नया रंग निखर जाए।