जिले में सुखाड़ से निपटने के लिए अब तक नहीं हो सका स्थायी समाधान
सिमडेगा जिले में 90 प्रतिशत किसान मानसून पर निर्भर हैं, लेकिन हर साल सुखाड़ के कारण उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है। बारिश नहीं होने से धान की फसल बर्बाद हो जाती है। किसान नेताओं से स्थायी समाधान की...
सिमडेगा अफजल इमाम कृषि के लिए पूरी तरह से मानसुन पर आधारित जिले में सुखाड़ से निपटने के लिए अब तक स्थाई समाधान नहीं हो पाया है। जिले में लगभग 90 प्रतिशत किसान खेती करते है। इन किसानों के लिए स्थायी समाधान नहीं होने के कारण हर बार किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। लगभग हर वर्ष जिले में हथिया नक्षत्र ने किसानों को धोखा देता आ रहा है। हथिया नक्षत्र की बारिश न होने से धान के पौधे बाली लगने, बाली में दाने लगने से पहले ही पीले होने हो जाते हैं। जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। धान में बाली निकलने के समय खेतों में पानी का होना जरुरी है। लेकिन जिले के किसान पुरी तरह बारिश पर ही निर्भर रहते हैं। बारिश नहीं होने पर उनके खेतों में पानी पहुंचाने के लिए कोई समाधान अब तक नहीं हो पाया है। जब भी चुनाव आती है नेता गांव आते हैं। किसानों का दर्द सुनते हैं। बड़े लंबे लंबे अश्वासन और घोषणा देकर चले जाते हैं। लेकिन चुनाव जितने के बाद उनकी समस्याओं को अनसुना कर देते हैं। इस बार भी विधानसभा चुनाव हेतु 13 नवंबर को मतदान होंगे। क्षेत्र में नेताओं का आना जाना शुरु हो गया। ऐसे में सुखाड़ से निपटने के लिए स्थाई समाधान करने का मुद्दा अहम हो सकता है।
पहाड़ी क्षेत्र के किसान होते है ज्यादा प्रभावित
वर्षा नहीं होने से ज्यादा नुकसान पहाड़ी क्षेत्र में खेती करने वाले किसानों को हमेशा झेलनी पड़ती है। पहाड़ी क्षेत्र में स्थित अधिकतर खेतों में पानी जल्दी सुख जाती है। ऐसे में समय पर बारिश नहीं होने और खेतों में पानी पहुंचाने की कोई सुविधा नहीं होने से खेतों में दरारें आ जाती है और धान की फसल बर्बाद हो जाती है।
क्या कहते हैं किसान
किसान कुलदीप बाड़ा, प्रभुदान केरकेट्टा, मुकुल सिंह ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि उनका परिवार धान की फसल पर ही आश्रित रहता है। समय पर बारिश नहीं होने पर उनके खेतों में पानी पहुंचाने का कोई समाधान नहीं है। ऐसे में पानी की कमी के कारण कई बार धान की खेती न होने से उनके समक्ष कई परेशानी उत्पन्न होती है।
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