कुरमी समाज की किस मांग पर भड़के आदिवासी, दे डाली उग्र आंदोलन की चेतावनी
कुरमी को एसटी सूची में शामिल करने की चल रही कोशिशों का रविवार को आदिवासी समाज ने विरोध किया। इसे लेकर मोरहाबादी मैदान में आदिवासी समन्वय समिति ने आदिवासी बचाओ महारैली की गई। आंदोलन की चेतावनी दी।
कुरमी को एसटी सूची में शामिल करने की चल रही कोशिशों का रविवार को आदिवासी समाज ने विरोध किया। इसे लेकर मोरहाबादी मैदान में आदिवासी समन्वय समिति ने आदिवासी बचाओ महारैली की गई। इसमें राज्यभर से जनजाति समुदाय के लोग शामिल हुए। महारैली में 25 सूत्री प्रस्ताव पारित किया गया।
आदिवासी धार्मिक स्थलों को मुक्त कराने की मांग
इसमें निर्णय हुआ कि भूमिज मुंडा के चुआड़ विद्रोह के महानायक रघुनाथ सिंह भूमिज को कुरमी समुदाय द्वारा रघुनाथ महतो बताने का विरोध होगा। साथ ही आदिवासी जमीन के अवैध हस्तांतरण-घोटाले की जांच सीबीआई से कराने, आदिवासी धार्मिक जमीनों को सुरक्षा देने, सीएनटी एक्ट में थाना क्षेत्र की बाध्यता खत्म करने, पारसनाथ समेत आदिवासियों के सभी धार्मिक स्थल को गैर आदिवासियों के कब्जे से मुक्त कराने की मांग की गई।
कोर्ट फीस की बढ़ोतरी को वापस लेने की मांग
बढ़े कोर्ट फीस को वापस लेने की मांग इसके अलावा बढ़ाई गई कोर्ट फीस का निर्णय वापस लेने, गैर आदिवासी से विवाह करने वाली महिलाओं को आदिवासी का दर्जा न देने, पेसा कानून की नियमावली को जल्द लागू करने, समता जजमेंट को पांचवीं अनुसूची क्षेत्रों में लागू करने की भी बात रखी गई। कार्यक्रम का संचालन लक्ष्मीनारायण मुंडा ने की। मौके पर पूर्व शिक्षामंत्री गीताश्री उरांव, देवकुमार धान, निरंजना हेरेंज, अभय भुटकुवर, कुंदरसी मुंडा, पूर्व सांसद चित्रसेन सिंकू, झारखंड क्रिश्चियन यूथ एसोसिएशन के अलबीन लकड़ा, कुलदीप तिर्की व विकास तिर्की समेत कई लोग मौजूद थे।
कुरमी समुदाय की इस मांग पर भड़के आदिवासी
आदिवासी जनपरिषद के प्रेम शाही मुंडा ने कहा कि आदिवासियों के जल, जंगल-जमीन, मुखिया सहित अन्य संवैधानिक पदों को कुरमी समुदाय छीनना चाहता है। कुरमी समुदाय खुद को शिवाजी का वंशज मानता है। वहीं, केंद्रीय सरना समिति के अजय तर्की बोले, कुरमी समाज अपने उत्थान की बात करे। यदि वे एसटी सूची में शामिल होने की बात करेगा तो विरोध होगा।