यह परेशान करने वाला, इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती; SC ने झारखंड HC के रवैये पर जताया आश्चर्य
सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट के रवैये पर आश्चर्य जताया है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि यह परेशान करने वाला है। ऐसा होने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट से उन मामलों पर एक महीने में रिपोर्ट पेश करने को कहा है जिनमें फैसले लंबित हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट के रवैये पर आश्चर्य जताया है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि यह परेशान करने वाला है। ऐसा होने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट से उन मामलों पर एक महीने में रिपोर्ट पेश करने को कहा है जिनमें फैसले लंबित हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि झारखंड हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखने के बाद 67 आपराधिक अपीलों पर फैसला नहीं सुनाया है। शीर्ष कोर्ट ने सभी उच्च न्यायालयों से उन मामलों पर एक महीने में रिपोर्ट पेश करने को कहा है जिनमें निर्णय लंबित हैं। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने इस घटनाक्रम को परेशान करने वाला करार दिया। कहा कि वह इस मुद्दे पर कुछ अनिवार्य दिशा-निर्देश बनाएगी।
पीठ ने कहा कि ऐसा होने की अनुमति नहीं दी जा सकती। पीठ ने सभी उच्च न्यायालयों से चार सप्ताह में उन मामलों पर रिपोर्ट मांगी है जिनमें 31 जनवरी 2025 या उससे पहले फैसला सुरक्षित रखा गया है, लेकिन आज तक सुनाया नहीं गया है।
शीर्ष अदालत ने झारखंड उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा दायर रिपोर्ट पर गौर करने के बाद यह निर्देश पारित किया। दायर रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी 2022 से दिसंबर 2024 तक खंडपीठ द्वारा सुनी गई 56 आपराधिक अपीलों में आदेश सुरक्षित रखे जाने के बावजूद फैसला नहीं सुनाया गया है। इसने यह भी उल्लेख किया कि एकल पीठ के न्यायाधीश के समक्ष आदेश सुरक्षित रखे जाने के बावजूद 11 आपराधिक अपीलों में फैसला नहीं सुनाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट आजीवन कारावास की सजा काट रहे चार दोषियों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इन दोषियों ने वकील फौजिया शकील के माध्यम से याचिका दायर कर दावा किया है कि झारखंड हाई कोर्ट ने 2022 में दोषसिद्धि के खिलाफ उनकी अपील पर आदेश सुरक्षित रख लिया था, लेकिन फैसला नहीं सुनाया। इसके कारण वे छूट का लाभ लेने में सक्षम नहीं हैं।