झारखंड: कोविड काल में लौटे प्रवासियों से बढ़ा HIV, शोध में खुलासा
रिसर्च के दौरान पूछताछ में दो संक्रमितों ने रिसर्च टीम को बताया कि वे समलैंगिक हैं। दोनों पुरुष हैं। वे जहां काम करते थे, वहां उनके पुरुष पार्टनर थे। उन्हीं के साथ उन्होंने शारीरिक संबंध बनाया था।
झारखंड में एक शोध के बाद अहम खुलासा हुआ है। कोविड लॉकडाउन के दौरान बाहर से घर वापस लौटे प्रवासियों से धनबाद, बोकारो और गिरिडीह में एचआईवी के मामले बढ़े हैं। धनबाद मेडिकल कॉलेज एसएनएमएमसी के मेडिसिन और कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग द्वारा किए गए एक रिसर्च में यह बात सामने आई है।
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) द्वारा यह रिसर्च कराया गया था। तीनों जिलों में तीन महीने तक चले इस रिचर्स में 33 एचआईवी ग्रसित मरीजों की पड़ताल की गई। इस रिसर्च में मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर यूके ओझा, कम्यूनिटी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर रवि रंजन झा और डॉक्टर ऋषभ राणा शामिल थे। डॉ राणा के अनुसार 33 एचआईवी संक्रमितों पर किए गए रिसर्च के दौरान 19 ऐसे संक्रमित मिले जो बाहर काम करते थे और कोविड काल में लॉकडाउन के दौरान घर लौटे थे। इसमें 17 पुरुष और 2 महिलाएं हैं। यहां आने पर उनकी तबीयत खराब हुई और जांच में उनके एचआईवी पॉजिटिव होने का पता चला। ये सभी 26 से 35 साल के बीच के हैं। रिसर्च टीम ने अपनी रिपोर्ट झारखंड एड्स कंट्रोल सोसायटी के मार्फत नाको को भेज दी है।
आठ की पत्नियां हो चुकी है संक्रमित
रिसर्च में यह भी पता चला है कि घर वापसी के बाद इन्होंने अपने पार्टनर से संबंध बनाए। इसके कारण 17 पुरुष संक्रमित में से आठ संक्रमितों की पत्नियां भी संक्रमित हो चुकी हैं। जांच में उनकी एचआईवी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। बाकी की 9 संक्रमित की पत्नियां हाई रिस्क में हैं। उनके संक्रमित होने का भी खतरा बना हुआ है।
दो मिले समलैंगिक
रिसर्च के दौरान पूछताछ में दो संक्रमितों ने रिसर्च टीम को बताया कि वे समलैंगिक हैं। दोनों पुरुष हैं। वे जहां काम करते थे, वहां उनके पुरुष पार्टनर थे। उन्हीं के साथ उन्होंने शारीरिक संबंध बनाया था। इसी से वे संक्रमित हुए हैं।
जागरूकता की कमी बड़ा कारण
रिसर्च टीम ने अपनी फाइंडिंग में लोगों में जागरूकता की कमी और जानकारी के अभाव को एचआईवी का बड़ा कारण बताया है। यह सलाह दी है कि जहां भी बड़ी संख्या में लोग काम के लिए जाते हैं, वहां एचआईवी को लेकर विशेष जागरूकता अभियान और समय समय पर जांच अभियान चलाया जाए। खासकर वहां जहां मजदूर किस्म के लोग ज्यादा तादाद में होते है। इससे लोगों को एचआईवी एड्स की जानकारी होगी और वे सावधान रहेंगे।