Hindi Newsझारखंड न्यूज़ATS to seek production warrant against PLFI militant Dinesh Gope

PLFI उग्रवादी दिनेश गोप पर कसेगा ATS का शिकंजा, अभी NIA कर रही पूछताछ

जानकारी के अनुसार एटीएस विशेष कोर्ट से जल्द ही दिनेश गोप के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट प्राप्त करेगा। प्रोडक्शन वारंट जारी होने के बाद आरोपी दिनेश गोप को एटीएस अपने मामले में ले लेगा। उसकी मुश्किलें बढ़ेगी

Suraj Thakur निशि कांत, रांचीFri, 26 May 2023 06:09 AM
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टेरर फंडिंग से जुड़े मामले में पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप(40) की गिरफ्तारी के बाद उसकी मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। एनआईए ने टेरर फंडिंग के आरोप में दिनेश गोप के खिलाफ दर्ज केस को 19 जनवरी 2018 को टेकओवर किया था। फरार दिनेश गोप को एनआईए 5 साल 4 महीने बाद दबोचने में सफल रहा। उधर, आंतकवाद निरोधक दस्ता(एटीएस) भी दिनेश गोप के खिलाफ प्राथमिकी (एटीएस कांड संख्या 2/2023) दर्ज की है। एटीएस भी दिनेश गोप को अपने कब्जे में लेकर पूछताछ करने की तैयारी में है।

दिनेश गोप के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट
जानकारी के अनुसार एटीएस विशेष कोर्ट से जल्द ही दिनेश गोप के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट प्राप्त करेगा। प्रोडक्शन वारंट जारी होने के बाद आरोपी दिनेश गोप को एटीएस अपने मामले में ले लेगा। वर्तमान में दिनेश गोप एनआईए के कब्जे में है। एनआईए उससे टेरर फंडिंग का राज उगलवा रही है। वह 30 मई तक एनआईए के कब्जे में है। पुलिस रिमांड की अवधि पूरी होने के बाद उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा। एनआईए अगर और पुलिस रिमांड की अवधि को बढ़ाती है तो एटीएस को उसे कब्जे में लेने के लिए इंतजार करना होगा। इससे पूर्व उसके खिलाफ झारखंड, ओडिशा और बिहार में कुल 102 केस दर्ज हैं। यह केस संख्या 103 है। सभी हत्या, अपहरण, फिरौती और लेवी वसूलने से जुड़े हैं।

दिनेश गोप के खिलाफ दर्ज हैं 102 मामले
गौरतलब है कि दिनेश गोप के खिलाफ झारखंड के अलग-अलग थानों में 102 आपराधिक मामले दर्ज हैं। तकरीबन 2 दशक तक झारखंड में दहशत का पर्याय रहे दिनेश गोप का राजधानी रांची और आसपास के जिलों में प्रभाव था। बताया जाता है कि एक केंद्रीय मंत्री से मुलाकात करवाने के एवज में दिनेश गोप से 2 करोड़ रुपये की ठगी भी कर ली गई थी। दिनेश गोप सरेंडर करके राजनीति में आने का प्लान बना रहा था। इसी सिलसिले में एक बड़े राजनेता से मुलाकात करवाने का वादा कर उससे 2 करोड़ रुपये की ठगी कर ली गई। दिनेश गोप ने पिछले कुछ वर्षों से नेपाल और मॉरिशस को अपना ठिकाना बना लिया था और वहीं से संगठन को निर्देश देता था। इस बार पुख्ता जानकारी के आधार पर उसे दबोच लिया गया। 

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