Hindi Newsझारखंड न्यूज़Announcement of Jharkhand bandh on Monday by Jharkhand Youth Association

झारखंड बंद आज, स्कूलों में छुट्टी; 60:40 वाली नियोजन नीति पर छात्रों का हल्लाबोल

10 अप्रैल यानी आज झारखंड बंद बुलाया गया है। छात्रों ने झारखंड बंद का आह्वान किया है। झारखंड यूथ एसोसिएशन और झारखंड स्टेट स्टूडेंट यूनियन के बैनर तले झारखंड बंद का आह्वान किया गया है।

Suraj Thakur लाइव हिन्दुस्तान, रांचीMon, 10 April 2023 08:42 AM
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10 अप्रैल यानी आज झारखंड बंद बुलाया गया है। छात्रों ने झारखंड बंद का आह्वान किया है। झारखंड यूथ एसोसिएशन और झारखंड स्टेट स्टूडेंट यूनियन के बैनर तले झारखंड बंद का आह्वान किया गया है। गौरतलब है कि नियोजन नीति और बेरोजगारी के खिलाफ 9 अप्रैल को छात्र संगठनों ने रांची यूनिवर्सिटी से लेकर अल्बर्ट एक्का चौक तक मशाल जुलूस भी निकाला था। छात्रों द्वारा बुलाए गए बंद के मद्देनजर, राजधानी रांची में अधिकांश स्कूलों को बंद रखने का फैसला किया गया है ताकि छात्रों की परेशानी ना हो

खतियान आधारित नियोजन नीति की मांग
छात्र संगठनों ने जानकारी देते हुए बताया कि खतियान आधारित नियोजन नीति की मांग को लेकर ही झारखंड बंद का आह्वान किया गया है। छात्रनेता शफी इमाम ने कहा कि झारखंड के दिवंगत शिक्षा मंत्री का सपना 1932 का खतियान था। उसे पूरा किया जाएगा। सरकार गठन को 4 साल बीतने जा रहे हैं लेकिन अभी तक खतियान आधारित स्थानीयता और नियोजन नीति का वादा पूरा नहीं किया गया। 

सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक प्रदर्शन
झारखंड बंद के तहत आयोजित कार्यक्रमों की बात की जाए तो राजधानी रांची सहित सभी जिलों में सोमवार को सुबह 9 बजे से दोपहर 2 बजे तक शांतिपूर्ण प्रदर्शन होगा। इस बंद को झारखंड उलगुलान मार्च, पंचपरगना फाइटर, आदिवासी छात्र संघ, आमया और आदिवासी-मूलवासी संगठनों का समर्थन प्राप्त है। पहले, आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने भी बंद का समर्थन करने का ऐलान किया था लेकिन बाद में वापस लिया। 

छात्र संगठनों की मांग क्या है
गौरतलब है कि हेमंत सोरेन सरकार द्वारा लाई गई नई नियोजन नीति के विरोध में यह बंद बुलाया गया है। इससे पहले संताल परगना के सभी 6 जिलों में भी व्यापक विरोध प्रदर्शन किया गया था। संताल परगना में भी मशाल जुलूस और बंद का आह्वान किया गया था। छात्रों की मांग है कि खतियान आधारित स्थानीय नीति बनाई जाए। नियोजन नीति में जो 60:40 का प्रावधान किया गया है उसे समाप्त किया जाए। सरकारी नौकरियों में स्थानीय भाषा, संस्कृति और परिवेश की बुनियादी समझ होना अनिवार्य किया जाए। नियुक्तियां निकाली जाए। 

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