यहां मनरेगा में काम के लिए स्थानीय भाषा में मजदूरों को भेजा जा रहा न्योता, जान लें कारण
मनरेगा में अधिक से अधिक प्रवासी मजदूरों को काम मिले इसके लिए हर स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। मजदूरों को काम के लिए न्योता दिया जा रहा है। न्योता देने के लिए स्थानीय भाषा का प्रयोग शुरू हुआ है।...
मनरेगा में अधिक से अधिक प्रवासी मजदूरों को काम मिले इसके लिए हर स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। मजदूरों को काम के लिए न्योता दिया जा रहा है। न्योता देने के लिए स्थानीय भाषा का प्रयोग शुरू हुआ है। गिरिडीह में शुरू हुए इस व्यवस्था को पूरे राज्य में लागू करने की तैयारी चल रही है। ग्रामीण विकास सचिव आराधना पटनायक ने जिलों के अधिकारियों को मनरेगा के काम का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करने और प्रवासियों का नया जॉब कार्ड खोलने का निर्देश दिया है।
नेवता गिरा नाम से पर्चीः गिरडीह के पीरटांड के प्रखंड विकास पदाधिकारी ने स्थानीय भाषा में न्योता देने का काम शुरू किया है। संथाली भाषा में लिखे इस पर्ची की शुरुआत नेवता गिरा की गई है। सभी को जोहार करते हुए प्रवासियों को मनरेगा के तहत काम करने का आग्रह किया गया है। इसमें फलदार वृक्ष लगाने के लिए वृक्षारोपण योजना, नीलांबर पीतांबर योजना, खेतों में मेढ़ बनाने, डोभा, आदि कार्यों का जिक्र किया गया है। पर्चा में स्थानीय भाषा में यह भी बताया गया है कि पंचायत में रोजगार सेवक, पंचायत सचिव आदि लोगों के पास जाकर जॉब कार्ड खुलवा सकते हैं।
चौथे स्थान पर पहुंचा गिरिडीहः प्रवासियों को रोजगार देने में गिरिडीह चौथे स्थान पर पहुंच गया है। यहां 4864 परिवारों के 6645 लोगों का नया जॉब कार्ड खोला गया है। हालांकि साहिबगंज पहले, बोकारो दूसरे और गोड्डा तीसरे स्थान पर है। विभागीय सचिव ने प्रतिदिन 10 लाख मानव दिवस सृजित करने का लक्ष्य दिया है। इसे देखते हुए प्रचार-प्रसार के नए-नए तरीके निकाले जा रहे हैं। गिरिडीह मॉडल को देख कर अन्य जिलों को भी स्थानीय भाषा में प्रचार प्रसार करने का निर्देश दिया गया है। खास कर लोहरदगा, पाकुड़, चतरा, सिमडेगा जैसे जिलों को विशेष ध्यान देने का निर्देश मिला है।