झारखंड चुनाव में दांव पर थी छह पूर्व मुख्यमंत्रियों की साख; किसी को मिली खुशी, किसी को गम
- झारखंड विधानसभा के चुनाव परिणामों में झामुमो ने सबसे ज्यादा 34 सीटें हासिल कीं। इसके बाद दूसरे नंबर पर भाजपा रही जिसे 21 सीटें मिलीं। तीसरे नंबर पर कांग्रेस रही, जिसे 16 सीटें प्राप्त हुईं।
झारखंड विधानसभा चुनाव के परिणाम शनिवार को आ गए, जिसमें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सत्तारूढ़ इंडिया गठबंधन को एकबार फिर शानदार बहुमत मिल गया। इस गठबंधन को 56 सीटें हासिल हुईं, जबकि राजग गठबंधन को सिर्फ 24 सीटें ही मिलीं। इस चुनाव में कई दिग्गज भी अलग-अलग सीटों से अपना भाग्य आजमा रहे थे, जिनमें से कई की नैया तो पार लग गई, लेकिन कुछ को हार का सामना भी करना पड़ा।
इस खबर में हम आपको राज्य में जिन चार सीटों पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई थीं, उन्हीं सीटों के परिणाम के बारे में बता रहे हैं। इनमें से कुछ खुद चुनाव में खड़े हुए थे, तो कुछ के रिश्तेदार चुनावी मैदान में थे।
झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी जहां धनवार सीट से भाजपा उम्मीदवार थे, तो पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन सरायकेला सीट से खड़े हुए थे। वहीं उनके बेटे बाबूलाल घाटशिला से खड़े हुए थे। पूर्व सीएम शिबू सोरेन के बेटे हेमंत और बसंत के अलावा उनकी दोनों बहुएं सीता और कल्पना भी चुनावी मैदान में थीं। पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा, पूर्व सीएम मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा और पूर्व सीएम रघुवर दास की बहू पूर्णिमा साहू भी भाजपा प्रत्याशी के रूप में किस्मत आजमा रही थीं। आइए देखते हैं किसका रिजल्ट क्या रहा।
शिबू सोरेन के परिवार में सिर्फ एक हार
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के परिवार से दो बेटे और दो बहुएं चुनावी मैदान में थीं। बाकी तीन तो झामुमो के टिकट पर खड़े हुए थे, लेकिन सीता सोरेन भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही थीं। इनमें से शिबू के बेटे और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बरहेट सीट से चुनाव जीत लिया। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार गमालियल हेम्ब्रम को 39,791 वोटों से हराया। उनके भाई और दुमका से झामुमो प्रत्याशी बसंत सोरेन भी चुनाव जीत गए। उन्होंने अपने निकटतम प्रत्याशी भाजपा के सुनील सोरेन को 14,588 वोटों से हराया। हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन ने गांडेय सीट पर भाजपा की मुनिया देवी को 17,142 वोटों से हराया। जबकि जामताड़ा से भाजपा से खड़ी हुईं सीता मुर्मू सोरेन कांग्रेस प्रत्याशी इरफान अंसारी से 43,676 वोटों से हार गईं।
चंपाई सोरेन खुद जीते, लेकिन बेटा हारा
सरायकेला सीट से खड़े हुए चंपाई सोरेन खुद तो चुनाव जीत गए, लेकिन घाटशिला सीट से खड़े हुए उनके बेटे चुनाव नहीं जीत सके। भाजपा के टिकट पर लड़े चंपाई सोरेन ने अपने निकटतम उम्मीदवार JMM के गणेश महाली को 20,447 वोटों से हरा दिया। जबकि उनके बेटे बाबूलाल सोरेन JMM प्रत्याशी रामदास सोरेन से 22,446 वोटों से हार गए।
बाबूलाल मरांडी भी जीतने में कामयाब रहे
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी धनवार सीट से खड़े हुए थे और वे भी चुनाव जीतने में सफल रहे। मरांडी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के निजामुद्दीन अंसारी को 35,438 वोटों से हराते हुए यह चुनाव जीत लिया।
अर्जुन मुंडा की पत्नी हारीं चुनाव
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा पोटका सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने उतरी थीं। हालांकि वे जीत नहीं सकीं। उन्हें झारखंड मुक्ति मोर्चा के संजीब सरदार ने 27,902 वोटों से हरा दिया।
मधु कोड़ा की पत्नी भी चुनाव हारीं
पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा भी चुनाव नहीं जीत सकीं। भाजपा के टिकट पर जगन्नाथपुर से खड़ी हुईं गीता कोड़ा को कांग्रेस के सोनाराम सिंकू ने 7,383 वोटों से हरा दिया।
रघुबर दास की बहू पूर्णिमा जीतीं
पूर्व सीएम रघुबर दास खुद तो चुनाव में नहीं उतरे थे, लेकिन उन्होंने अपनी पारंपरिक सीट से अपनी बहू पूर्णिमा को टिकट दिलवा दिया था। जमशेदपुर ईस्ट सीट से भाजपा के टिकट पर उतरीं पूर्णिमा चुनाव जीत गईं। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के अजॉय कुमार को 42,871 वोट से हरा दिया।