CM हेमंत के भोगनाडीह दौरे के बीच सहायक अध्यापकों का प्रदर्शन, याद दिलाया वादा
'वादा पूरा करो हेमंत सरकार, सहायक अध्यापक अब आ रहे हैं आपके द्वार' कार्यक्रम के तहत संताल परगना के सहायक अध्यापक साहिबगंज जिले के बरहेट प्रखंड स्थित सिंघाड़ा मैदान में जमा हुए। वादा याद दिलाया।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हूल दिवस के मौके पर भोगनाडीह दौरे के बीच सहायक अध्यापकों ने बरहेट में प्रदर्शन किया। 'वादा पूरा करो हेमंत सरकार, सहायक अध्यापक अब आ रहे हैं आपके द्वार' कार्यक्रम के तहत संताल परगना के सहायक अध्यापक साहिबगंज जिले के बरहेट प्रखंड स्थित सिंघाड़ा मैदान में जमा हुए। सहायक अध्यापकों ने मुख्यमंत्री को उनका चुनावी वादा याद दिलाते हुए उसे जल्द पूरा करने की मांग की। सरकार द्वारा अब तक वादों को पूरा करने की दिशा में कदम नहीं उठाने पर अध्यापकों ने नाराजगी भी जाहिर की। गौरतलब है कि हूल दिवस के मौके पर सहायक अध्यापकों ने मशाल जुलूस का कार्यक्रम भी तय किया है। वे अपनी मांगों की ओर सीएम का ध्यान खींचना चाहते हैं।
सरकार पर चुनावी वादों से मुकरने का आरोप
झारखंड राज्य सहायक अध्यापक महासंघ के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों ने कहा कि चुनावी मेनिफेस्टो में वादा किया गया था कि हेमंत सोरेन की अगुवाई में सरकार बनने के 3 महीने के भीतर पारा शिक्षकों को वेतनमान दिया जाएगा जो अभी तक पूरा नहीं किया गया। सहायक अध्यापकों ने कहा कि कल्याण कोष से मृत सहायक अध्यापकों के परिवारों को मुआवजा और अनुकंपा पर नौकरी का वादा भी अभी तक पूरा नहीं किया गया। सहायक अध्यापकों ने कहा कि पारा शिक्षकों को लेकर दिसंबर 2021 में बनी सेवा शर्त नियमावली में दर्ज किसी भी बात को पूरा नहीं किया गया। सीटेट पास सहायक अध्यापकों को जेटेट पास सहायक अध्यापकों के समतुल्य लाभ प्रदान करने की मांग भी इसमें शामिल है।
बरहेट के सिंघाड़ा मैदान में हुआ प्रदर्शन
सहायक अध्यापकों ने बरहेट के सिंघाड़ा मैदान में आयोजित प्रदर्शन कार्यक्रम में अपनी मांगों को फिर से दोहराया। कहा कि हमें वेतनमान का लाभ दिया जाए। सेवानिवृत्त एवं मृत सहायक अध्यापकों के परिजनों को कल्याण कोष से 5 लाख रुपये का मुआवजा और परिवार के 1 सदस्य को अनुकंपा पर नौकरी का वादा सरकार पूरा करे। सीटेट पास सहायक अध्यापकों को जेटेट के समतुल्य लाभ दिए जाएं। गौरतलब है कि पिछली सरकार से अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे पारा शिक्षकों का अपनी मांगों को लेकर नाराजगी अभी भी जारी है।