झारखंड में 6,000 टन गेहूं ही खुले बाजार में बेचेगा FSI, ये है वजह
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने राज्य में खुली बिक्री योजना के तहत बेचे जाने वाले गेंहू की मात्रा 8 हजार टन घटा दी है। एफसीआई अब झारखंड में 14 हजार की जगह 6 हजार टन गेंहू ही खुले बाजार में बेचेगा।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने राज्य में खुली बिक्री योजना के तहत बेचे जाने वाले गेंहू की मात्रा 8 हजार टन घटा दी है। एफसीआई अब झारखंड में 14 हजार की जगह 6 हजार टन गेंहू ही खुले बाजार में बेचेगा। इसकी वजह ऑक्शन में ट्रेडर, मिलर और फूड प्रोसेसिंग यूनिट की उदासीनता बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि बीते 3 सप्ताह से ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत खरीदारों की भागीदारी को देखते हुए एफसीआई ने यह निर्णय लिया है। इसके साथ ही पहले जहां एफसीआई छोटे कारोबारियों, ट्रेडर को योजना के तहत सस्ती दर पर गेंहू-चावल की खरीद के लिए आमंत्रित कर रहा था, अब सिर्फ मिल संचालक और फूड प्रोसेसिंग यूनिट संचालक ही इसमें भाग ले सकेंगे।
खुले बाजार में चावल की खरीददारी में दिलचस्पी नहीं
बता दें कि बीते 3 ऑक्शन के दौरान पहली नीलामी में राज्य के कारोबारियों ने 2970 टन, दूसरी बार में 3130 टन व तीसरे ऑक्शन में लगभग 5000 टन गेंहू ही खरीदा। इसके अलावा चावल की खरीदारी के लिए कोई आगे नहीं आया। एफसीआई के अनुसार फिलहाल राज्य के 54 कारोबारी ही एम-जंक्शन पर निबंधित हैं। जबकि ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत खरीदारी के लिए एम जंक्शन पर निबंधन अनिवार्य है। हालांकि, एफसीआई के पदाधिकारियों का यह भी कहना है कि इसकी संख्या बढ़ी है। पहले ऑक्शन के दौरान इसकी संख्या 30 के करीब थी, जो अब बढ़कर 54 हो गई है। दरअसल, केंद्र सरकार ने खुले बाजार में गेंहू और चावल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए एफसीआई के जरिए रिजर्व प्राइस पर इसकी बिक्री का फैसला लिया है। इसके तहत लगभग सभी राज्यों में एफसीआई की ओर से रिजर्व प्राइस पर गेंहू और चावल की ई-नीलामी के जरिए बिक्री की जा रही है।
यदि व्यापारी लाभ नहीं उठाएंगे तो महंगा होगा आटा
यदि राज्य के मिलर और फूड प्रोसेसिंग यूनिट ऑक्शन की भरपूर क्वांटिटी खरीदते तो इससे बाजार में आटे की दर और कम होती। क्योंकि खुले बाजार में जहां अब भी गेंहू की दर 2500-2600 रुपये प्रति क्विंटल है, वहीं एफसीआई मिलर और फूड प्रोसेर्स को 2125-2150 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर गेंहू उपलब्ध करा रहा है। फूड प्रोसेसर राकेश जैन के मुताबिक एफसीआई की ओर से फिलहाल दिए जा रहे गेंहू की मात्रा थोड़ी है। अभी 100 टन गेंहू एक मिलर या फूड प्रोसेसर को दिया जा रहा है। इसे बढ़ाना चाहिए। वहीं, एक अन्य कारोबारी ने कहा कि फ्लोर मिल को अधिक क्वांटिटी में सस्ता गेहूं मिलने से खुदरा कीमतें कम होतीं। मगर यहां के व्यवसायी इसका लाभ नहीं उठाएंगे तो लोगों को सस्ती दर पर आटा नहीं मिल पाएगा।