झारखंड: रिम्स में तैनात होंगे 100 बंदूकधारी जवान, नए सिरे से क्यों कराया जा रहा सिक्योरिटी सर्वे
Jharkhand news: रिम्स परिसर की सुरक्षा को लेकर प्रबंधन नए सिरे से सिक्युरिटी सर्वे करा रहा है। उपाधीक्षक ने बताया कि हाल के दिनों में रिम्स में कई नए भवन का संचालन शुरू हो चुका हैं।
रिम्स परिसर की व्यवस्था चाक-चौबंद की जाएगी। अस्पताल के साथ हॉस्टल और आवासीय परिसर की सुरक्षा को भी दुरुस्त किया जाएगा। आए दिन मरीज के परिजन और चिकित्सकों के बीच होने वाली झड़प को देखते हुए रिम्स में बंदूकधारी जवान तैनात किए जाएंगे। रिम्स प्रबंधन ने इसके लिए एक विस्तृत प्रस्ताव बनाकर स्वास्थ्य विभाग को भेजा है।
रिम्स प्रबंधन के अनुसार, हॉस्पिटल में कई ऐसे संवेदनशील स्थल हैं, जहां आए दिन तनाव उत्पन्न होता रहता है। रिम्स के उपाधीक्षक डॉ शैलेश त्रिपाठी के अनुसार ट्रॉमा सेंटर, कैजुअल्टी, सभी विभागों के आईसीयू और ओपीडी में सशस्त्रत्त् जवानों की तैनाती की योजना है।
फिलहाल 100 सशस्त्रत्त् जवानों की तैनाती के लिए स्वास्थ्य विभाग से अनुरोध किया गया है। इसके लिए सैप के जवानों को सशस्त्रत्त् करके रिम्स में तैनात करने का अनुरोध किया गया है। स्वास्थ्य विभाग की संचिका लौटने के बाद आगे का निर्णय लिया जाएगा।
चिकित्सकों ने बताया क्यों बिगड़ रही व्यवस्था
● मेडिकल चौक के साथ इमरजेंसी में प्रवेश के रास्ते पर बैरिकेडिंग रहती थी, अब नहीं
● यात्री वाहनों को परिसर में प्रवेश नहीं दिया जाता था, अब वाहनों की कतार लगी रहती है
● मुख्य सड़क से ट्रॉमा सेंटर तक रास्ते में यात्री वाहनों और ठेला-खोमचा का कब्जा
● परिसर में अवैध दुकानों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई, एंबुलेंस को परेशानी होती है
नए सिरे से कराया जा रहा सिक्युरिटी सर्वे
रिम्स परिसर की सुरक्षा को लेकर प्रबंधन नए सिरे से सिक्युरिटी सर्वे करा रहा है। उपाधीक्षक ने बताया कि हाल के दिनों में रिम्स में कई नए भवन का संचालन शुरू हो चुका हैं। आवासीय परिसर में भी सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं है। इसलिए अस्पताल के साथ साथ नए बने भवनों में और आवासीय परिसर में सुरक्षा दुरूस्त करने को लेकर कहां कहां कितने सुरक्षा कर्मियों की जरूरत है, इसका आकलन किया जा रहा है। पूर्व निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद के द्वारा पूर्व में रिम्स के लिए 600 सुरक्षा कर्मियों की जरूरत बताते हुए विभाग से तैनाती की व्यवस्था का अनुरोध किया गया था। अब नए सिरे ो सर्वे कराकर उसके अनुसार अनुरोध किया जाएगा।
डीएसपी के साथ 20 जवानों की पुनः तैनाती का अनुरोध
उपाधीक्षक ने बताया कि पूर्व में रिम्स में एक डीएसपी के साथ पुलिस बल के 20 जवान तैनात किए गए थे। लेकिन, बाद में उसे हटा लिया गया। इस कारण आए दिन परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके लिए भी स्वास्थ्य विभाग से अनुरोध किया गया है कि पूर्व की तरह एक डीएसपी के साथ सशस्त्रत्त् बल के 20 जवानों की तैनाती की जाए। उन्होंने बताया कि रिम्स के लिए पूर्व में ही सैप के 200 जवानों की मांग की गयी थी। इसके लिए डीजीपी व मुख्य सचिव को पत्र भेजा जा चुका है। लेकिन, अब तक महज 48 के करीब सैप की ही तैनाती हुई है।
2002 में 91 सुरक्षा कर्मी थे तैनात अभी 725, फिर भी हालत बेकाबू
रिम्स की सुरक्षा को लेकर सुरक्षा कर्मियों की संख्या में तो लगातार इजाफा हो रहा है, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था सुधरने की बजाए और बदहाल होती जा रही है। अस्पताल के अंदर से लेकर बाहर तक सुरक्षा व्यवस्था बदहाल है। आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2002 से 2010 तक रिम्स की सुरक्षा में महज 91 निजी सुरक्षाकर्मी तैनात थे। लेकिन, उस समय रिम्स की सुरक्षा व्यवस्था काफी दुरूस्त थी। उसके बाद से सुरक्षा व्यवस्था का हवाला देकर लगातार संख्या में इजाफा होता रहा है। 2010 के बाद रिम्स की सुरक्षा में लगभग 325 निजी सुरक्षा कर्मी लगाए गए। दो साल पूर्व निजी एजेंसी को हटाकर सुरक्षा की जिम्मेवारी होमगार्ड और सैप के जवानों को दी गई। फिलहाल कुल 725 सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। बावजूद इसके अस्पताल की व्यवस्था संभाले नहीं संभल रही है। वार्ड में जनरल वार्ड की बात तो दूर, इमरजेंसी और आईसीयू में मरीज के परिजनों की भीड़ लगी रहती है। आए दिन विवाद होता रहता है। कुछ दिनों तक पास के आधार पर परिजनों को प्रवेश दिया जाता था, लेकिन अब वह व्यवस्था भी ध्वस्त हो चुकी है।
डॉक्टरों का कहना है कि अब तक में सबसे दुरूस्त सुरक्षा व्यवस्था उसी समय थी, जब सबसे कम सुरक्षाकर्मी तैनात थे। इसका सबसे बड़ा कारण बेहतर मॉनिटरिंग थी। डॉक्टर्स बताते हैं कि पूर्व में महज 91 गार्ड थे। मेडिकल चौक के साथ इमरजेंसी में प्रवेश के रास्ते पर भी बैरिकेडिंग लगाकर यात्री वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित था। पूरे परिसर में वन-वे व्यवस्था थी। अब तो डॉक्टरों को भी गाड़ी लगाने की जगह नहीं मिलती है। कभी-कभी इमरजेंसी तक पहुंचने में ही जाम का सामना करना पड़ता है। मुख्य सड़क से ट्रॉमा सेंटर तक रास्ते में यात्री वाहनों और ठेला-खोमचा का कब्जा है। हाल के दिनों में परिसर में अवैध दुकानों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। एंबुलेंस को भी जाम से निकलने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। निदेशक आवास के बाहर ई-रिक्शा स्टैंड, दवा दुकानों के बाहर और हनुमान मंदिर के बगल में ऑटो स्टैंड और सुपर स्पेशलिटी परिसर में निजी एंबुलेंस स्टैंड संचालित है।