झारखंड में टिड्डी दल के हमले से विभाग अलर्ट पर किसान चिंतित
झारखंड में टिड्डी दल के हमले की आशंका को देखते हुए जिला कृषि विभाग ने सभी प्रखंडों के किसानों को अलर्ट कर दिया है। हालांकि टिड्डी दल कब तक यहां पहुंचेगा, यह स्पष्ट नहीं है। हालांकि कृषि विभाग ने इसे...
झारखंड में टिड्डी दल के हमले की आशंका को देखते हुए जिला कृषि विभाग ने सभी प्रखंडों के किसानों को अलर्ट कर दिया है। हालांकि टिड्डी दल कब तक यहां पहुंचेगा, यह स्पष्ट नहीं है। हालांकि कृषि विभाग ने इसे लेकर प्रखंड स्तर पर टिड्डी नियंत्रण दल का गठन किया है। हर दल में छह से सात सदस्य शामिल हैं। कृषि विभाग केे अनुसार टिड्डी दल राजस्थान होते हुए मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ तक पहुंच चुका है। जिला कृषि पदाधिकारी साहिबगंज उमेश तिर्की ने कहा कि टिड्डी दल के हमले के आशंका के मद्देनजर प्रखंड स्तर पर दल का गठन किया गया है। इन दलों को दवा के छिड़काव से लेकर सभी उपचार व भगाने की विधि बताया जा रहा है।
वह अब शायद झारखंड के रास्ते आगे बढ़ सकता है। कृषि निदेशक छवि रंजन ने बताया कि अभी तक टिड्डी दल के झारखंड पहुंचने की सूचना नहीं है। टिड्डी के हमले की आशंका को देखते हुए हर जिले को निर्देश दिया गया है कि वे ग्रामीणों को इस दल से निपटने के लिए जागरुक करें। उन्हें बताए कि कैसे वे अपने खेत में लगे फसलों को बचा सकते हंै। इसके लिए विभाग ने ग्रामीणें को थाली या कोई ड्रम बजाने की सलाह दी है। जैसे ही वे टिड्डी दल को देखे तो जोर-जोर से बर्तन या कुछ सामान बजाए। पटाखा भी छोड़ सकते हैं। इससे वह अपनी दिशा बदल लेगा। बताया जा रहा है कि टिड्डी दल काफी रफ्तार से आगे बढ़ता है । रास्ते में मिलने वाले किसी भी फसल को अपना भोजन बना लेता है। एक किमी के दायरे में करीब चार करोड़ टिड्डी होते हैं। एक समय में करीब 35 हजार लोगों के बराबर खाना खाते हंै।
इन दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हंै किसान : कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों के मुताबिक खेत में लगी फसलों के बचाव के लिए क्लोरपाइरीफॉस 20 ईसी की 2.5 से 3.0 मिली, लेम्डासायहेलोथ्रीन 5 ईसी का 1.0 मिली, फिप्रोनिल 5 ईसी की 1.0 मिली या डेल्टामेथ्रिन 2.8 ईसी की 1.0 झ्र1.5 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर टिड्डियों के आगमन होने पर फसलों पर छिड़काव किया जा सकता है।
कीटनाशक का भंडार रखने का निर्देश : विभाग ने सभी प्रखंड का निर्देश देते हुए कहा है कि वे कीटनाशक का भंडारण सही से करें। इसकी उपलब्धता के लेकर कोई कमी नही होनी चाहिए।